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भीड़ देखकर बाग-बाग हो जाते हैं मामा शिवराज चौहान

राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी

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अरविन्द तिवारी

बात यहां से शुरू करते हैं : भीड़ देखते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बाग-बाग हो जाते हैं। जिस वर्ग के बीच वे पहुंचते हैं, वैसी ही बात करने लगते हैं और उन्हें सुनने वालों को लगता है कि शिवराज से बड़ा खैरख्वाह हमारा कोई नहीं है। इसी का फायदा उन्हें हमेशा मिलता है। पिछले दिनों इंदौर में संघ के एक कार्यक्रम में 10 हजार से ज्यादा स्कूल बच्चों से मुख्यमंत्री ने जिस अंदाज में संवाद किया, उसने संघ के दिग्गजों को भी यह सोचने को तो मजबूर कर ही दिया होगा कि शिवराज हैं तो बेजोड़। बच्चों सें जुड़ा ऐसा कोई पहलू नहीं था, जिस पर इस संवाद में शिवराज मुखर न रहे हों। पर तरीका इतना शानदार था कि बार-बार तालियां ही पिटती रहीं। 
 
कौन हैं कर्नल पद्मेश : मध्यप्रदेश के भाजपा नेताओं के बीच इन दिनों कर्नल पद्मेश की बड़ी चर्चा है। यह शख्स मध्यप्रदेश रहते नहीं हैं, पर यहां इनकी पकड़ बहुत जबरदस्त है। आखिर हो भी क्यों न, इनके तार भाजपा द्वारा मध्यप्रदेश के प्रभारी बनाए गए मुरलीधर राव से जोड़े जा रहे हैं। जिस अंदाज में राव इन दिनों मध्यप्रदेश में अपने तेवर दिखा रहे हैं, उससे खासी हलचल है। इन तेवरों का फायदा राव को बरास्ता कर्नल पद्मेश ही मिल रहा है। राव से फायदा उठाने की चाह में लगे कई दिग्गज अब कर्नल के दरबार में दस्तक देने लगे हैं और इनकी सुनवाई भी हो रही है। ठीक वैसी ही स्थिति बन रही है, जो विनय सहस्त्रबुद्धे के प्रभारी रहते हुए जय जैन की थी।
 
भाजपा में हो सकती है उठापटक : शिवराज सिंह चौहान, नरोत्तम मिश्रा, कैलाश विजयवर्गीय, ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीडी शर्मा जिस अंदाज में इन दिनों मेल मुलाकात में लगे हैं, उसने सबको चौंका रखा है। मुलाकातों में ये तेजी के पीछे कुछ न कुछ तो है। नरोत्तम के बाद शिवराज दिल्ली दरबार में दस्तक दे आए। अपनी नई भूमिका का इंतजार कर रहे विजयवर्गीय के पास सिंधिया और शर्मा मिलने पहुंचे। विजयवर्गीय की दिल्ली से दूरी और मध्यप्रदेश में सक्रियता, शर्मा की सबको साधने की कवायद, यह संकेत तो दे ही रही है कि आने वाला समय मध्यप्रदेश भाजपा में भारी उठापटक वाला हो सकता है। 
 
नरेन्द्र सिंह तोमर की दुविधा : सिंधिया की सक्रियता और तोमर की दुविधा, ऐसा ही कुछ हो रहा है इन दिनों ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में। भारी वर्षा के कारण इस क्षेत्र में जो स्थिति बनी, उसका सबसे ज्यादा नुकसान तोमर के संसदीय क्षेत्र मुरैना और श्योपुर में हुआ। भिंड में भी हालात बहुत खराब हो गए। तोमर यहां पहुंचते इसके पहले ही सिंधिया ने दस्तक दे डाली और अपने समर्थक मंत्रियों के साथ पहले हेलीकॉप्टर से नजारा देखा और फिर कई गांवों में भी पहुंच गए। हाथों हाथ राहत की घोषणा भी कर दी और सरकारी तंत्र को भी सक्रिय कर दिया। तोमर अभी यहां पहुंचे नहीं हैं। कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि वे अब मुरैना सीट को बाय-बाय कर देंगे। 
 
कांग्रेस के डेढ़ दर्जन विधायकों की चिंता : कमलनाथ चाहे मुख्यमंत्री रहे हों या नेता प्रतिपक्ष। सज्जनसिंह वर्मा और एन.पी. प्रजापति हमेशा उनके खासमखास रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की भूमिका निभाते हुए भी नाथ ने इन दोनों नेताओं को खासी तवज्जो दी। लेकिन अब इन दोनों दिग्गजों के साथ जिस तरह का सलूक कमलनाथ कर रहे हैं, उसकी खासी चर्चा है। प्रजापति को सेक्टर मंडलम की जिम्मेदारी से मुक्त कर, क्षेत्र में सक्रिय रहने के लिए कहा गया है। वर्मा वक्त की नजाकत भांप इंदौर-सोनकच्छ के बीच सीमित हो गए हैं, लेकिन इसका असर यह हो रहा है कि करीब डेढ़ दर्जन विधायक भी अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित होने लगे हैं। यह चिंता इन्हें कोई दूसरा रास्ता अख्तियार करने के लिए भी प्रेरित कर सकती है। 
 
कमलनाथ के निशाने पर पचौरी : सुरेश पचौरी अचानक क्यों कमलनाथ के निशाने पर आ गए, यह कांग्रेसी समझ नहीं पा रहे हैं। पिछले दिनों कांग्रेसियों के एक बड़े जमावड़े में कमलनाथ जमकर बरसे और इशारों ही इशारों में काफी कुछ कह गए। दरअसल, प्रदेश कांग्रेस में अहम भूमिका निभा रहे अपने एक विश्वस्त साथी के माध्यम से पचौरी ने नगरीय निकाय चुनाव के टिकट और फिर जिलेवार प्रभारी बनाने के मामले में जमकर दखलंदाजी की। पहले तो कमलनाथ ने इस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब समर्थकों ने इसके पीछे के कारण सामने रखे तो वे चौंक पड़े। इसी का नतीजा बैठक में देखने को मिला। हालांकि पचौरी की सिफारिश पर टिकट पाने वाले ज्यादातर नेता चुनाव में खेत रहे।
 
एक खत ने बढ़ाई परेशानी : खुद को संघ का खास बताने वाले एक रिटायर्ड आईएएस अफसर ने प्रधानमंत्री को जो पत्र पहुंचाया उसको लेकर तो अलग-अलग स्तर पर तहकीकात हो ही रही है, पर इससे भी ज्यादा 'सरकार' की रुचि इस बात को लेकर है कि उक्त पत्र में जो कन्टेंट है, वह उपलब्ध कराने में कौन-कौन मददगार रहा है। पत्र का कन्टेंट मध्यप्रदेश के कई नेताओं और नौकरशाहों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। इसके मजनून से तो यही अंदाज लग रहा है कि पूरे कुएं में ही भांग पड़ी हुई है। 
 
चलते-चलते : हालांकि ये नितांत पारिवारिक मामला है, लेकिन दो अलग-अलग पार्टियों के नेताओं से जुड़ा होने के कारण इसे जानने में लोगों की खासी रुचि रहेगी। पूर्व मंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव उमंग सिंघार एक बार फिर दाम्पत्य सूत्र में बंध गए हैं। सालभर पहले दाम्पत्य सूत्र में बंधे भाजपा के राष्ट्रीय सचिव अरविंद मेनन के यहां पुत्री का जन्म हुआ है।
 
कैलाश विजयवर्गीय और ज्योतिरादित्य सिंधिया के मधुर संबंधों के बीच मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में यह चर्चा चल पड़ी है कि क्या सचिव बनने का अमिताभ विजयवर्गीय का सपना इस बार पूरा हो पाएगा। अमिताभ तो इस मुद्दे पर खामोश हैं, लेकिन सबको सिंधिया के इशारे का इंतजार है। 
 
पुछल्ला : इन दिनों हैरान परेशान चल रहे सांसद शंकर लालवानी को लेकर भाजपा में तरह-तरह की बातें चल रही हैं। लेकिन सबसे शानदार जो बात कही जा रही है, वह यह है कि सांसद जी मदद का दिखावा तो पूरा करते हैं, लेकिन मदद करते नहीं हैं। इस बात की पुष्टि भाजपा के एक नहीं अनेक नेता करते हैं।

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