कोरोना की पहली के बाद दूसरी लहर ने कई लोगों को चपेट में लिया और वे मृत्यु का ग्रास बन गए। हालांकि लाखों लोग ठीक होकर घर भी चले गए है। अब करोना की लहर धीमी हो रही है। अधिकतर लोगों को वैक्सीन का पहला डोज लग गया है और अब लोग भी समझने लगे हैं कि मास्क लगाना, बार बार हाथ धोना और दूरी बनाए रखना ही बचने का एक मात्र विकल्प है। अब तीसरी लहर के खौफ के बीच हम सकारात्मक सोच से जंग को जीत सकते
हैं।
1. सकारात्मक सोच से ठीक हो गए कई लोग : कोरोनाकाल के दौरान लोगों में निराशा, हताशा और भय के साथ ही मन में नकारात्मक अर्थात निगेटिव सोच का जन्म भी हो चला है। ऐसे में सोच को सकारात्मक रखना जरूरी है क्योंकि सकारात्मक सोच से ही सबकुछ अच्छा होने लगता है और व्यक्ति फिर से सफलता प्राप्त कर सकता है। यदि आपकी सोच नकारात्मक है तो आप खुद को तो डुबोएंगे ही साथ ही दूसरों को भी डूबा देंगे। ऐसे में खुद की सोच को सकारात्मक अर्थात पॉजिटिव बनाए रखना जरूरी है। यह देखा गया है कि कई लोग नकारात्मक सोच और डर के कारण ही जान गवां बैठे हैं, जबकि कई ऐसे लोग हैं जिनको 95 प्रतिशत से अधिक संक्रमण फैला था फिर भी वे अस्पताल से ठीक होकर घर वापस लौट आए हैं।
2. सोचे अपनी सोच पर : सोचे अपनी सोच पर कि वह कितनी नकारात्म और कितनी सकारात्मक है, वह कितनी सही और कितनी गलत है। आप कितना अपने और दूसरों के बारे में अच्छा और बुरा सोचते रहते हैं। इस तरीके को योग में स्वाथ्याय करते हैं। अर्थात स्वयं को अध्ययन करना। जब आप खुद की सोच पर ध्यान देने लगते हैं तो आप निश्चित ही अच्छी सोच को बढ़ावा भी देने लगेगें। स्वाध्याय का अर्थ है स्वयं का अध्ययन करना। अच्छे विचारों का अध्ययन करना और इस अध्ययन का अभ्यास करना। आप स्वयं के ज्ञान, कर्म और व्यवहार की समीक्षा करते हुए पढ़ें, वह सब कुछ जिससे आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हो साथ ही आपको इससे खुशी भी मिलती हो। तो बेहतर किताबों को अपना मित्र बनाएं।
3. सकारात्मक बातें सोचना पड़ती है : नकारात्मक विचार हमारे मस्तिष्क में स्वत: ही आते हैं उन्हें सोचना नहीं पड़ता है, जबकि सकारात्मक बातों को सोचने के लिए जोर लगाना होता है। जब भी आपके मस्तिष्क में कोई नकारात्मक विचार आए तो आप तुरंत ही एक सकारात्मक विचार सोचे। यह प्रक्रिया लगातार दोहराते रहेंगे तो एक दिन नकारात्मक विचार आना बंद हो जाएंगे।
4. विश्वास : आप ईश्वर पर विश्वास रखें या खुद पर परंतु विश्वास बहुत मदद करता है। यह आपकी सोच को सकारात्मक बनाता है। आपके भीतर विश्वास की ताकत है तो इससे आशा का जन्म होगा और आशा से ही सोच सकारात्मक होने लगेगे। इसलिए यह जरूर सोचे की जीवन में हार और जीत या उतार चढ़ाव तो लगे ही रहते हैं परंतु इससे घबराकर मैं हताश या निराश नहीं होऊंगा, बल्कि एक योद्धा की तरह आगे बढूंगा। खुद के भीतर एक फाइटर को पैदा करें।
5. निगेटिव खबरों और नुस्खों से दूर रहें : सोशल मीडिया पर ज्ञान बांटने वाले और नेगेटिविटी फैलाने वाले हजारों लोग हैं। सबसे पहले तो आप इसका उपयोग बंद करके ऑथेंटिक सोर्स पर ही ध्यान दें। महामारी के क्या नुकसान होते हैं इस पर ध्यान ना देकर समाधान पर ध्यान दें। कंफ्यूजन में ना रहें। फोन पर ज्यादा लोगों से बात ना करें। सिर्फ उन्हीं से बात करें तो आपको मोटिवेट करते हैं या जिनके विचार सकारात्मक हैं। निगेटिव लोगों के फोन अटैंड ही ना करें।
6. महामारी का इलाज है परंतु भय का कोई इलाज नहीं : डॉक्टर मानते हैं कि भय और चिंता से आपका इम्युनिटी सिस्टम गड़बड़ा जाता है। कोरोना काल में सबसे जरूरी है इम्युनिटी पावर को बढ़ाना। यदि आप भय और चिंता से घिरे रहेंगे तो इम्युनिटी बूस्टर लेने का कोई फायदा नहीं होगा। तनाव आपकी (आंतरिक) शक्ति और आत्मा की आवाज को दबा देता है। इसलिए इसे समझें और इससे दूर रहें। मन को मनोरंजन और रिश्तों में संवाद में लगाएं।
7. नींद और कसरत : भरपूर नींद और कसरत आपके दिमाग और मन को शक्ति ही प्रदान नहीं करते हैं बल्कि इम्युनिटी पावर भी डेवलप करते हैं। हमारी नींद सबसे बड़ी डॉक्टर है। चिंता और भय से घिरे मनुष्य की नींद कम हो जाती है। इसलिए जब भी सोने का मौका मिले जरूर सो जाएंगे भले ही झपकी लें लें। झपकी में वह क्षमता है जो 8 घंटे की नींद में भी नहीं है।
8. मेडिटेशन : मेडिटेशन अर्थात ध्यान। ध्यान करना बहुत ही सरल है। मात्र 5 मिनट का ध्यान चमत्कारिक लाभ दे सकता है। रोगी रहने के लिए ध्यान करना जरूरी है। ध्यान से उच्च रक्तचाप नियंत्रित होता है। सिरदर्द दूर होता है। ध्यान से शरीर में स्थिरता बढ़ती है। यह स्थिरता शरीर को मजबूत करती है। ध्यान से मन और मस्तिष्क शांत रहता है। ध्यान आपके होश पर से भावना और विचारों के बादल को हटाकर शुद्ध रूप से आपको वर्तमान में खड़ा कर देता है। डॉक्टर कहते हैं कि डर से आपकी प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है। इसीलिए कहा गया है कि ध्यान से शरीर में प्रतिरक्षण क्षमता (इम्यून) का विकास होता है। ध्यान करने से तनाव नहीं रहता है। दिल में घबराहट, भय और कई तरह के विकार भी नहीं रहते हैं।