अलौकिक प्राणियों के अस्तित्व पर शायद आप यह मानकर विश्वास न करते हों कि आज की दुनिया में उनका जीवित रह पाना असंभव है। लेकिन यह तो संभव है ही कि कभी उनका अस्तित्व रहा हो और यह कोरी कल्पना न हो। वैसे यह भी एक मान्यता है कि जो कुछ भी मानव की कल्पना में आता है, वह कहीं-न-कहीं, किसी-न-किसी रूप में विद्यमान रहता है।
जलमानवों को मुख्यत: फिल्मों में दर्शाया गया है, क्योंकि फिल्म निर्माताओं को शायद वे बहुत आकर्षक लगते हैं किंतु कभी आपको लगा कि वास्तविक जीवन में लोगों ने उन्हें देखा हो? इसराइली समुद्र तट के पास एक नगर से वहां रहने वाली जलपरी का कोई वैध प्रमाण देने वाले को 10 लाख डॉलर जीतने का प्रस्ताव आया। कैसा बढ़िया तरीका है न पर्यटकों को आकर्षित करने का? उस जलपरी के चित्र भी उनके पास थे जिन्हें देखने पर आसानी से समझ आ जाता था कि चित्र वास्तविक नहीं है और केवल फोटोग्राफी का कमाल है। यद्यपि इसके बाद शहर को ख्याति तो मिल ही गई।
माना जा सकता है कि हान्स एंडरसन की कथा पर आधारित वॉल्ट डिज्नी की फिल्म 'द लिटल मरमेड' (नन्ही जलपरी) उतनी फिल्मी भी नहीं है। दरअसल, यह एक वास्तविक जलपरी के संघर्ष का आख्यान है, जो उतना मायावी और भ्रांत नहीं है जितना कि फिल्म में दिखलाया गया है। हां, मर्मस्पर्शी त्रासदी तो सचमुच है।
एंडरसन की कथा के अनुसार अपने प्रेमी का प्रेम पाने के लिए एरियल समुद्री जादुगरनी के पास जाती है और पांवों के लिए अपनी जबान देने को तैयार हो जाती है। उसे यह शाप भी मिलता है कि अपने पांवों पर चलने पर हर कदम उसे कटार पर चलने जैसा महसूस होगा। उसे बताया जाता है कि राजकुमार को डूबने से बचाकर उसका प्रेम तो वह पा लेगी किंतु उसका प्रेमी यदि उसके प्रति समर्पित नहीं रहा तो वह समुद्री फेन में बदल जाएगी।
दुर्भाग्यवश राजकुमार एक राजकुमारी से विवाह कर लेता है और एरियल का दिल टूट जाता है। उसकी बहनें उससे कहती हैं कि यदि वह राजकुमार को कटार मारकर उसका रक्त पी ले तो वह दुबारा जलपरी बन सकती है किंतु निष्ठावान प्रेमिका के रूप में एरियल अपना टूटा दिल लिए समुद्री फेन में बदल जाना पसंद करती है। उसकी दारुण कथा हृदय-विदारक है और सीधे आपके मर्म को गहरे तक बेध देती है।
प्राचीन पाश्चात्य लोक कथाओं में वर्णन मिलता है कि किसी भी व्यक्ति के लिए जलपरियों से संपर्क की परिणति दुर्भाग्य और दुर्गति ही बनती है। यह तथ्य 'पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन : ऑन स्ट्रेंजर टाइड्स' में भी वर्णित है और यद्यपि यह पूरी तरह काल्पनिक है। किंतु यह 'द लिटल मरमेड' की व्याख्या के मुकाबले मूल व्याख्याओं से अधिक समरूप लगता है, जहां जलपरियों को अपने अस्तित्व के लिए मानव मांस का भक्षण करने वाले अधम व दुष्ट जीवों के रूप में चित्रित किया गया है।
जलमानवों और जलपरियों के अस्तित्व के बारे में हमारी जानकारी बहुत सीमित है किंतु यह स्पष्ट नहीं है कि विज्ञान ने इसकी कहीं कोई पुष्टि की हो। उन्हें या उनसे मिलती-जुलती आकृतियों के देखे जाने के वर्णन मिलते हैं। अधिकांश मामलों में उनके शरीर के कुछ भाग ही दिखे, पूरा शरीर नहीं। हमारी जिज्ञासा को समाधान नहीं मिलता, हमें हर तथ्य का स्पष्ट तार्किक समाधान चाहिए और हमारी कल्पनाशीलता की कोई सीमा नहीं है।
जलपरियों को बीते युग की बातें माना जा सकता है किंतु हमारे मन-मस्तिष्क पर उनका प्रभाव स्पष्ट है, क्योंकि आज भी उन पर किताबें लिखी जा रही हैं और अपने-अपने तरीकों से उनके अस्तित्व को लेकर फिल्में बनाई जा रही हैं। यह तो नहीं पता कि इन काल्पनिक जीवों को कब हम अपनी आंखों से देख पाएंगे किंतु इन पर खोज हमें जारी रखनी चाहिए। ज्यादा गहराई से खोजने पर कल्पना में ही सही, हो सकता है कोई जलपरी हमें दिख ही जाए!