भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनाव से पहले नाराज वर्ग को मनाने का सरकार का हर दांव उलटा पड़ता दिखाई दे रहा है। प्रदेश में सरकार से नाराज अतिथि शिक्षकों को मनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मास्टर स्ट्रोक चलते हुए अतिथि शिक्षकों के मानदेय को दोगुना करने का फैसला किया था।
लेकिन सरकार का ये मास्टर स्ट्रोक भी बेकार चला गया। अतिथि शिक्षकों ने सरकार की इस सौगात को खारिज करते हुए इसे 'चुनावी जुमलेबाजी' बताया है। 'वेबदुनिया' से बात करते हुए अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष शंभूचरण दुबे ने कहा कि सरकार मानदेय बढ़ाकर केवल वोट लेना चाहती है। उनका कहना है कि सरकार ने पहले ही नए सत्र से अतिथि शिक्षकों के मानदेय को बढ़ाने की घोषणा की थी लेकिन आज तक अतिथि शिक्षकों को बढ़ा हुआ वेतन नहीं मिला।
उन्होंने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने उनको आश्वासन दिया था कि संविदा भर्ती में अतिथि शिक्षकों को 25 फीसदी का आरक्षण दिया जाएगा, लेकिन अब जब संविदा की वेकेंसी आई तो उसमें उनको इसका फायदा नहीं मिल रहा है।
सरकार के दिए आश्वासन को पूरा नहीं किए जाने पर अतिथि शिक्षक जल्द ही भोपाल में एक बड़ा आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं संघ के अध्यक्ष ने ऐलान किया है कि उनके संघ के 78,000 अतिथि शिक्षक और उनके परिवार के लोग चुनाव में भाजपा का विरोध करेंगे और भाजपा के उम्मीदवारों को वोट नहीं देंगे।
सरकार ने दी थी सौगात : इससे पहले सोमवार को मध्यप्रदेश में आचार संहिता लगने से पहले शिवराज सरकार ने अतिथि शिक्षकों की नाराजगी दूर करने के लिए अतिथि शिक्षकों के मानदेय को सीधे दोगुना कर दिया है। सरकार ने कहा था कि उसके इस फैसले का फायदा प्रदेश के 60,000 अतिथि शिक्षकों को होगा। सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी गई थी।