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दिन तो अच्छे ही हैं, क्योंकि महंगाई रात को बढ़ती है...

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

# माय हैशटैग
 
जून शुरू होते ही सर्विस टैक्स का सेस बढ़ने और पेट्रोल-डीजल महंगे होने से लोग कहने लगे हैं कि 2 जून की रोटी कमाना-खाना महंगा और मुश्किल हो गया हैं। इसके विपरीत मोदी सरकार के दो साल पूरे होने पर जो विज्ञापन अभियान चलाए जा रहे है, वे साफ-साफ कहते हैं कि यह गरीबों की सरकार है। केन्द्र सरकार के लगभग सभी विभाग अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीट रहे हैं। बीजेपी का आईटी सेल बढ़े हुए टैक्स की तरफ से लोगों का ध्यान खींचने के लिए गरीबों की सरकार शीर्षक से अभियान चलाया है। जो काम सरकार का प्रचार-तंत्र नहीं कर पा रहा, वह पार्टी का प्रचार तंत्र कर रहा है। प्रचार यही कि मोदी सरकार गरीबों की सरकार है और उसे गरीबों की फिक्र है। 
बीजेपी का प्रचार तंत्र इस बात को लगातार प्रचारित कर रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था है। भारतीय अर्थव्यवस्था की मात्रा अतीत में कभी इतनी नहीं रही। विरोधी दल इस प्रचार तंत्र के खिलाफ या तो सक्रिय नहीं है या उसकी तह तक नहीं पहुंचा है। बीजेपी का प्रचार तंत्र अपने तरीके से तमाम आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए दावा कर रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था के विकास से गरीबों का फायदा सबसे ज्यादा हो रहा है। 
 
प्रधानमंत्री के सरकारी और बीजेपी के प्रचार तंत्र का दावा है कि गरीबों, किसानों, महिलाओं, युवाओं और ग्रामीणों के उपयोग में आने वाली वस्तुओं का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है और उनकी कीमतें गरीबों की पहुंच में है। बिजली, गैस, यूरिया, सौर ऊर्जा की सामग्री, बल्ब आदि सस्ते हो रहे हैं। हर आदमी जन-धन खाते की मदद से सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहा है। युवाओं को क्वालिटी एजुकेशन मिल रही है। वृद्धों को अटल पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना में गरीबों को सस्ते मकान उपलब्ध हो रहे हैं। 
 
किसानों और गरीबों को सस्ता कर्ज दिया जा रहा है। कुल मिलाकर लुब्बो-लुबाब यही कि सरकार गरीबों के लिए हर तरह के उपाय कर रही है और उन्हें सशक्त कर रही है। 34 लाख युवकों को पांच हजार से डेढ़ लाख रुपए तक का कर्ज दिया जा रहा है। कौशल विकास की 724 परियोजनाएं चल रही हैं। 7779 गांवों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है। जो पिछले तीन साल के विद्युतीकरण के औसत से 37 प्रतिशत ज्यादा है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 19 हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। गांव में सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। 192 लाख शौचालय गांव में बना चुके हैं। ये सभी बातें मास मीडिया के साथ ही सोशल मीडिया पर जोरशोर से प्रचारित-प्रसारित की जा रही है। 
 
इसी के साथ ही पुरानी सरकारों पर भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। हर बार यही प्रचारित किया जा रहा है कि पुरानी सरकारों ने देश को बर्बादी की कगार पर ला दिया है। यह सरकार पेंशन, बीमा, दुर्घटना और फसल बीमा, गरीबों को गैस और स्टोव सभी कुछ मुहैया करा रहा है। देश के संसाधनों और तकनीक का विकास गरीबों के लिए किया जा रहा है। यह सरकार इस कोशिश में है कि सरकारी योजनाओं का लाभ समाज के हर वर्ग के व्यक्ति को मिले। 
 
मोदी विरोधियों ने सोशल मीडिया पर इन अभियानों का जमकर विरोध किया है और लिखा है कि मोदी सरकार ने गंभीर बीमारियों में उपयोग की जाने वाली 76 दवाओं पर से कस्टम ड्यूटी की छूट खत्म कर दी है। इस कारण मरीजों को महंगी दवा खरीदने पड़ रही है। कैंसर और अन्य जीवनरक्षक दवाओं पर इस सरकार ने 22 प्रतिशत इम्पोर्ट टैक्स लगा दिया है। 
 
गरीबों की सरकार के नाम से प्रचारित किए जा रहे अभियान के विरुद्ध कांग्रेस कह रही है कि दाल की कीमतें इतनी महंगी क्यों हो रही हैं? बीजेपी अध्यक्ष दलित के यहां भोजन करने जाते हैं, तो मिनरल वॉटर क्यों ले जाती हैं? ऐसा लगता है कि सरकार के अच्छे दिन आ गए हैं, क्योंकि महंगाई तो रातोंरात बढ़ती है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों और सर्विस टैक्स में बढ़ोतरी इसका नमूना है। 
 
ट्विटर पर एक संदेश के अनुसार, मेनका गांधी ने दो सौ पत्रकारों को हवाई जहाज का टिकट भेजकर दिल्ली बुलाया है, ताकि अपने विभाग की उपलब्धियां गिनवा सके। सरकार विरोधी तो यहां तक लिख रहे हैं कि जब राहुल गांधी दलित के यहां भोजन करने गए थे, तब बाबा रामदेव ने कहा था कि वे पिकनिक करने जा रहे हैं। अमित शाह के ऐसे आयोजन के बारे में बाबा रामदेव कुछ क्यों नहीं बोलते? किसी ने लिखा है- यह गरीबों की सरकार है, बस इसका फायदा अमीर लोग उठा रहे हैं।

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