मां पर मुक्तक
न पूजा, न अरदास करता हूं,
मां तेरे चरणों में निवास करता हूं।
औरों लिए तू सब कुछ दे दे,
मैं तेरी मुस्कान की आस करता हूं।
तेरा हर आंसू दर्द का समंदर है,
मां बख्श दे मुझे जो दर्द अंदर है।
यूं न रो अपने बेटे के सामने,
तेरा आंचल मेरे लिए कलंदर है।
मां तू क्यों रोती है मैं हूं ना,
तुझको जन्नत के बदले भी मैं दूं ना।
तेरी हर सांस महकती मुझ में,
तेरे लिए प्राण त्याग दूं ना।
तू गीता-सी पवित्र है,
तू सीता का चरित्र है।
तुझ में चारों धाम विराजे,
तू मेरी अनन्य मित्र है।
तू रेवा की निर्मल धारा,
गंगा का तू मोक्ष किनारा।
तेरे चरणों में है ईश्वर,
तू मेरा जीवन उजियारा।
आंसू गिरे आंख से तेरे,
धिक्कार उठे जन्मों को मेरे।
मत रो मां तू अब चुप हो जा,
शीश समर्पित चरण में तेरे।
मां सावन की फुहार है,
मां ममता की गुहार है।
मां तेरे महके आंचल में,
हम बच्चों की बहार है।
तेरी ममता काशी जैसी,
बिन तेरे ये धरती कैसी।
तेरे हर आंसू की कीमत,
मेरे सौ जन्मों के जैसी।