Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कोरोना काल की कहानियां : वो सात दिन....पुस्तकें बनीं मित्र

हमें फॉलो करें कोरोना काल की कहानियां :  वो सात दिन....पुस्तकें बनीं मित्र
webdunia

कुणाल मिश्र

पिछले सात दिनों से धर्मपत्नी स्मिता अस्पताल में है आज उसकी घर वापसी की खुशी है।अरे ये क्या??मुझे बुखार क्यों लग रहा है।लग नहीं रहा है दो बार नापने पर थर्मामीटर भी 101.6 बता रहा है। सांस भी फूल रही है। तत्काल डॉ दीपाली को फ़ोन लगाता हूँ। भर्ती होना पड़ेगा,कहां होना है,सुयश या अपोलो। सुयश ही ठीक है। 
 
सुयश पहुंचकर बैठता हूँ। डॉक्टर की कोशिश कि स्मिता वाला बेड ही मुझे मिल जाये। दोपहर तीन घंटे के इंतजार के बाद स्मिता (धर्मपत्नी)अस्पताल के कमरे में मेरा स्वागत करती है। वह बहुत हद तक ठीक प्रतीत हो रही है। उसे भी ऐसे ही 10 मिनट के नोटिस पर ब्लड रिपोर्ट देखकर डॉ दीपाली ने तुरंत सुयश में भर्ती करवाकर इलाज शुरू करवाया था।
 
स्मिता आश्चर्य में है आप तो बोल रहे थे ठीक हो फिर ये हालात।भाई कल रात तक बिल्कुल बढ़िया था सुबह हालात खराब हुई। 4 घंटे हम साथ रहते हैं,संजीवनी बूटी सा असर करता है यह साथ... फिर स्मिता घर चली जाती है।
 
शाम से ही तबियत और खराब महसूस होती है, जो अगले दो दिनों तक रहती है।पलंग से उठकर 4 कदम वाशरूम तक जाने में जान निकल रही है। सांस फूल जाती है और खांसी का दौर शुरू...उफ़्फ़ ये हो क्या रहा है यार अपने साथ।
 
अब ठीक है जो हो रहा है वो हो रहा है,इलाज तो चालू हो ही गया है।भगवान भली करेंगे।
 
समय निकालना चुनौती है।अपने आप को व्यस्त रखना है।सोशल मीडिया ज्यादा देख नहीं सकते।खोलो और 2-3 माला डले फ़ोटो तैयार....पेपर पढ़ना नहीं है,क्योंकि सिर्फ करोना है वहां।
 
चार पुस्तकें इस दौरान मित्र बनीं।आत्मा तृप्त हो गई।
 
पहली पुस्तक थी ठेठ अंटार्कटिका याने पृथ्वी के दूसरे हिस्से पर सालों बिताने वाले वैज्ञानिक लेखक श्री डॉ शरदिंदु मुकर्जी के संस्मरण पृथ्वी के छोर पर
 
दूसरी पुस्तक थी विटामिन ज़िन्दगी जीवन भर पोलियो से लड़ने वाले और अभी भी लड़ रहे लेकिन एक बेहतरीन सार्थक जीवन जी रहे राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता रोल मॉडल श्री ललित कुमार जी की पुस्तक।भरपूर विटामिन मिला इसे तो पढ़कर।
 
तीसरी पुस्तक थी बीसवीं सदी के प्रसिद्ध आध्यात्मिक जिज्ञासु लंदन के लेखक पॉल ब्रनटन की गुरु की तलाश पर आधारित एक असाधारण कृति गुप्त भारत की खोज । 
 
चौथी पुस्तक थी नीदरलैंड में 2 साल गुप्त वास करती हुई और फिर नाजी शिविर में अपनी यातना को बखान करती 14 वर्षीय यहूदी बालिका ऐना की डायरी।
 
चारों पुस्तकें कुल मिलाकर 1000  से अधिक पृष्ठ। बहुत अच्छा समय बीता। लेकिन समय तो अभी भी बहुत था।
कोई बात नहीं अपनी साउथ इंडियन हिंदी डब पिक्चरें है ना। रोज 2 हल्की फुल्की ये पिक्चर भी निपटाई। प्रेमम,96,गीता गोविंदा,ठोली प्रेमा, नंबर 1 दिलवाला,थड़ाका, कोलंबस,डियर कामरेड,रोमियो जूलियट,दमदार खिलाड़ी,RX 100 मजा आ गया।साफ सुथरी,रोचक और भारतीय संस्कृति का गुणगान करने वाली साउथ की ही पिक्चर देखनी चाहिए,इन पिक्चरों को देख बार बार यही महसूस होता है।
 
अब बचा बाकी समय तो हनुमान चालीसा,श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र  का जाप ,लंग एक्सरसाइज, टॉम एन्ड जेरी और आई पी एल जिंदाबाद।रात साढ़े 9 तक सोना और सुबह 6 बजे उठ जाना।दिनचर्या बरकरार थी।
 
डॉ निखिलेश पसारी साहब रोज सुबह 9 बजे देखकर जाते और नया विश्वास देकर जाते। ज्यादा पी एच डी न तो आदत में शुमार है और न अपने बस की थी तो क्या इलाज चल रहा है इसमें दिमाग लगाया नहीं, तो सुखी ही रहा।
 
परम पिता परमेश्वर की असीम अनुकम्पा और परिवारजनों व ईष्ट मित्रों के प्यार,स्नेह,परवाह और आशीर्वाद को हृदय की गहराइयों से इन दिनों अद्भुत रूप से साक्षात महसूस किया और  इसी कारण तेजी से स्वास्थ्य लाभ कर पाया।अभिभूत हूं और ताउम्र ऋणी रहूंगा सभी अपनों की ईश्वर से की गई मेरे शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना और दुआओं  के लिए।
 
आज जब सकुशल घर लौट आया हूँ और अगले 7 दिन का अपने कमरे में आइसोलेशन का लाभ ले रहा हूँ और परिवार भर की सेवा से,उनके बरस रहे प्यार से, खाने पीने की मान मनुहार से अपने को धन्य महसूस कर रहा हूँ तो याद आ रही पूरे सुयश अस्पताल के स्टॉफ की सेवा भावना। सलाम आप सभी को जिनके कारण हम घर से दूर होकर भी मानों अपने घर में थे।पूरे समय इस भीषण गर्मी में सभी पी पी किट पहनकर जो कोविड के खतरों के बीच साल भर से आप लोग सेवा कार्य कर रहे हो उसे साधुवाद कोटिशः प्रणाम...धन्यवाद सुयश केंटीन 7 दिन की भोजन प्रसादी के लिए...
 
कोविड अब अधिसंख्य लोगों को हो रहा हैं ऐसे में ईश्वर पर ,अपने आप पर और अपनों पर दृढ़ विश्वास  रखते हुए बारंबार सबको धन्यवाद देते हुए सकारात्मक रहे,ज्यादा खोज बीन और दुनियादारी से अपने को दूर रखते हुए सकारात्मक ऊर्जा से सराबोर रखें खुद को और अपने आप को... विशेषकर अपने दिमाग को व्यस्त रखने का प्रयास करें और रखे अपना हौसला बुलंदियों  पर...
 
 सुबह नियमित वर्क आउट करने वाला,साइकल चलाने वाला आज मैं मन ही मन सोचता हूँ शरीर के लिए किया गया श्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता,जल्दी स्वस्थ हो पाया शायद वह सुबह की कसरतों का ही परिणाम था....

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Coronavirus बीमारी से कैसे जीतें जंग, पढ़िए 5 मोटिवेशनल क्वोट्स