कैसे बनेगा मेरा भारत महान...!! जिसकी राजधानी दिल्ली में कचरे के ढेर पहाड़ के रूप ले चुके हैं। किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। सरकार का हर विभाग अपना पल्ला झाड़ने में लगा रहता है, जब भी कोई दुर्घटना हो जाती है।
लोगों की जान की कीमत आंकी नहीं जाती। दुर्घटना के बाद दो शब्द अफसोस के जाहिर करके फिर वही कछुए की रफ्तार से सरकार की कार्यप्रणाली चलना शुरू हो जाती है।
दिल्ली में गाजियाबाद से अंदर आते ही सबसे पहले कचरे के बड़े पहाड़ स्वागत करते हैं। उस डंपिंग ग्राउंड को साफ रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। सालों साल घसीटा जाता है एक ही व्यवस्था को। सरकारें बदल जाती हैं पर तौर-तरीके नहीं सुधरते।
कपिल मिश्रा के प्रकरण के बाद अरविन्द केजरीवाल जी गायब हो गए हैं। मुंबई में आई बारिश से बाढ़ जैसी स्थिति बन गई थी। कितनी ही कच्ची इमारतों में रहने वाले लोगों को अपनी जान माल का डर बना रहा। रेडियो जॉकी मिशील का मुंबई महापालिका को कोसते हुए गाया हुआ गाना फिर से सुर्खियों में है।
और भी कितनी ही घटनाएं सुनने में आती हैं जो मुझ जैसे नागरिक, जो अपने देश की कानून व्यवस्था और कार्यप्रणाली में विश्वास रखता हैं...सोचने को मजबूर कर देते हैं कि कैसे करें विकास की बातें ..!!