भारत में इस समय आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय स्तर के मान्यता प्राप्त कुल सात राजनीतिक दल हैं, लेकिन आने वाले समय में इनकी संख्या में इजाफा हो सकता है। हाल ही में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनने की दौड़ में मंजिल के काफी करीब पहुंच गई है और अगर उसके लिए सब कुछ ठीक रहा तो इस साल के अंत तक उसे राष्ट्रीय स्तर की पार्टी का दर्ज़़ा हासिल हो जाएगा। इस दौड़ में उसके पीछे जनता दल (यू) है जिसे अगले साल यह दर्जा हासिल हो सकता है।
राष्ट्रीय स्तर की पार्टी होने के लिए चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित तीन मानकों में से कम से कम कोई एक मानक पूरा करना अनिवार्य होता है, जो आम आदमी पार्टी इस साल पूरा कर लेगी। फिलहाल उसे तीन राज्यों में प्रादेशिक पार्टी का दर्ज़़ा मिला हुआ और इस साल के अंत में गुजरात व हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने वाले है, जहां वह चुनाव लड़ेगी।
चुनाव आयोग के मुताबिक पहला मानक तीन अलग-अलग राज्यों की मिलाकर लोकसभा की कुल सदस्य संख्या की दो फीसदी यानी 11 सीटें हासिल करने का है। यह मानक आम आदमी पार्टी अगले लोकसभा चुनाव से पहले पूरा नहीं कर सकती, क्योंकि मौजूदा लोकसभा में भगवंत मान उसके इकलौते सदस्य हैं, लेकिन उन्हें भी जल्दी ही वहां से इस्तीफा देना होगा, क्योंकि वे पंजाब के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। दूसरा मानक यह है कि किन्हीं चार राज्यों में छह-छह फीसदी वोट और लोकसभा की चार सीटें मिल जाएं। यह मानक भी आम आदमी पार्टी के लिए पूरा होना अभी संभव नहीं है।
राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे के लिए तीसरा मानक किन्हीं भी चार राज्यों में प्रादेशिक पार्टी का दर्ज़़ा हासिल करने का है। इसके मुताबिक अगर किसी पार्टी को चार राज्यों में विधानसभा के चुनाव में छह फीसदी वोट मिलते हैं और उसके कम से कम दो उम्मीदवार जीत जाते हैं तो वह पार्टी राष्ट्रीय स्तर का दर्जा हासिल करने की पात्र हो जाती है। आम आदमी पार्टी को उम्मीद है कि वह इस साल के अंत तक गुजरात के चुनाव में यह मानक पूरा कर लेगी।
गुजरात को लेकर आम आदमी पार्टी की उम्मीद का आधार यह है कि एक साल पहले सूरत नगर निगम के चुनाव में उसने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 27 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस का वहां पूरी तरह सफाया हो गया था। इसके बाद गांधीनगर के नगर निगम चुनाव में भी उसने 17 फीसदी वोट हासिल कर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई थी। हालांकि उसे महज एक ही सीट हासिल हुई थी, लेकिन उसकी वजह से पिछले तीन चुनावों में भाजपा को बराबरी की टक्कर देने वाली कांग्रेस 27 फीसदी वोट मिलने के बावजूद महज दो सीटें ही जीत सकी थी।
आम आदमी पार्टी को अभी दिल्ली, पंजाब और गोवा में प्रादेशिक पार्टी का दर्ज़़ा मिला हुआ है। इसके बावजूद सबसे जल्दी राष्ट्रीय स्तर की पार्टी का दर्ज़़ा हासिल करने का रिकॉर्ड आम आदमी पार्टी के नाम नहीं होगा। यह रिकॉर्ड पीए संगमा की बनाई नेशनल पीपुल्स पार्टी यानी एनपीपी के नाम हो चुका है। एनपीपी का गठन 2013 में हुआ था और 2019 में उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्ज़़ा मिल गया। आम आदमी पार्टी का गठन इससे एक साल पहले 2012 में हुआ था।
एनपीपी राष्ट्रीय स्तर की पार्टी का दर्जा हासिल करने वाली पूर्वोत्तर की पहली पार्टी है। वह चार राज्यों- मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में मान्यता प्राप्त प्रादेशिक पार्टी है। मेघालय में उसकी सरकार है और मणिपुर में इस बार वह मुख्य विपक्षी पार्टी बनी है। भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी (सीपीएम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और बहुजन समाज पार्टी के अलावा एनपीपी सातवीं पार्टी है, जिसे चुनाव आयोग से राष्ट्रीय पार्टी का दर्ज़़ा हासिल है।
एक समय शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भी राष्ट्रीय पार्टी हो गई थी, लेकिन बाद में उसका यह दर्ज़़ा छिन गया। पवार की पार्टी अब फिर इस होड़ में है। लेकिन उससे आगे इस होड़ में नीतीश कुमार का जनता दल (यू) है, जिसने इस बार मणिपुर में विधानसभा की छह सीटें जीती हैं। जनता दल (यू) को बिहार, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में प्रादेशिक पार्टी का दर्ज़़ा मिला हुआ है।
हालांकि अरुणाचल प्रदेश में इस समय जनता दल (यू) का एक ही विधायक है, लेकिन पिछले यानी 2019 के विधानसभा चुनाव में उसके सात उम्मीदवार जीते थे, जिनमें से छह को भाजपा ने एक साल पहले तोड़कर अपने में शामिल कर लिया था। बहरहाल 2023 के चुनाव में वह मेघालय और नगालैंड में प्रादेशिक पार्टी का दर्ज़़ा हासिल करने का प्रयास करेगी। नगालैंड में पहले भी उसके उम्मीदवार विधानसभा का चुनाव जीतते रहे हैं।
सो, आम आदमी पार्टी, जनता दल (यू) और एनसीपी तीन पार्टियां राष्ट्रीय स्तर की पार्टी का दर्जा हासिल करने की दौड़ में शामिल हैं। लेकिन इसी के साथ बहुजन समाज पार्टी ने अपने सर्वाधिक जनाधार वाले उत्तर प्रदेश के चुनाव में इस बार जैसा दयनीय प्रदर्शन किया है, अगर आगे भी अन्य राज्यों में उसका ऐसा ही प्रदर्शन जारी रहता है तो उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिन सकता है।(इस लेख में व्यक्त विचार/ विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/ विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेती है।)