आज के दौर में समय और संबंध की वैल्यू बढ़ गई है। जो लोग यह समझते थे कि पैसा हर समस्या का हल है उनकी धारणा बदली है। फिर भी आपको यह समझना होगा कि भाग्य से बढ़कर आज के दौर में कर्म या भागीरथी पराक्रम महत्वपूर्ण हो चला है। इसके अलावा कई स्तर पर हमें अपनी लड़ाई खुद लड़ना होती है इसीलिए हौसले, धैर्य और समझदारी की जरूरत भी होती है।
	 
 
									
			
			 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
	 
	भाग्य के भरोसे मत रहो:
	1. जिंदगी भाग्य से नहीं चलती। भाग्य भी तभी चलता है जब कर्म का चक्का घुमता है। 
 
									
										
								
																	
	 
	2. इंसान की जिंदगी जन्म और मौत के बीच की कड़ी-भर है। यह जिंदगी बहुत छोटी है। कब दिन गुजर जाएंगे, आपको पता भी नहीं चलेगा इसलिए प्रत्येक दिन का भरपूर उपयोग करना चाहिए।
 
									
											
									
			        							
								
																	
	 
	3. कुछ ऐसे भी कर्म करना चाहिए, जो आपके भविष्य को उज्जवल बनाए और जो अगले जीवन की तैयारी के हों। 
 
									
											
								
								
								
								
								
								
										
			        							
								
																	
	 
	4. अत: इस जीवन में जितना हो सके, उतने अच्छे कर्म कीजिए। एक बार यह जीवन बीत गया, तो फिर आपकी प्रतिभा, पहचान, धन और रुतबा किसी काम नहीं आएंगे।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	अपनी लड़ाई खुद लड़ो : 
	1. जिंदगी एक उत्सव है, संघर्ष नहीं। यदि आप अपनी जिंदगी को संघर्ष समझते हैं तो निश्चित ही वह संघर्षमय होने वाली है।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	2. हालांकि जीवन के कुछ मोर्चों पर व्यक्ति को लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। जो व्यक्ति लड़ना नहीं जानता, युद्ध उसी पर थोपा जाएगा या उसको सबसे पहले मारा जाएगा। उसी के जीवन में संघर्ष भी होगा। 
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	3. अपनी चीज को हासिल करने के लिए कई बार युद्ध करना पड़ता है। अपने अधिकारों के लिए कई बार लड़ना पड़ता है। जो व्यक्ति हमेशा लड़ाई के लिए तैयार रहता है, लड़ाई उस पर कभी भी थोपी नहीं जाती है।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	4. यदि तुम यह सोचते हो कि तुम्हें कोई मदद करने आएगा तो यह बात दिमाग से निकाल लो, क्योंकि अधिकतर मोर्चों पर अपनी लड़ाई खुद ही लड़ना पड़ती है। अकेले ही जीने और करने की ताकत पैदा करो, किसी के भरोसे मत रहो। जो व्यक्ति ऐसा करने की क्षमता नहीं रखते हैं वे संघर्ष या संकटकाल में जल्दी ही हार जाते हैं। समय की नजाकत को समझते हुए सावधान और सतर्क रहना सीखें।