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रेल के डिब्बे में उगते मशरूम

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

# माय हैशटैग 
 
रेलमंत्री सुरेश प्रभु भारतीय रेलवे की सेवा में सुधार के लिए ट्विटर का बेहतरीन उपयोग कर रहे हैं। ट्विटर के माध्यम से वे रेलयात्रियों के संपर्क में सतत बने रहते हैं और तत्काल यात्रियों की परेशानियों को भी दूर करने की कोशिश करते हैं। किसी यात्री को बच्चे के लिए दूध की जरूरत होती है तो किसी को व्हील चेयर की; किसी को सुरक्षा चाहिए तो किसी को गंदगी से छुटकारा! 
ऐसे लोग भी हैं, जो इन सुविधाओं का लगातार दुरुपयोग भी करते हैं, जैसे एक यात्री ने 3 महीने के भीतर ही अपने बच्चे के लिए 6 बार दूध की गुहार लगाई थी। हर बार उस तक दूध पहुंचाया भी गया था, लेकिन शंका होने पर जांच में पता चला कि वह उजड्ड यात्री हर बार अपने बच्चे के लिए बिना दूध का इंतजाम किए ही ट्रेन में सवार होने का आदी था, उसे लगता था कि बच्चे के लिए दूध खरीदकर, उसे गर्म करके फ्लास्क में भरकर ले जाने की जेहमत कौन उठाए? आसान रास्ता यह है कि एक ट्वीट रेलमंत्रीजी को कर दो, तो ही दूध की व्यवस्था हो जाती है। अब उस यात्री की पहचान करके शिक्षा दे दी गई है। अनेक यात्रियों की परेशानी सही पाई गई और उनमें से कई को दूर भी कर दिया गया है। 
 
पिछले दिनों एक यात्री ने भारतीय रेल की एक अलग ही तस्वीर ट्विटर पर शेयर की, जो देखते ही देखते वायरल हो गई। यह तस्वीर रेल के डिब्बे में शौचालय के पास उग रहे मशरूम यानी कुकुरमुत्तों की थी। यह तस्वीर किस ट्रेन की थी, यह बात नहीं बताई गई और न ही यह लिखा गया कि यह तस्वीर कब और किस स्टेशन पर खींची गई। लेकिन फिर भी रेलयात्रियों ने इस तस्वीर को लेकर तरह-तरह के मजाक बनाने शुरू कर दिए। कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने इस तस्वीर को दार्शनिक और सकारात्मक तरीके से लिया और लिखा कि जीवन में जहां भी जगह मिले, ऊपर आने से मत चूको। जीवन कोई अवसर नहीं खोता! 
 
अधिकांश लोगों ने इन इसे भारतीय रेलवे में सफाई के प्रति लापरवाही माना। तरह-तरह के तंज भी कसे गए कि भारतीय रेलवे कुछ ज्यादा ही पर्यावरण-हितैषी नहीं हो गई है? यह भी कहा गया कि अब भारतीय रेलवे ने अपने यात्रियों के खानपान की व्यवस्था में आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। यात्री जो कुछ भी खाना चाहेंगे, रेलवे उसे खुद उगाकर उनके लिए परोसेगा। किसी ने लिखा कि यह भारतीय रेलवे का नया उपक्रम है, जो आईआरसीटीसी की सहायता के लिए तैयार है। यह रेलवे के प्राकृतिक संसाधनों का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करने की परंपरा की शुरुआत है। अब यात्री जब भी मशरूम का सूप पीना चाहेंगे, रेल कर्मचारी उसे मशरूम तोड़कर तत्काल बनाकर दे देंगे। कोई मशरूम की सब्जी खाना चाहेगा, उपलब्ध करा दी जाएगी। इनका महत्व तब पता चलेगा, जब आपके पास खाने के लिए कुछ नहीं बचेगा। 
 
एक यात्री ने लिखा... थैंक यू, रेलमंत्री सुरेश प्रभु! आप हमारे खाने की ताजगी का कितना ख़याल रखते हो! इसके बारे में तो आपने हमें बताया ही नहीं रेलमंत्रीजी। यह भी विचार रखा गया कि वाह! तो यह है रेलवे का ईको टूरिज्म!! यात्रियों की सुविधा के लिए रेलमंत्री का नया प्रयोग। 
 
यह तस्वीर न केवल ट्विटर पर वायरल हुई, बल्कि सोशल मीडिया के दूसरे प्लेटफॉर्म पर भी वायरल होती चली गई। सोशल मीडिया के फोटो शेयरिंग प्लेटफॉर्म पर इसकी शुरुआत इस कमेंट के साथ हुई... लोग भारतीय रेलवे से शिकायत करते हैं कि यात्रा के दौरान उन्हें जो भोजन मिलता है, वह कई बार ताजा नहीं होता। अब देखिए... रेलवे की नई पेशकश। कुछ गंभीर किस्म के यात्रियों ने लिखा कि हर तरह के मशरूम खाने के लायक नहीं होते। इनमें से तो जहरीले भी हो सकते हैं और उनको खाने से गंभीर बीमारी हो सकती है या जान भी जा सकती है। 
 
इन सब आलोचनाओं और टिप्पणियों से दो बातें साबित होती है... पहला तो यह कि भारतीय रेलवे के यात्री अब बेबस नहीं रहे, उन्हें सेवा में तनिक भी चूक लगती है तो वे उस मुद्दे को लेकर उस पर सीधे रेलमंत्री तक शिकायत पहुंचा सकते हैं। दूसरी बात... सोशल मीडिया पर अगर प्रशंसा होती है तो उसे स्वीकारने के साथ ही आलोचना भी स्वीकार करनी चाहिए। यह सब सुधार की प्रक्रिया का हिस्सा ही है और उसे इसी रूप में लिया जाना चाहिए। 


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