मकर संक्रांति का उत्सव संपूर्ण भारत देश में विभिन्न रूप में मनाया जाता है। इसी दौरान पोंगल, माघ बिहू, भोगली बिहू, लोहड़ी, खिचड़ी उत्सव,पतंगोत्सव आदि उत्सव मनाए जाते हैं। मकर संक्रांति को सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इस दिन का खास महत्व रहता है। आओ जानते हैं कि यह कब है और क्या है इसका महत्व।
कब है मकर संक्रांति : सूर्य जब मकर राशि में गोचर करने लगता है तब यह त्योहार मनाया जाता है। अंग्रेजी माह के अनुसार इस बार यह पर्व 15 जनवरी के दरमियान मनाया जाएगा। हालांकि पंचांग भेद से कुछ जगह 14 जनवरी में दर्ज है।
मकर संक्रांति का महत्व : मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। एक अन्य कथा के अनुसार भगवान विष्णु की असुरों पर विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है। नई फसल और नई ऋतु के आगमन की खुशी को व्यक्त करने के लिए भी मकर संक्रांति धूमधाम से मनाई जाती है। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डू और अन्य मीठे पकवान बनाने की परंपरा है। इसी के साथ पतंग उड़ाई जाती है। मकर संक्रांति के मौके पर देश के कई शहरों में मेले लगते हैं।
मान्यता के अनुसार सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर चलता है, इस दौरान सूर्य की किरणों को खराब माना जाता है, परंतु जब सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने लगता है, तब उसकी किरणें सेहत और शांति के लिए लाभदायक मानी गई है। महाभारत काल के दौरान भीष्म पितामह जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ही देह त्यागी थी। मान्यता है कि उत्तरायण काल में देह छोड़ने से सद्गति मिलती है।