बुरे फंसे जीतू पटवारी : विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के बहिष्कार का ट्वीट करके जीतू पटवारी बुरी तरह उलझ गए। दरअसल पटवारी ने नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ की जानकारी के बिना ये ट्वीट किया था। सदन में जब यह मुद्दा उठा तो कमलनाथ ने पटवारी के ट्वीट से किनारा करते हुए कहा कि मैं ऐसी राजनीति में विश्वास नहीं करता हूं। बाद में नेता प्रतिपक्ष के कक्ष में उन्होंने पटवारी के कट्टर समर्थक विधायक कुणाल चौधरी की मौजूदगी में कई वरिष्ठ नेताओं के सामने जमकर नाराजगी दर्शाई और यह तक कह बैठे मैं उसे अब मीडिया सेल की जिम्मेदारी से मुक्त ही कर देता हूं।
भार्गव से टकराना आसान नहीं : बसपा से विधायक चुने जाने के बाद कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा से नजदीकी बढ़ाकर पूरा फायदा लेने वाली पथरिया की विधायक रामबाई ने कहने को तो कह दिया वह रहली से अगला चुनाव लड़ना चाहेगी। अब रामबाई को कौन समझाए कि वहां से लगातार 8 चुनाव जीत चुके गोपाल भार्गव से टकराना कोई आसान काम नहीं है। भार्गव आज भी दिल्ली और भोपाल की राजनीति से दूर रहकर क्षेत्र के लिए जिस अंदाज में काम करते हैं उसी कारण उन से पार पाना अच्छे-अच्छे दिग्गजों के बस की बात नहीं है। रामबाई के इस उत्साह को मंत्रिमंडल के एक वरिष्ठ सदस्य की भार्गव से पुरानी अदावत से जोड़कर देखा जा रहा है।
कैलाश का कोई जोड़ नहीं : त्वरित टिप्पणी में कैलाश विजयवर्गीय की कोई जोड़ नहीं। पिछले दिनों इंदौर के सांध्य दैनिक अग्निबाण द्वारा महाशिवरात्रि पर आयोजित भजन संध्या में विजयवर्गीय और कांग्रेस के विधायक संजय शुक्ला का आमना-सामना हुआ। सालों से भगवा दुपट्टा धारण कर रहे विजयवर्गीय ने शुक्ला को भगवा कुर्ते में देखते ही कहा अरे यार हम तो भगवा दुपट्टा ही पहन रहे हैं तुमने तो भगवा कुर्ता पहन लिया। देखना हमारी दुकान बंद मत करा देना। वह यहीं तक नहीं रुके हैं, मंच पर भी उन्होंने फिर यही बात दोहराई। नीचे बैठे भाजपा के कई नेता विजयवर्गीय की इस टिप्पणी के बाद शुक्ला को गौर से देखते रहे।
अर्चना को महंगे पड़े तेवर : प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद अर्चना जायसवाल भले ही महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेटा डिसूजा को कठघरे में खड़ा कर रही हो लेकिन हकीकत यह है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की हैसियत से कमलनाथ द्वारा आयोजित एक बैठक में वे महिला कांग्रेस के पदाधिकारियों को बुलाने पर अड़ गई थी। महासचिव राजीव सिंह याद दिलाया की आपकी बॉडी तो होल्ड पर है तो अर्चना ने तीखे तेवर दिखाते हुए बोला यह मेरी बॉडी है और इसे कोई होल्ड पर नहीं रख सकता है। अर्चना के इसी तेवर ने उनकी महिला कांग्रेस अध्यक्ष पद से रवानगी पर अंतिम मुहर लगाई।
जोशी का बंगला अब जयपाल चावड़ा को : इंदौर में पलासिया का वह सरकारी बंगला जिसमें पूर्व मंत्री महेश जोशी सालों तक रहे अब आईडीए के अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा का आशियाना बनने जा रहा है। अध्यक्ष बनने के बाद से ही चावड़ा के लिए नया बंगला तलाशा जा रहा था और यह लगभग तय हो गया था कि वह विजय नगर थाने के पीछे स्थित आईडीए के बंगले में शिफ्ट हो जाएंगे। अचानक इसमें बदलाव हुआ और अब चावड़ा सांसद शंकर लालवानी के पड़ोसी बनने जा रहे हैं। बंगले में इस बदलाव को राजनीतिक नजरिए से देखा जाए तो इससे इंदौर 5 की राजनीति में चावड़ा की एंट्री माना जा रहा है। देखते हैं आगे क्या होता है।
एसीपी और टीआई पर गिरी गाज : मध्य प्रदेश की व्यापारिक राजधानी इंदौर में इन दिनों इस बात की बड़ी चर्चा है कि जब जांच के नाम पर शहर के व्यापारियों को पुलिस द्वारा परेशान करने का मामला सामने आया तो किसी भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि ने मुंह नहीं खोला। परेशान व्यापारी कुछ लोगों के माध्यम से मुख्यमंत्री तक पहुंचे और इसी के बाद एक एसीपी और टीआई के साथ ही 5 और पुलिसकर्मियों पर भी गाज गिरी। जनप्रतिनिधियों की यह चुप्पी बहुत खुलने वाली थी। हां खनिज निगम के पूर्व उपाध्यक्ष गोविंद मालू ने जरूर इस मामले में मुखरता दिखाई और कहा की ऐसी हरकत बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
चलती तो मैडम की ही है : अगल-बगल के जिलों में ही कलेक्ट्री कर रहे गुना कलेक्टर फ्रैंकलीन नोबल और अशोकनगर कलेक्टर उमा महेश्वरी की जुगल जोड़ी इन दिनों प्रशासनिक हलकों में बहुत चर्चा में है। मंत्री एक दिग्गज केंद्रीय मंत्री और दो तेजतर्रार प्रभारी मंत्रियों से घिरे ये कलेक्टर दंपति बिना एक दूसरे से पूछे कोई बड़ा फैसला नहीं लेते हैं। हां, इतना जरूर है कि कई मामलों में साहब मैडम के ग्रीन सिग्नल के बिना आगे ही नहीं बढ़ते हैं।
चलते चलते : डीजीपी सुधीर सक्सेना की आईपीएस बेटी इंदौर में इन दिनों प्रोबेशनर की भूमिका में है। पुलिस विभाग में लल्लो-चप्पो करने वालों की कमी नहीं है। ऐसे कई लोगों ने सक्सेना के डीजीपी बनने के काफी पहले से ही बेटी के इर्द-गिर्द मंडराना शुरू कर दिया था, लेकिन सख्त मिजाज बेटी ने उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी।
पुछल्ला : एनएसयूआई, युवक कांग्रेस, सेवादल और महिला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का पद दिग्विजय सिंह समर्थकों के खाते में जाने के बाद चर्चा इस बात की है कि नेता प्रतिपक्ष का पद अब किसके खाते में जाएगा।