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महात्मा गांधी का 'बा' को पत्र : प्रिय कस्तूर...

हमें फॉलो करें महात्मा गांधी का 'बा' को पत्र : प्रिय कस्तूर...
प्रति, 
कस्तूरबा गांधी 
नाडियाड

प्रिय कस्‍तूर, 
मैं जानता हूं कि तुम मेरे साथ रहने की इच्छुक हो। मुझे लगता है कि हम दोनों को अपने-अपने कार्य में लगे रहना चाहिए। फिलहाल यह उचित होगा कि तुम जहां हो वहीं ठहरो। यदि तुम सभी बच्चों को अपने बच्चों की तरह देखो तो जल्द ही आने वाले की कमी का एहसास तुम्हें नहीं होगा। जब कोई वृद्धावस्था की ओर बढ़ता है तो यही कर सकता है।
 
जब तुम दूसरों से प्रेम और उनकी सेवा करने लगोगी तो तुम्हें भीतर से सुख की अनुभूति होगी। जो लोग बीमार हैं, उनसे रोज अलसुबह मिलने और उनकी सेवा करने का नियम तुम्हें बना लेना चाहिए। उन लोगों के लिए विशेष आहार तैयार होना चाहिए, जिन्हें इसकी जरुरत है। तुम्हें उन्हें  इस बात का एहसास कराना चाहिए कि वे अजनबी नहीं हैं। उनके स्वास्थ्य में सुधार आना चाहिए। 
 
तुम्हें निर्मला से धर्म और अन्‍य उपयोगी विषयों पर बातचीत करनी चाहिए। तुम उससे भागवत पढ़कर सुनाने के लिए भी कह सकती हो। वह भी इसमें रुचि लेगी। यदि तुम इस तरह अपने आपको सेवा-कार्य में व्यस्त रखोगी तो मुझ पर विश्वास करो, तुम्हारा मन सदैव आनंदित रहेगा। और यकीनन तुम पंजाबी भाइयों के खाने और अन्‍य जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी छोड़ना नहीं चाहोगी। 

तुम्हारा
मोहनदास करमचंद गांधी

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