मोहनदास करमचंद गांधी, महात्मा गांधी को अहिंसा का पूजारी कहा जाता है। वे अहिंसा पर बहुत जोर देते थे। उन्होंने अहिंसा के मंत्र महावीर स्वामी और गौतम बुद्ध के अहिंसा के सूत्र से सीखे थे, जबकि वे हमेशा गीता को माता कहते थे। महात्मा गांधी के आलोचक कहते हैं कि दो तरह के लोग होते हैं, एक वे जो दूसरों के साथ हिंसा करें और दूसरे वे जो खुद के साथ हिंसा करें। गांधी दूसरी किस्म के व्यक्ति थे।...हालांकि ऐसा समझना उचित नहीं है। आओ जानते हैं महात्मा गांधी की अहिंसा की 6 खास बातें।
1. महात्मा गांधी की नीति के अनुसार साध्य और साधन दोनों ही शुद्ध होना चाहिए अर्थात यह कि आपका उद्देश्य सही है तो उसकी पूर्ति करने के लिए भी सही मार्ग या विधि का उपयोग ही करना चाहिए। चाणक्य की नीति के अनुसार यदि उद्देश्य सही है, सत्य और न्याय के लिए है तो साधन कुछ भी हो, इससे फर्क नहीं पड़ता। चाणक्य ने यह नीति संभवत: महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण से ही सीखी होगी। हालांकि श्रीकृष्ण की नीति को कोई नहीं समझ पाया है।
2. महात्मा गांधी कहते हैं कि एकमात्र वस्तु जो हमें पशु से भिन्न करती है वह है अहिंसा।
3. हमारा समाजवाद अथवा साम्यवाद अहिंसा पर आधारित होना चाहिए जिसमें मालिक-मजदूर एवं जमींदार-किसान के मध्य परस्पर सद्भावपूर्ण सहयोग हो।
4. नि:शस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी।
5. सच्ची अहिंसा मृत्युशैया पर भी मुस्कराती रहेगी। बहादुरी, निर्भीकता, स्पष्टता, सत्यनिष्ठा, इस हद तक बढ़ा लेना कि तीर-तलवार उसके आगे तुच्छ जान पड़ें, यही अहिंसा की साधना है।
6. शरीर की नश्वरता को समझते हुए, उसके न रहने का अवसर आने पर विचलित न होना अहिंसा है।