Hindi row : महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर बैकफुट पर फडणवीस सरकार, हिन्दी अनिवार्यता को लेकर CM का बड़ा ऐलान
मुंबई , रविवार, 29 जून 2025 (19:42 IST)
महाराष्ट्र सरकार ने पहली कक्षा से हिन्दी अनिवार्य करने का निर्णय रद्द कर दिया है। हिन्दी अनिवार्यता को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति गर्मा गई थी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को यह ऐलान किया है। पहली कक्षा से हिन्दी अनिवार्य करने के खिलाफ शिव सेना (उद्धव ठाकरे) और राज ठाकरे की पार्टी मनसे ने 5 जुलाई को महामोर्चा निकालने का ऐलान किया था। उसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने यह फैसला रद्द करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने कक्षा एक से त्रि-भाषा नीति लागू करने संबंधी माशेलकर समिति के सुझावों को स्वीकार कर लिया था
क्या बोले मुख्यमंत्री फडणवीस
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भाषा नीति के कार्यान्वयन और आगे की राह सुझाने के लिए शिक्षाविद् नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन की भी घोषणा की। फडणवीस ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे ने कक्षा 1 से 12 तक तीन-भाषा की नीति लागू करने के लिए डॉ. रघुनाथ माशेलकर समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था और नीति के कार्यान्वयन पर एक समिति गठित की थी।
फडणवीस ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने पहली कक्षा से त्रि-भाषा नीति के क्रियान्वयन के संबंध में अप्रैल और जून में जारी दो सरकारी आदेश (जीआर) वापस लेने का निर्णय लिया है। (त्रि-भाषा नीति के) क्रियान्वयन की सिफारिश के लिए डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी।
कब किया था आदेश जारी
फडणवीस सरकार ने 16 अप्रैल को एक सरकारी आदेश जारी किया था, जिसमें अंग्रेजी और मराठी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाया गया था। हालांकि, विरोध बढ़ने पर सरकार ने 17 जून को संशोधित सरकारी आदेश जारी किया, जिसमें हिंदी को वैकल्पिक भाषा बनाया गया।
क्या बोले उद्धव ठाकरे
शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी हिंदी का विरोध नहीं करती, बल्कि इसे थोपे जाने के खिलाफ है। दक्षिण मुंबई में एक विरोध-प्रदर्शन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए ठाकरे ने यह बात कही। इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान 17 जून के उस सरकारी आदेश की प्रतियां जलाई गईं, जिसमें स्कूलों के लिए तीन भाषा नीति संबंधी निर्देश जारी किया गया था।
इस विरोध-प्रदर्शन में कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल, कांग्रेस के पूर्व सांसद भालचंद्र मुंगेकर, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नेता नितिन सरदेसाई, शिवसेना (उबाठा) नेता आदित्य ठाकरे और संजय राउत शामिल हुए। शिवसेना (उबाठा) ने पूरे राज्य में इसी तरह के विरोध प्रदर्शन किए। ठाकरे ने कहा कि हमने सरकारी आदेश की प्रतियां जलाई हैं, जिसका मतलब है कि हम इसे स्वीकार नहीं करते। हम हिंदी का विरोध नहीं करते, लेकिन हम इसे थोपे जाने की अनुमति नहीं देंगे। मराठी के साथ अन्याय हुआ है। सवाल यह है कि आप छात्रों पर कितना दबाव डालने जा रहे हैं। इनपुट भाषा Edited by : Sudhir Sharma
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