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कुलभूषण की सजा भारत को दी गई सीधी चुनौती है

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अवधेश कुमार

भारत ने जिस तरह की कड़ी प्रतिक्रिया पाकिस्तान को दी है वही देश से अपेक्षित था। विेदेश सचिव एस जयशंकर ने पाकिस्तान के उच्चायोग अब्दुल बासित को बुलाकर साफ कर दिया है कि अगर हमारे नागरिक कुलभूषण जाधव को फांसी दी जाती है तो भारत इसे सुनियोजित हत्या मानेगा। यानी भारत यह मानेगा कि पाकिस्तान ने हमारे एक निर्दोष नागरिक का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी। यह सीधे-सीधे पाकिस्तान को चेतावनी है।
 
अगर कोई हमारे देश के नागरिक की सरेआम हत्या करेगा तो फिर उसका जवाब किस तरह दिया जाएगा इसकी केवल कल्पना की जा सकती है। जाहिर है, अब पाकिस्तान को तय करना है कि वह क्या करता है। लेकिन क्या वहां की नागरिक सरकार की इतनी हैसियत है कि वह सेना के खिलाफ जा सके? कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान सैन्य न्यायालय ने मृत्युदंड दिया है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर अहमद बाजवा ने उस सजा पर हस्ताक्षर कर दिया है। सैन्य न्यायालय के खिलाफ अगर पाकिस्तान में अपील का कोई प्रावधान नहीं है तो फिर एक ही रास्ता बचता है कि कुलभूषण जाधव वहां के राष्ट्रपति के यहां दया याचिका लगाए। यह तो प्रक्रिया की बात हुई। पूरा भारत कुलभूषण जाधव की दशा से सकते में है। उसके साथ क्या किया जा रहा था किसी को पता नहीं। पाकिस्तानी मीडिया में भी कोई खबर नहीं थी। जाहिर है, यह कंगारु कोर्ट का न्याय था जिसमें न कोई गवाह, न बचाव के लिए वकील न मौका.... सब कुछ पूर्व निर्धारित कि इस आदमी को मौत की सजा देनी है।
 
पिछले वर्ष मार्च में जब भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव की पाकिस्तान द्वारा गिरफ्तारी की सूचना आई पूरा भारत हतप्रभ रह गया। दो देशों के बीच जासूसी कोई नई बात नहीं। लेकिन भारत कभी भी ऐसे जासूस किसी देश में नहीं भेजता जो किसी तरह की हिंसा को बढ़ावा देने की भूमिका निभाए। पाकिस्तान का आरोप था कि कुलभूषण जाधव रॉ का एजेंट है जो बलूचिस्तान की सीमा के पास से पकड़ा गया। वह बलूचिस्तान और कराची में हिंसा, विध्वंस और जातीय संघर्ष बढ़ाने तथा चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को तोड़ने के लिए काम कर रहा था। हालांकि सैन्य न्यायालय में उस पर विस्तार से क्या-क्या आरोप लगाए गए यह किसी को पता नहीं। किंतु उस समय पकड़े जाने के बाद 30 मार्च 2016 को पाकिस्तान की ओर से जाधव के कथित कबूलनामे का एक वीडियो जारी करने के साथ पाकिस्तानी सेना के इंटर सर्विसेस पब्लिक रिलेशन्स विभाग के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असीम बाजवा और सूचना मंत्री परवेज रशीद ने पत्रकार वार्ता में उस पर यही आरोप लगाए थे।। उस वीडियो में कुलभूषण जाधव ने कबूल किया है कि वह रॉ के लिए बलूचिस्तान में काम कर रहा था। इन दोनों ने पत्रकार वार्ता में कहा कि जाधव भारतीय नौसेना का सर्विंग अफसर है जो 2022 में सेवानिवृत्त होने वाला है। उसे सीधे रॉ प्रमुख हैंडल करते हैं। वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के संपर्क में भी है। इन दोनों ने भारत को संबोधित करते हुए कहा कि आपका मंकी (जासूस) हमारे पास है। उसने वो कोड भी बताया है, जिससे वह रॉ से संपर्क करता था।
 
जाधव का नाम आते ही भारत सरकार ने छानबीन की और यह स्पष्ट किया कि हां, वह भारतीय नागरिक है। हां, वह भारतीय नौसेना का अधिकारी रहा है लेकिन उसने समय से पूर्व सेवानिवृत्ति ले लिया और अपना व्यापार करता है। यानी उसके कथित कबूलनामे में जो कुछ भी कहा गया वो सब झूठ था। भारत ने यह भी सार्वजनिक किया कि जाधव का एक पासपोर्ट 2014 में मुंबई के ठाणे से जारी हुआ था जिसका नंबर 9630722 है। इस पर जसदनवाला कॉम्पलेक्स ओल्ड मुंबई-पुणे रोड का पता दर्ज है। यह एक सभ्य तथा अंतरराष्ट्रीय कानूनों को मानने वाले देश का आचरण था। यह पाकिस्तान के रवैये के विपरीत आचरण था। वह कभी भी अपने देश के आतंकवाद में पकड़े गए लोगों को अपना मानता ही नहीं। मुंबई हमले के आरोपी अजमल कसाब को भी उसने आरंभ में अपना नागरिक मानने से इंकार किया था। वहीं की मीडिया ने उसके गांव तक का पता बता दिया।
 
कारगिल युद्ध में अपने सैनिकों के होने से भी उसने इन्कार किया था और उनके शव भारत ने सम्मानपूर्वक मजहबी रीति से दफना दिए। भारत पाकिस्तान की तरह नकारने वाला देश नहीं है। हमने कहा कि वह भारतीय नागरिक है और आपने पकड़ा है तो हमारे उच्चायोग को उसके पास तक जाने दिया जाए। यही अंतरराष्ट्रीय
कानून है। आप किसी देश के नागरिक को पकड़ते हैं और मुकदमा चलाते हैं तो उस देश के उच्चायोग या दूतावास के प्रतिनिधियों से उसे मिलने दिया जाता है ताकि वह अपनी बात कह सके एवं उसे कानूनी मदद पहुंचाई जा सके। भारत ने 25 मार्च 2016 से 31 मार्च 2017 तक पाकिस्तान से 13 बार इसके लिए लिखा लेकिन जाधव को उच्चायोग के अधिकारियों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। आखिर क्यों? पाकिस्तान को इसका जवाब देना पड़ेगा। दुनिया भी जानना चाहेगी आखिर उच्चायोग की पहुंच जाधव तक क्यों नहीं होने दिया गया?
 
यह तो कहीं का न्याय नहीं हुआ। भारत ने इस सजा को न्याय और इंसाफ की धज्जी उड़ाने जैसा माना है। जरा पाकिस्तान के आरोपों का पोस्टमार्टम करिए। उसे बलूचिस्तान के चमन इलाके से पकड़ने की बात की जा रही है। वह पूरा अशांत इलाका है। वैसे वह किस रास्ते घुसा इस पर भी कोई स्पष्ट सूचना नहीं है। किंतु उस पर 12 बार बलूचिस्तान आने का आरोप है। पाकिस्तान अफगानिस्तान के बीच डुरंड रेखा 2640 कि.मी. का है। उस पर इतना कड़ा पहरा है कि आसानी से कोई प्रवेश नहीं कर सकता। कोई व्यक्ति 12 बार आया गया और पकड़ा नहीं गया? वैसे भी 12 बार उतनी लंबी सीमा को पार करना किसी आम मानव के बस की बात नहीं है। ऐसा कोई महामानव ही कर सकता है जो अभी धरती पर पैदा नहीं हुआ। कोई एक व्यक्ति कितनी शक्ति रखेगा जो कि एक साथ बलूचिस्तान में आग भड़का दे, ग्वादर बंदरागह और चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को ध्वस्त करने का षडयंत्र रच दे तथा कराची में भी दंगा भड़का दे? पाकिस्तान की ओर से यह खबर आई कि उसने एजेंटों का एक तंत्र बना लिया था। तो कहां है वह तंत्र? क्या उसके अलावा किसी एक को भी पाकिस्तान ने पकड़ा है? पकड़ा है तो उसे सामने लाए? जाहिर है, पाकिस्तान ने केवल झूठ का पुलिंदा बनाया यह साबित करने के लिए भारत उसके देश में आतंकवाद को प्रायोजित करता है। चूंकि भारत में आतंकवाद के उसके प्रायोजन प्रमाणित हो चुके हैं, इसलिए भारत को भी वह अपने जैसा साबित करना चाहता है। किंतु उसके दावे पर कोई विश्वास नहीं कर सकता
और उसने जिस तरह सजा दी है उसके बाद तो उसकी रही सही विश्वसनीयता भी धूल धुसरित हो जाएगी।
 
सबसे पहले कबूलनामा वाला वीडियो 358 सेकेण्ड का है जिसमें विशेषज्ञों ने 102 कट पकड़े हैं। अलग-अलग एंगल से कैमरे लगाकर उसे सूट किया गया है। उसमें जाधव कई बार टेलिप्रॉम्प्टर से पढ़ते हुए दिखते हैं। वह वीडियो पूरे बचकाने ढंग का है जो पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश कर देता है। दूसरे, कोई देश यदि कहीं अपना जासूस भेजता है तो उसे राजनयिक कवर देता है। इस तरह किसी को नहीं भेजता। तीसरे, वीडियो में उसका ईरानी वीजा दिखाया गया है जिसमें चाबाहार मुक्त व्यापार क्षेत्र में उसके काम करने की बात अंकित है। ईरान के राष्ट्रपति जब पाकिस्तान दौरे पर आए थे उनके सामने ये बातें रखीं गईं और उन्होंने इसे नकार दिया। कहा तो यहां तक जा रहा है कि पाकिस्तान को उन्होंने इसके लिए झिड़की तक दे दी। सवाल मुकदमे का भी है। पूरी दुनिया यह जानना चाहेगी कि आखिर किस कानून के तहत किसी देश का सैन्य न्यायालय किसी विदेशी पर मुकदमा चला सकता है? किसी लोकतंत्र में सैन्य न्यायालय प्रायः अपने आंतरिक मामलों के लिए होते हैं। कोर्ट मार्शल किसी सैन्य अधिकारी का हो सकता है। पाकिस्तान कैसा देश है जहां आम न्यायालय का मामला सैन्य न्यायालय में चलता है जिसमें किसी का प्रवेश ही नहीं। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान किस दशा में पहुंच गया है। यानी वहां का राजनीतिक शासन और नागरिक न्यायालय केवल नाम के लिए है पूरी व्यवस्था का सूत्र सेना के हवाले है। सेना मनमाने तरीके से फैसले करती है और उसका प्रतिकार करने की हिम्मत किसी में भी नहीं। 
 
चौथा, अगर कोई जासूस हो भी तो उसे मौत की सजा देने का प्रावधान कहां है? बहरहाल, हमारे सामने निर्णय लेने की घड़ी आ गई है। अगर कुलभूषण जाधव को फांसी दी जाती है तो यह भारत को सीधी चुनौती होगी। भारत ने यह स्पष्ट भी कर दिया है कि इस चुनौती का जवाब हर हाल में दिया जाएगा। कैसे दिया जाएगा यह तय करना होगा। किंतु उसकी सजा की प्रतिक्रिया में तो कुछ कठोर कदम तत्काल उठाए ही जाने चाहिए। भारत ऐसा देश नहीं है जो अपने एक निर्दोष नागरिक की हत्या के प्रयास को चुपचाप देखता रह जाए।

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