भगवान महावीर स्वामी (599 ई.पू.) पहले से चली आ रही श्रमण परंपरा के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे जबकि गौतम बुद्ध (563 ई.पू) ने एक नई परंपरा की शुरुआत की थी। महावीर स्वामी जैन धर्म को एक यह व्यवस्था दी थी जबकि गौतम बुद्ध ने धर्म की एक नई व्यवस्था का सूत्रपात दिया था। दोनों में ही बहुत अंतर और असमानताएं बताई जा सकती है परंतु दोनों में बहुत सी समानताएं भी थी।
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1. आत्मा को जानो: महावीर स्वामी और गौतम बुद्ध दोनों ने ही ईश्वर के होने या नहीं होने को अप्रत्यक्ष रूप से नकारा दिया माना जा सकता है। उन्होंने आत्मा अस्तित्व को स्वीकार करके मोक्ष की बात कहीं।
2. छत्रियवंशी: गौतम बुद्ध शाक्य क्षत्रिय वंशी थे जबकि महावीर स्वामी ज्ञातृ क्षत्रिय वंशीय नाथ थे। मतलब यह कि दोनों ही छत्रियवंश से संबंध रखते थे।
3. राजवंशी: दोनों ही का जन्म राज परिवार में हुआ था। दोनों के पिता एक राजा थे और उन्होंने अपना बचपन संपूर्ण सुख सुविधाओं और वैभव में बिताया था।
4. गृह त्याग: दोनों ने ही सत्य को जानने के लिए गृह का त्याग कर दिया था।
5. परिव्राजक: दोनों ही परिव्राजक बनकर संपूर्ण भारत भूमि पर भ्रमण करते रहते थे। इस दौरान तपस्या करते और प्रकृति की गोद में, जंगल में वृक्ष की छाया में ही अपना जीवन बिताते थे।
6. एक ही कर्मभूमि: उल्लेखनीय है कि दोनों के ही कर्मभूमि बिहार ही रही है। भगवान महावीर स्वामी का जन्म स्थान क्षत्रिय कुण्ड ग्राम (कुंडलपुर-वैशाली) बिहार है जबकि गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी वन में रुक्मिनदेई नामक स्थान पर हुआ था। हालांकि बुध नेपाल छोड़कर बिहार आ गए थे।
7. साल का वृक्ष: बिहार में वैशाली नगर इनकी चर्चाओं का केंद्र था। दोनों के ही जीवन में साल के वृक्ष का महत्व रहा है। वृक्ष के नीचे ही वे तप करते थे। बुध ने साल के वृक्ष के नीचे ही देह त्याग की थी। गौतम बुद्ध ने वैशाख पूर्णिमा के दिन वटवृक्ष के नीचे संबोधि (निर्वाण) प्राप्त की थी। आज उसे बोधीवृक्ष कहते हैं जो कि बिहार के गया में स्थित है। महावीर स्वामी ने वैशाख शुक्ल 10 को बिहार में जृम्भिका गांव के पास ऋजुकूला नदी-तट पर स्थित साल वृक्ष ने नीचे कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया था।
8. अहिंसा: दोनों के ही दर्शन में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, तप, शौच, स्वाध्याय और संतोष मूल सिद्धांत के रूप में सामने आते हैं। चार आर्य सत्य, आष्टांगिक मार्ग, प्रतीत्यसमुत्पाद, अव्याकृत प्रश्नों पर बुद्ध का मौन, बुद्ध कथाएं, अनात्मवाद और निर्वाण। जबकि महावीर स्वामी का दर्शन पंच महाव्रत, अनेकांतवाद, स्यादवाद और त्रिरत्न में सिमटा हुआ है। इसमें समानता यह है कि दोनों ही धर्म में अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र, तप और ध्यान, अनिश्वरवाद आदि विद्यमान हैं। दोनों की ही विचारधारा अहिंसा पर आधारित थी और दोनों ने ही अहिंसा पर ज्यादा बल दिया।
9. राजा बने शिष्य: महावीर और बुद्ध के कई राजा महाराजा शिष्य थे। गौतम बुद्ध के शिष्यों ने ही बौद्ध धर्म को आगे बढ़ाया। इनमें से प्रमुख थे- आनंद, अनिरुद्ध (अनुरुद्धा), महाकश्यप, रानी खेमा (महिला), महाप्रजापति (महिला), भद्रिका, भृगु, किम्बाल, देवदत्त, और उपाली (नाई) आदि। जबकि महावीर के प्रमुख तीन शिष्य गौतम, सुधर्म और जम्बू ने महावीर के निर्वाण के पश्चात जैन संघ का नायकत्व संभाला। महावीर स्वामी के शिष्यों में या जैन धर्म को अपनाने वालों में छत्रियों और वैष्यों की संख्या अधिक रही जबकि बौद्ध धर्म को अपने वालों में ब्राह्मणों और दलितों की संख्या अधिक रही मानी जाती है।
10. मूर्तियां: दुनियाभार में भगवान महावीर और गौतम बुद्ध की ही मूर्तियां अधिक पाई जाती हैं। बुद्ध और महावीर के काल में उनकी बहुत तरह की मूर्तियां बनाकर स्तूप या मंदिर में स्थापित की जाती थी। दोनों की ही मूर्तियां को तप या ध्यान करते हुए दर्शाया गया हैं। महावीर स्वामी की अधिकतर मूर्तियां निर्वस्त्र है जबकि गौतम बुद्ध की मूर्तियां वस्त्र पहने हुए होती हैं।