गुरुग्राम के जगजीत सिंह ने बेजुबानों के मसीहा के रूप में इंसानियत की एक अनोखी मिसाल पेश की है। सर्दियों के मौसम में जब मौसम में ठंड बढ़ जाती है तो इंसानों के भी हाड़ कांपने लगते हैं। सर्दी का सितम सहाना इंसानों के बस की बात नहीं तो फिर बेजुबान डॉग्स जिनका ना कोई घर है ना ठिकाना उनका दर्द कौन समझता। ऐसे में गुरुग्राम के जगजीत सिंह इन बेजुबानों की मदद के लिए आगे आए। उन्होंने पुराने और बेकार पड़े ड्रमों को रिसाइकिल करके बेसहारा जानवरों, खासकर कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाना शुरू किया है। इन ड्रमों को अलग-अलग राज्यों से इकट्ठा किया जाता है और फिर उनकी मरम्मत करके उनमें गद्दे डालकर उन्हें पूरी तरह रहने लायक बनाया जाता है।
ठंड में जानवरों की मदद
ठंड के मौसम में बेसहारा जानवरों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जगजीत सिंह की इस पहल से इन जानवरों को ठंड से राहत मिल रही है और उन्हें रहने के लिए एक सुरक्षित जगह मिल रही है।
हर रविवार का उत्सव
हर रविवार को जगजीत सिंह और उनकी टीम करीब 300-400 ड्रम शेल्टर बांटते हैं। इन शेल्टरों को लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। जगजीत सिंह की बेटी ईशालीन कौर कहती हैं, "हम चाहते हैं कि सभी को ठंड से बचने का मौका मिले। ये जानवर हमारी मदद पर निर्भर हैं। अगर हम थोड़ा सा प्रयास करें तो हम उनके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। मेरे पिता जगजीत सिंह ने बहुत दिल से इस नेक काम की शुरुआत की और आज सभी की दुआएं उनके साथ हैं।"
जगजीत सिंह की यह पहल हमें यह सिखाती है कि हम सभी अपने आसपास के जरूरतमंदों की मदद कर सकते हैं। हमें बस थोड़ा सा प्रयास करने की जरूरत है। जगजीत सिंह ने साबित किया है कि एक व्यक्ति भी समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है। जगजीत सिंह की इस पहल से न केवल बेसहारा जानवरों को मदद मिल रही है बल्कि यह समाज के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत है। हमें भी जगजीत सिंह से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने आसपास के जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए।