Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

शब्द उल्लास का आगाज : अच्छे शब्द क्या है, क्यों है इनकी जरूरत? वेबदुनिया की बड़ी पहल

हमें फॉलो करें शब्द उल्लास का आगाज : अच्छे शब्द क्या है, क्यों है इनकी जरूरत? वेबदुनिया की बड़ी पहल

WD

शब्द...क्या है, कहां से आए कैसे आए क्यों आए... चर्चा अब इस पर नहीं, अब चर्चा इस पर होगी कि ब्रह्मांड में जो शब्द विद्यमान हैं उनकी उपयोगिता से अनभिज्ञ हम उनका कैसा और कितना दुरुपयोग कर रहे हैं। मीडिया में रहते हुए हमारी महती जिम्मेदारी है कि हम अपने शब्दों के प्रति पूरी तरह से चैतन्य और जागरूक रहें। हमारा एक शब्द करोड़ों लोगों तक पंहुचता है और कई कई लोगों तक कई कई गुना असर करता है।  
 
हमने देखा पिछले दिनों सोशल मीडिया पर नफरतों के सैलाब आ रहे हैं, कड़वाहट और कट्टरता के किस्से रचे जा रहे हैं। डर, भय और नकारात्मकता ने जड़ें जमा ली हैं। वेबदुनिया ने महसूस किया कि अब इन सबके बीच हमें फिर लौटना होगा उन सुंदर, सरल सार्थक और सकारात्मक शब्दों की तरफ जो आशा से लेकर उम्मीद तक और खुशी से लेकर खिलखिलाहट तक, सादगी से लेकर सुंदरता तक और हंसी से लेकर हौसलों तक की उड़ान तय करते हैं। 
 
हम प्रति सप्ताह लेकर आ रहे हैं समाज में प्रचलित कोई एक शब्द की वि‍वेचना जो हम सबको तुरंत और तत्काल आकर्षित करता है। सबसे ज्यादा मोहता है। जिसे सुनकर पढ़कर देखकर मन में एक सुखद लहर दौड़ जाती है। हम ऐसा कोई दावा नहीं करते कि हमारे इस अभियान से दुनिया बदल जाएगी लेकिन अगर इन्हें पढ़कर समझकर कहीं कोई एक व्यक्ति के मन में भी अच्छी सोच और विचारों का झरना फूट पड़ेगा तो इस शब्दों के इस महासमुद्र में कहीं कोई एक सार्थकता की बूंद तो पड़ ही जाएगी... और मित्रों बूंद-बूंद से ही तो सागर बनता है।  
 
अमृता प्रीतम ने कहीं लिखा है 
 
'शब्द शब्द है। उसे किसी की नफरत छू जाए तो वह एक गाली बन जाता है। वह आदि बिन्दु के कम्पन को छू ले तो कॉस्मिक ध्वनि बन जाता है और वह किसी की आत्मा को छू ले तो वेद की ऋचा बन जाता है, गीता का श्लोक बन जाता है, कुरान की आयत बन जाता है, गुरुग्रंथ साहब की वाणी बन जाता है...।ठीक उसी तरह, जैसे पत्थर पत्थर है- गलत हाथों में आ जाए तो किसी का जख्म बन जाता है, किसी माइकल एंजेलो के हाथों में आ जाए तो हुनर का शाहकार बन जाता है, किसी का चिंतन छू ले तो वह शिलालेख बन जाता है। वह किसी गौतम का स्पर्श पा ले तो वज्रासन बन जाता है और किसी की आत्मा उसके कण-कण को सुन ले तो वह गारे-हिरा(गुफा हीरे की) बन जाता है।'
 
शब्दों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने और अपने दायित्वों को तय करने के लिए प्रति सप्ताह हम एक शब्द को लेकर उसके अच्छे और दूरगामी असर पर बात करेंगे। इस काम में हमारे साथ टीम के अलावा भाषाविद् और विद्वान भी जुड़ेंगे और हमारे सुधी पाठक गण भी.... 
 
बानगी के तौर पर शब्द माला के कुछ मोती आपके सामने हैं और आप स्वयं तय कीजिए कि इन शब्दों ने आपके मन मस्तिष्क पर क्या और कैसा प्रभाव डाला है। 
 
उल्लास, उमंग, खुशी, आशा, प्रसन्नता, सफलता, तरक्की, फायदा, लाभ, उम्मीद, किरण, अच्छे दिन, अच्छा, जीवन ....शब्दों से आगे चलें तो छोटे छोटे वाक्य आपकी सोच की दिशा बदल देते हैं, आप राहत महसूस करने लगते हैं जैसे किसी अवसाद में डूबे व्यक्ति को कहें कि सब बढ़िया होगा, सब ठीक होगा तो एक न एक बार कोई छोटी सी रोशनी तो चमक ही जाती है..कौन जाने, जाने-अनजाने कहे इस रोशन-वाक्य ने किसी डूबते को तिनके का सहारा ही दिया हो... किसी बीमार को कहे जाने वाले 'गेट वेल सून' में भी उतना ही चमत्कारी असर है जितना किसी हारे के कंधे पर हाथ रखकर कहा गया वाक्य- मैं हूं ना... 
 
तो अगली कड़ी में हम आपके साथ होंगे एक सार्थक और सकारात्मक शब्द 'उल्लास' की विवेचना के साथ.... 
 
शब्द वही शब्द होने के योग्य हैं जो चेहरे पर मुस्कान सजा दे,
गम की सारी परतें हटा दे,
नफरतों के साए मिटा दे और प्यार के रिश्ते बना दे.... 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नवरात्रि में पहचानें 9 देवियों का औषधीय दुर्गा कवच, हर देवी के नाम की है एक विशेष औषधि