Kite festival motivational: मकर संक्रांति का पर्व 'पतंग महोत्सव' के नाम से भी जाना जाता है। पतंग उड़ाने के पीछे मुख्य कारण है कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना। यह समय सर्दी का होता है और इस मौसम में सुबह का सूर्य प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्द्धक और त्वचा व हड्डियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। अत: उत्सव के साथ ही सेहत का भी लाभ मिलता है। हालांकि हम आपको यह भी बताना चाहते हैं कि पतंग से किस तरह जीवन जीने के गुर सीख सकते हैं।
1. ऊंची उड़ान : आसमां छूने की तमन्ना किसे नहीं रहती? जीवन में ऊंचा उठना आसान भी है और कठिन भी। कई लोग जीवन में ऊंचे तो उठ जाते हैं परंतु वहां जाकर वह घमंड में फूल जाते हैं, अकड़ जाते हैं और अपनों को या जिनकी वजह से ऊंचे उठे उनको हिन दृष्टि से देखते हैं, फिर जब उनके जीवन में डाउनफॉल आता है उनका सामने उन्हीं अपनों से होता है, तब वे पछताते हैं। इसलिए यह ध्यान रखें की जीवन में कितना ही ऊंचा उड़े लेकिन जमीन से जरूर जुड़े रहें अन्यथा जब जिंदगी की पतंग कटती है तो लुटने वाले छीना छपटी करके फाड़ देते हैं या फिर वह पतंग किसी ओर के अधीन हो जाती है।
2. चुनौती : आसमान में जब पतंग उड़ी है तब उसे अन्य पंतंगों से चुनौती का सामना करना पड़ता है। कई बार किसी पतंग से बचना होता है और कई बार किसी पतंग को काटना होता है। आसामान में देर तक बने रहने के लिए संघर्ष करना पड़ना न केवल किसी दूसरी पतंग से बल्कि विपरीत चल रही हवाओं से भी। जीवन भी इसी तरह के है। हमें कई लोग चुनौती देते हैं और कई बार हम विपरीत परिस्थिति से घिर जाते हैं। ऐसे में समझदारी से काम लेकर हमें खुद को ऊंचाई पर बनाए रखना होता है।
3. संतुलन : यदि पतंग के जोते सही बंधे हो और उचित तरीके और स्थान से पतंग उड़ाई जाए जो पतंग आसमान में ऊंची जाकर संतुलन बना लेती है। हमने देखा है कि कुछ लोगों की पतंग हवा के साथ इस तरह का संतुलन बना लेती है कि उसकी डोर को कहीं भी बांध कर चले जाओ तो फिर भी वह आसमान में स्थिर रहती है। यदि आपके जीवन में पतरंग की तरह संतुलन है तो विपरीत परिस्थिति आपका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है। यह संतुल आता है आपके कार्य करने के तरीके और कार्य से। जीवन में पतंग के जोते अर्थात हमारे रिश्ते हैं और यह प्रेम के धागे से बंधे होते हैं। इसी से जीवन में संतुलन आता है।
4. हार नहीं मानना : ऐसा भी होता है कि कई लोग जब शुरुआत में पतंग उड़ाना प्रारंभ करते हैं तब वे हवा की दिशा भांप नहीं पाते हैं और उनकी पतंग ऊंचे आसामान में नहीं उड़ पाती है। कई बार की असफलता के बाद आखिरकार वे पतंग उड़ाना सीख जाते हैं। हमने यह भी देखा है कि कई ऐसे पतंगबाज होते हैं जिनकी 2-5 बार पतंग कटने के बाद भी वे दूसरी पतंग लाकर आखिकार अपना मुकाम हासिल कर ही लेते हैं। और फिर उन्हें अनुभव इतना हो जाता है कि बाद में उनकी पतंग को कोई भी काटने से पहले 10 बार सोचता है।
5. आसमान में उड़ान है आसान जमे रहना मुश्किल : आपने देखा होगा कि पतंग को सैंकड़ों फुट ऊंचे आसमान में ले जाने के लिए किसी बड़े तामझाम की जरूरत नहीं होती है, बल्कि एक पतली सी डोर के सहारे वह ऊंचाइयों पर पहुंच जाती है। यदि डोर कच्ची हो तो पतंग टूटकर नीचे गिर जाती है परंतु यदि डोर पक्की हो तो वह आगे बढ़ जाती है। इसी तरह यदि हममें पक्का विश्वास है तो हम जीवन में आगे बढ़ेंगे और कच्चा विश्वास है तो गिर पड़ेंगे। आसमान में उड़ना आसान है लेकिन देर तक जमे रहना मुश्किल है। यह पक्के विश्वास की डोर के सहारे ही संभव होता है।
6. ऊंचा रखें वैचारिक स्तर : आसमान में जाने के बाद ही पतंग को पता चलता है कि आसामान कितना विशाल है। यहां पर खुद को व्यक्त करने की अनंत संभावनाएं है। नीचे भूमि के हर क्षेत्र को देखा जा सकता है। इसी तरह जब व्यक्ति अपने जीवन में ऊंचा उठता है तो उसे अपने विचार भी खुले रखना चाहिए और हर क्षेत्र को समझकर ही कोई निर्णय लेना चाहिए। जिसके पास जानकारी और ज्ञान की भंडार जीतना होगा वह उतना सफल होगा।
7. खुद की प्रतिभा को बाहर निकालें : जब पतंग घर के एक कोने में रखी होती है तब उसे कोई नहीं देखता है लेकिन जब वह आसमान में ऊंची उड़ने लगती है तब उसकी खुशी और सफलता के साथ ही सभी उसके उड़ने को देखकर खुश होते हैं। सभी उसकी तारीफ करते हैं। इसी तरह जब तक आप अपनी प्रतिभा को अपने तक ही सीमित करके रखेंगे तब तक आपकी ओर कोई नहीं देखेगा और आप सफलता की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। परंतु जैसे ही आप बाहर निकलकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने लगते हैं तो सभी लोग आपकी ओर देखने लगते हैं। आपका मान सम्मान बढ़ता है और आपकी खुशी के साथ ही आपकी समृद्धि भी बढ़ती है।