एक ओर कोरोना का प्रकोप दोबारा गति पकड़ चुका है व प्रतिदिन मरीजों की संख्या में इजाफ़ा हो रहा है इसके बावजूद अब लोग मनचाही सुरक्षा के साथ दैनिक दिनचर्या में लौट रहे हैं, वही दूसरी ओर बिना समय व परिस्थिति की परवाह किए आधी अधूरी सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए कई लोग शादी के मैदान में भी उतर आए हैं। किंतु इन सब के बीच सबसे लम्बा इंतज़ार तो बच्चे ही कर रहे हैं जो गर्मियों की छुट्टी के अलावा आज तक इतने दिनों तक घर में कैद हैं।
कई बच्चे अब घर से बाहर निकलना चाहते हैं। बच्चों के लिए कोरोना महामारी शाप बनकर आई है। उनके हंसते- खेलते, पढ़ते-लिखते जीवन को नीरस सा कर दिया है। अब हमें बच्चों को मानसिक रूप से पुनः तैयार करना पड़ेगा क्योंकि इस बीमारी का भले ही हमें कोई दूसरा छोर नजर नहीं आ रहा है पर इन बच्चों का धैर्य अब खत्म होता नजर आ रहा है। इस समय में अभिभावकों को विशेष रूप से इन चीज़ों पर ध्यान देने की जरूरत है -
1. अपने बच्चों से खुलकर बात करें वो क्या मिस कर रहे हैं:
अक्सर बच्चे बड़ों से खुलकर बात करने में झिझकते हैं, उन्हें लगता है कि हमारी बातों में बड़ों को रुचि नहीं होगी और ऐसी धारणा वो पहले से ही बना चुके होते हैं। हालांकि उसका कारण भी हम ही हैं, क्योंकि हम में से बहुत कम लोग अपने बच्चों से स्कूल से आने के बाद पूछते थे कि उनका पूरा दिन कैसे बिता। उनके मन में चल रहे सवालों को जानने की कोशिश नहीं करते हैं और यदि करते भी हैं तो पढ़ाई के मुद्दे से ऊपर ही नहीं उठ पाते। ऐसे में वो हमसे खुलकर बात नहीं कर पाते। अब जब समय है तो अपने बच्चों से बैठकर एक बार उनके दोस्तों के बारे में जानें। उनसे यह भी जानने की कोशिश करें कि वो सबसे ज़्यादा किस चीज को मिस कर रहे हैं और फिर उन्हें इन यादों से अपने तरीक़े से ऊपर उठाकर आज में जीने को कहे साथ ही अपने बच्चों को ये आश्वासन भी दिलाएं कि वो जल्द ही पहले की तरह अपने दोस्तों के साथ मस्ती कर पाएंगे।
2. बच्चों को कोरोना काल के बारे में विस्तृत जानकारी दें:
बच्चे अभी छोटे हैं ये सोचकर उनसे बात न करने से अच्छा है जितना वो समझने की क्षमता रखते हैं उतना उनको कोरोना महामारी और उसके प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी दें। उनको दुनिया के अन्य देशों की स्थितियां भी भलीभांति बताएं। साथ ही मास्क और सेनेटाइज़र का उपयोग क्यों ज़रूरी ये भी बताएं। इससे उन्हें ज्ञान भी मिलेगा और ये सब जानकर वो खुद का ध्यान रखते हुए एक ज़िम्मेदार इंसान बनना चाहेंगे और समझ भी जाएंगे कि अभी हम क्यों स्कूल नहीं जा सकते।
3. उनका ध्यान पढ़ाई के साथ नई चीजों को सीखने में लगवाएं:
कहते हैं ना बच्चों का दिशा परिवर्तन करना आसान होता है अर्थात् आप उनको ऑन लाइन क्लासेस के लिए प्रेरित करें। उनको मिले होमवर्क में सहयोग करें साथ ही आप बहुत कुछ नया अच्छा सिखाकर भी उन्हें लुभा सकते हैं। जैसे हम उन्हें आर्ट एंड क्राफ़्ट, कुकिंग या इंडोर गेम्स में व्यस्त करके भी उनका समय बिता सकते हैं क्योंकि अभी समय उनको सकारात्मक रखने का है और यक़ीन मानिए बच्चे जैसे ही कुछ नया करते हैं तो पुराना भूलने लगते हैं।
4. सकारात्मक सोच को जगाएं:
ये हमारा काम है कि बच्चा जिन चीजों से बेहतर समझ सके वैसे उदाहरण का उपयोग करें या उनको उनके ही तरीक़े से समझाएं। उन्हें ये समय जो अभी परिवार के साथ मिला है इसके बारे में बताएं कि इससे पहले कभी बच्चों को इतना समय परिवार के साथ गुज़ारने को नहीं मिला और आगे तुम्हें भी पूरी शिक्षा के दौरान शायद नहीं मिल पाएगा तो इसको भगवान की तरफ़ से तोहफ़ा समझकर पूरे उत्साह से अपने परिवार वालों के साथ एन्जॉय करते हुए पूरी मस्ती के साथ बिताए।
चाहे आपका बच्चा जिस भी उम्र का हो उसको उसकी उम्र के हिसाब से समझाएं। बस सार इतना ही है कि वो इस समय को जिस भी तरह से खुद के लिए उपयोगी और आनंद वाला मानने लगे ऐसी युक्ति का इस्तेमाल करें क्योंकि आपसे बेहतर आपके बच्चे को कोई नहीं समझ सकता और ना ही कोई उसे आपसे बेहतर समझा सकता है।