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चाणक्य के विचार : कैसा होना चाहिए देश का युवा

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, बुधवार, 25 मई 2022 (16:56 IST)
chanakya niti
Chanakya Niti : युवाओं में ही होती है देश को संवारने और संभालने की शक्ति। देश को युवा कैसा होना चाहिए और उसे क्या करना चाहिए आओ जानते हैं चाणक्य के इस संबंध में विचार।
 
 
1. कामवासना : युवाओं को काम की भावना से दूर रहना चाहिए, क्योंकि यह प्रगति में बाधक ही नहीं जीवन बर्बाद करने की क्षमता भी रखती है। यह जीवन पर नकारात्मक असर डालती हैं और इससे वर्तमान के साथ-साथ भविष्य भी खराब हो जाता है। युवाओं का जीवन एक तपस्वी की भांति होना चाहिए।
 
2. क्रोध : क्रोध इंसान का सबसे बड़ा शत्रु है। यह व्यक्ति को बुद्धि को भ्रष्ट कर देता है। सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। ऐसे में निर्णय क्षमता भी खतम हो जाती है। युवाओं को क्रोध को खुद पर हावी नहीं होने देने चाहिए। उसका उपयोग करते याद होना चाहिए।
 
3. आलस्य करना : चाणक्य के अनुसार आलस्य व्यक्ति की उन्नति में बाधक है। किसी भी कार्य के प्रति आलस्य दिखाने से समय तो बर्बाद होगा ही आपकी सफलता में रुकावट भी आ जाएगी। युवाओं को आलस्य का त्याग करके हर काम सक्रिय रहते हुए अनुशासन के सात करना चाहिए, ताकि आलस्य जैसा शत्रु उनकी उन्नति में बाधा न बने।
 
4. नशा : चाणक्य कहते हैं कि नशा चाहे किसी भी चीज का हो यह युवाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बर्बाद कर सकता है। नशे की लत युवाओं को गलत काम करने को मजबूर कर देती है। और वे अपने साथ अपने संबंधियों को भी मुश्किल में डाल देते हैं। चाणक्य कहते हैं कि इनसे दूर रहें। 
 
5. बुरी संगत : जो मित्र आपके सामने चिकनी-चुपड़ी बातें करता हो और पीठ पीछे आपके कार्य को बिगाड़ देता हो, उसे त्याग देने में ही भलाई है। चाणक्य कहते हैं कि वह मित्र उस बर्तन के समान है, जिसके ऊपर के हिस्से में दूध लगा है परंतु अंदर विष भरा हुआ होता है। चाणक्य कहते हैं कि संगत आदमी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जहां अच्छे लोगों का साथ आपको सफलता के मार्ग पर ले जा सकता है, वहीं बुरे लोगों के बीच में बैठना आपके जीवन को कष्टों से भर सकता है। इसलिए हर व्यक्ति को अपनी संगत सोच-समझकर चुननी चाहिए।
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6. असावधानी : जोश में होश खो देने के कारण कई बार नुकसान उठाना पड़ता है। किसी भी कार्य को करने में लापरवाही नहीं बरतना चाहिए। कई बार लापरवाही जीवन में बहुत भारी पड़ जाती। जिसका खामियाजा उन्हें बाद में उठाना पड़ता है। चाणक्य के अनुसार, कोई भी काम करने से पहले किसी अनुभवी इंसान से सलाह जरूर ले लेना चाहिए और उस कार्य को सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
 
7. लालच : कहते हैं कि लालच बुरी बला। चाणक्य कहते हैं कि युवाओं को लालची बनने से बचना चाहिए। यह आदत आपके लक्ष्य में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
 
8. श्रृंगार : श्रृंगार युवाओं को भटकाता है। साफ सुधरे बने रहना अच्छी बात है लेकिन साज-सज्जा, श्रृंगार करने वाले युवाओं का मन अध्ययन से विलग होकर अन्य कहीं भटकता रहता है। अत: युवाओं को इससे दूर रहना चाहिए।
 
9. मनोरंजन : मनोरंजन हमारे मन को हल्का करता है, लेकिन अनावश्यक और अति मनोरंजन नुकसानदायक है। मनोरंजन उतना ही करें जितना जरूरी हो। अधिक मनोरंजन से युवा शक्ति का ह्रास होता है।
 
10. समय : चाणक्य नीति के अनुसार युवाओं को समय की कीमत जाननी चाहिए। जीवन में उन्हीं लोगों को लक्ष्य प्राप्त करने में सफलता प्राप्त होती है जो समय के महत्व को समझते हैं। जो समय का लाभ उठाने के लिए तैयार रहते हैं, वे ही अपने लक्ष्यों को पूरा कर पाने में सक्षम होते हैं। इसीलिए हर कार्य समय पर करें दीर्घसूत्री न बनें। 

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