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भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने का विश्वास दिलानेवाला बजट

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अवधेश कुमार

संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण से बजट की दिशा, चरित्र और नीतियों का आभास मिल गया था। आर्थिक सर्वेक्षण नरेन्द्र मोदी सरकार के द्वितीय कार्यकाल का रोडमैप ही था। इसमें प्रधानमंत्री के अगले पांच वर्षों में भारत को 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य के साथ चुनाव पूर्व भाजपा के संकल्प पत्र में घोषित सामाजिक-आर्थिक विकास की वर्तमान स्थितियों एवं उसकी कार्ययोजनाओं का भी संकेत था। वित्त मंत्री ने उन सबको समाहित करते हुए आम आदमी की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले कदमों के साथ आर्थिक चुनौतियों का सामना करने वाला भारत की सामूहिक आकांक्षओं को पूरी तरह अभिव्यक्त करते हुए एक संतुलित बजट पेश किया है। 
 
अंतरिम बजट में भारत को समृद्धतम देश बनाने के लिए दस आयाम घोषित किया गया था। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी चर्चा करते हुए कहा भी यह एक निरंतरता का बजट है। 10 आयामों की चर्चा करते हुए सीतारमण ने फिजिकल-सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर तक और मेक इन इंडिया से लेकर ब्लू इकॉनमी तक की चर्चा की। वस्तुतः अंतरिम बजट को और सशक्त किया गया है। उन्होंने अपने बजट भाषण की शुरुआत 5000 अरब डॉलर का लक्ष्य पाने के साथ की। यह सच है कि जब नरेन्द्र मोदी सरकार सत्ता में आई थी तो भारत की अर्थव्यवस्था 1.85 खबर अमेरिकी डॉलर की थी। इस वर्ष वह 2.7 खरब डॉलर तक पहुंची। कुछ ही समय में यह 3 खरब डॉलर की हो जाएगी। इसके आधार पर 5 खरब डॉलर तक लक्ष्य पाने की उम्मीद अव्यावहारिक नहीं है। 
 
बजट इस बड़े लक्ष्य पर केन्द्रित अवश्य है लेकिन इसको पाने के लिए समाज के निचले तबके के कल्याण से लेकर उच्चतर तबके की जिम्मेदारियां तय की गईं हैं। इसे सबका बजट और संतुलित बजट कहा जा सकता है। इसमें अर्थव्यवस्था के समक्ष सारी चुनौतियों का हल करने की कोशिश है, आधारभूत संरचना पर फोकस है तो कारोबारी, उद्योग, किसान, गांव, गरीब, असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों, खुदरा व्यापारियों आदि के कल्याण के लिए काफी कुछ किया गया है। शहरी आबादी, युवाओं, महिलाओं सबके लिए बजट में काफी कुछ है। बजट की थीम यह है कि अर्थव्यवस्था के सभी अंगों को एक साथ मिलाकर समग्रता में ध्यान दिया जाए तो उसका परिणाम हर क्षेत्र के बीच संतुलन बनाने के रूप में सामने आएगा। 
 
5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए 4 प्रतिशत से नीचे मुद्रास्फीति एवं आठ प्रतिशत की विकास दर चाहिए। पिछले वित्त वर्ष के अंतिम तिमाही में विकास दर 5.8 प्रतिशत पर आ गया था। इसका मुख्य कारण एनबीएफसी यानी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की खस्ताहाली, विनिर्माण एवं कृषि विकास का धीमापन माना गया था। 

बजट में वित्त मंत्री ने एनबीएफसी की समस्याओं के समाधान के लिए सारे संभव कदम उठाए गए हैं। चरमरा रहे बैंकों के लिए 70 हजार करोड़ के पुनर्पूंजीकरण का ऐलान अत्यंत महत्वपूर्ण है। मोदी सरकार के कार्यकाल में नए कानूनों के कारण 4 लाख करोड़ का कर्ज वसूला गया है। एनपीए में एक लाख करोड़ की कमी आ गई है। बैंकों के पास धन आने का मतलब हुआ उद्योग और करोबार को कर्ज के लिए धन की उपलब्धता। इस तरह विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन मिल सकता है। वित्त मंत्री ने कहा कि आजादी के पूर्व जो भावना स्वदेशी की थी वही भावना अब मेक इन इंडिया का है।
 
 
तो मेक इन इंडिया के लिए बजट में जितने प्रावधान हैं उनसे उम्मीद जगती है कि भारत विनिर्माण हब का ठोस केंद्र हो सकता है। अगले पांच वर्ष में 100 लाख करोड़ रुपया आधारभूत संरचना तथा 25 लाख करोड़ रुपया कृषि एवं ग्रामीण आधारभूत संरचना के लिए खर्च की घोषणा बहुत बड़ी है। अंतरराष्ट्रीय वित्त पर नजर रखने वाले जानते हैं कि बाजार में भारी धन निवेश के लिए पड़ा हुआ है। आपको बस उनको अपने यहां लाने के लिए कोशिश करनी है। यह ऐसी महात्वाकांक्षी योजना है जिसके साकार होने के बाद वाकई जैसा प्रधानमंत्री ने कहा न्यू इंडिया की कल्पना साक्षात होगी। इसके लिए बजट जो कहता है उसे देखिए।

इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग के लिए साधनों को लेकर कई सुधारों के प्रस्ताव किए गए हैं। क्रेडिट गारंटी एनहैंसमेंट कॉर्पोरेशन के लिए आरबीआई से नोटिफेशन आ चुका है। इसकी स्थापना 2019-20 में हो जाएगी। इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड्स और एनबीएफसी की ओर से जारी डेट सिक्यॉरिटीज में एफआईआई और एफआई निवेश को घरेलू निवेशकों को निश्चित अवधि के लिए ट्रांसफर करने की अनुमति दी जाएगी। वित्त मंत्री ने सड़क, जलमार्ग और वायुमार्ग को मजबूती प्रदान करने के सरकार के लक्ष्यों का जिक्र किया।
 
 
वास्तव मे 5000 खरब डॉलर पाना लक्ष्य है और उसका पूरा आधार बनाया गया है। पहली बार उपभोग पर फोकस की बजाय विकास की वृद्धि को बचत, निवेश और निर्यात के अच्छे चक्र से बनाए रखने की बात है। निवेश, विशेषकर निजी निवेश विकास का मुख्य प्रेरक होता है, जो मांग, क्षमता, निर्माण, श्रम उत्पादकता में वृद्धि करता है। पिछले पांच वर्षों में इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्ट्सी कोड जैसे बड़े सुधारों के कारण हमारी अर्थव्यवस्था छलांग लगाने को तैयार है। जैसा बजट में साफ किया गया है कि मुद्रास्फीति लगातार नियंत्रण में है और रहेगी जो कि विकास को ताकत देगा। गहराई से देखा जाए तो बजट ने मांग, नौकरियों, निर्यात की विभिन्न आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए इन्हें अलग समस्याओं के रूप में नहीं, बल्कि एक साथ जोड़कर प्रावधान और नीतियां बनाई गईं हैं।
 
 
मोदी सरकार ने पिछले 1000 दिनों में 130 से 135 कि.मी. लंबी सड़कें रोज बनाईं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रीन टेक्नॉलॉजी के इस्तेमाल से 30 हजार किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई जा चुकी हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे चरण में 1.25 लाख कि.मी. सड़कों को अगले पांच सालों में अपग्रेड किया जाएगा। इस पर 80,250 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
 
कृषि की ओर आएं तो इसमें व्यापक निवेश की बात है। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए पहले की नीतियों को आगे बढ़ाया गया है। इसमें कृषि से जुड़े उद्योगों पर भी फोकस है। कहा गया है कि अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने के लिए हमारे पास कार्यक्रम हैं। उदाहरण के लिए सौर उर्जा ईकाइयों से किसान ऊर्जा बचाकर उसकी बिक्री कर सकते हैं। बजट में सबसे बड़ी बात यह है कि आने वाले समय में किसानों के लिए बजट लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। स्किम ऑफ फंड फॉर अपग्रेडेशन एंड रीजनरेशन ऑफ ट्रेडिशनल इंडस्ट्रीज (स्फूर्ति) योजना के तहत ज्यादा कॉमन फैसिलिटी सेंटर स्थापित किए जाएंगे और एग्रो रूरल इंडस्ट्री सेक्टर में 75 हजार स्किल्ड आंट्रप्रन्योर्स तैयार किए जाएंगे।

 
2022 तक सभी को आवास, बचे सभी परिवारों को शौचालय, इच्छुक सभी परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन, सभी को बिजली, पेयजल उपलब्ध कराने की घोषणा गांवों के जीवन स्तर में कितना बदलाव जाएगा इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है। 
 
बजट का एक सिद्धांत अमीरों पर कर लगाओ और गरीबों का कल्याण करों है। उदाहरण के लिए 2 से 5 करोड़ आय पर 3 प्रतिशत अधिभार लगेगा। 5 करोड़ रुपए सालाना से अधिक आय वाले लोगों पर 7 प्रतिशत अतिरिक्त अधिभार लगेगा। कारोबार में नकदी के प्रयोग को कम करने के लिए प्रावधान किया गया है कि एक खाते में 1 साल में 2 करोड़ से ज्यादा की निकासी होगी तो 2 प्रतिशत टीडीएस कट जाएगा।

निस्संदेह, एक वर्ग को यह पसंद नहीं आएगा। किंतु देश को विकास के लिए धन चाहिए तो अमीरों को उसका भार वहन करना ही होगा। यह नहीं भूलना चाहिए कि 400 करोड़ रुपए का कारोबार करने वाली कंपनियों को अब 25 प्रतिशत की दर से कॉरपोरेट कर देना होगा। इससे पहले 250 करोड़ रुपए तक का कारोबार करने वाली कंपनियों पर कम दर से कर लगाया गया था। इन दोनों को एक साथ मिलाकर देखना चाहिए। आम आय कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। 
 
अंतरिम बजट को कायम रखते हुए 5 लाख रुपए सालाना से अधिक आय पर ही कर देना होगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए मानक छूट (स्टैंडर्ड डिडक्शन) की सीमा 40 हजार रुपए से बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दी गई। अब नौकरी-पेशा लोग दो घरों के लिए एचआरए का आवेदन कर सकते हैं। एचआरए पर कर छूट 1.80 लाख रुपए से बढ़कर 2.40 लाख कर दी है। मध्यम वर्ग के लिए 45 लाख का घर खरीदने पर कर्ज के ब्याज पर 3.5 लाख रुपए की छूट मिलेगी। पहले यह 2 लाख रुपए थी।

इस ऐलान से 15 साल की अवधि के आवास कर्ज पर लाभार्थी को सात लाख रुपए तक का फायदा होगा। इस तरह निम्न मध्यम वर्ग एवं मध्यम वर्ग के लिए यह बजट बेहतर प्रावधान लेकर आया है। यह लोगों को घर खरीदने के लिए प्रेरित करेगा और आवास क्षेत्र को गति देगा। जैसा हम जानते हैं सबसे ज्यादा रोजगार आवास निर्माण क्षेत्र से ही मिलता है। इस तरह आवास एवं आधारभूत संरचना संबंधी निर्माण भारत को विकसित देशों की श्रेणी में ही लाएगा बल्कि रोजगार और कारोबार का व्यापक अवसर प्रदान करेगा।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है यह भारत के सभी वर्गों और क्षेत्रों की विकास को परवान चढ़ाने के लिए सभी संभाव उपाय करते हुए आकांक्षाओं को बढ़ाने और उसे पूरा करने का विश्वास दिलाने वाला बजट है। 

(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।)
 
 

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