सकारात्मकता को अंग्रेजी में पाज़िटिविटी ( Positivity ) कहते हैं। आपके जीवन में नाकारात्मक सोच का असर ज्यादा प्रभावी होता है क्योंकि नाकारात्मकता (negativity) हमारे भीतर खुद-ब-खुद ही आ जाती है जबकि सकारात्मकता हमें लाना पड़ती है। सफलता की चाबी है पॉज़िटिविटी। कैसे आओ इस संबंध में जानते हैं रोचक बातें।
'आज हम जो भी हैं वह हमारे अतीत के विचारों का परिणाम है।'- गौतम बुद्ध
'मनुष्य वह प्राणी है जो अपने विचारों से बना है। वह जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है।'- स्वामी अवधेशानंद गिरि
1. अच्छी भली छत : एक बार कुछ लोग एक जगह एकत्रित होकर एक हाल में ध्यान करते थे। वहां छत के पेंट में एक दरार थी। एक व्यक्ति की नजर उस पर पड़ी। उसने सोचा कि यह छत तो टूटी हुई है यह कभी भी हमारे उपर गिर सकती है। उसने संचालक को यह बात बताई तो संचालक ने कहा कि छत टूटी हुई नहीं है, यह तो हमने जो पेंट कराया था वो अब उखड़ रहा है उसमें यह दरार है। लेकिन उस व्यक्ति के भीतर नकारात्मक विचार आ गया था। उसने दूसरे लोगों से यह कहना शुरु कर दिया कि वो देखो छत टूटी हुई है। सभी ने उसकी बात मान ली और सभी जब रोज ध्यान करने आते थे तो उनका ध्यान छत पर ही रहता था कि कहीं यह छत टूटकर हमारे उपर न गिर जाए। सभी की नाकारात्मक सोच का परिणाम यह हुआ कि एक दिन वह छत सच में ही टूट कर गिर गई।
2. कार पार्किंग : एक व्यक्ति जब भी ऑफिस आता था तो उसे अपनी कार पार्क करने की उचित जगह नहीं मिलती थी। कभी कभी तो उसे कार को बाहर पार्क करना होता था। वह रोज सोचा था कि काश उस शेड के नीचे नंबर 4 पर मेरी कार पार्क हो तो सेफ रहेगी। कुछ दिन बाद यह हुआ कि शेड नंबर 4 पर उसे जगह खाली मिली तो उसने वहीं पर अपनी कार पार्क कर दी। फिर एक वक्त ऐसा आया कि वह भले ही देर से ऑफिस पहुंचे उसे वह जगह खाली ही मिलती थी। क्या यह उसकी सोच या इच्छा का परिणाम नहीं था?
3. सोचे अपनी सोच पर : सोचे अपनी सोच पर कि वह कितनी नेगटिव और कितनी पाज़िटिव है, वह कितनी सही और कितनी गलत है। आप कितना अपने और दूसरों के बारे में अच्छा और बुरा सोचते रहते हैं? जब आप खुद की सोच पर ध्यान देने लगते हैं तो आप निश्चित ही पाज़िटिव सोच को बढ़ावा भी देने लगेगें।
4. अच्छी किताबें पढें : अच्छे विचारों का अध्ययन करना और इस अध्ययन का अभ्यास करना। आप स्वयं के ज्ञान, कर्म और व्यवहार की समीक्षा करते हुए पढ़ें, वह सब कुछ जिससे आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हो साथ ही आपको इससे खुशी भी मिलती हो। तो बेहतर किताबों को अपना मित्र बनाएं।
5. सकारात्मक सोचे : सकारात्मक विचार हमारे मस्तिष्क में स्वत: ही आते हैं उन्हें सोचना नहीं पड़ता है, जबकि सकारात्मक बातों को सोचने के लिए जोर लगाना होता है। जब भी आपके मस्तिष्क में कोई नकारात्मक विचार आए तो आप तुरंत ही एक सकारात्मक विचार सोचे। यह प्रक्रिया लगातार दोहराते रहेंगे तो एक दिन नकारात्मक विचार आना बंद हो जाएंगे।
6. सफलता की चाबी है सकारात्मकता : नकारात्मक सोच जहां हमें निराशावादिता और असफलता की ओर ले जाती है वहीं सकारात्मक सोच हमें उत्साह और सफलता की ओर ले जाती है। यदि आप आशावादी बनकर निरंत यह सोचते हैं कि हमारा भविष्य उज्जवल होगा और हम हमेशा आगे ही बढ़ेंगे तो निश्चित ही ऐसा ही होगा। यह प्रयोग करके देखेंगे तो आप सफल हो जाएंगे।
7. तुम क्या चाहते हो यह सोचो : तुम जीवन में क्या चाहते हो यह तुम कभी गंभीरता से सोचते हो? कई बार लोग अपनी चाहत बदलते रहते हैं क्योंकि उनमें नकारात्मका बहुत होती है तो उन्हें जीवन में कोई वस्तु समय पर नहीं मिल पाती है। इसका कारण है यह भी है कि वे कभी किसी को गंभीरता से चाहते ही नहीं है। कहते हैं कि कोई वस्तु इतनी शिद्दत से चाहो कि वो खुद तुम्हारे पास चली आए। कहते भी हैं कि एक साधे सब सधे और सब साधे कोई ना सधे।
अजीब है कि कोई दवा नहीं, एक्सरसाइज नहीं और कोई भी इलाज नहीं फिर भी लोग सोचकर कैसे ठीक हो सकते हैं? दुनिया में ऐसे बहुत से चमत्कार हुए हैं, लेकिन इसके पीछे के रहस्य को कोई नहीं जानता।