# माय हैशटैग
भारत में भारत में पिछले दो सालों में सेल्फी लेने वालों की जितनी मौतें हुईं, उतनी दुनिया में किसी भी देश में नहीं हुई। यह तथ्य सामने आया है कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय और दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फर्मेशन की स्टडी में। सेल्फी के बहाने भारत में जो मौतें हो रही हैं, वे चिंताजनक हैं। इस बारे में केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय ने तो दिशा-निर्देश जारी किए ही हैं, पर्यटन विभाग ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाया है, जिससे सेल्फी मौतों को रोका जा सके। अनेक पर्यटन केन्द्रों पर नो सेल्फी जोन बनाने की तैयारी भी की जा रही है।
कुछ समय पहले आगरा में ताजमहल की सीढ़ियों पर सेल्फी लेने की कोशिश करते हुए एक जापानी नागरिक गिर पड़ा, जिससे उसकी मौत हो गई। उस पर्यटक को काफी गंभीर चोटें आई थीं और काफी खून बह गया था। नागपुर के पास कुही तहसील में मंगरूल झील में सेल्फी लेने की कोशिश करते हुए दस छात्र डूब गए थे, जिनमें से बड़ी मुश्किल से तीन को ही बचाया जा सका। हिमाचल के एक पर्यटन केंद्र पर पहाड़ की नुकीली चट्टान पर खड़े होकर फोटो खींचते हुए एक विद्यार्थी 60 फीट नीचे खाई में गिर पड़ा और उसकी मौत हो गई। महाराष्ट्र के एक युवक की मौत डेढ़ साल पहले तेज गति से आ रही ट्रेन के साथ सेल्फी लेने के चक्कर में ट्रेन से कटकर हो गई थी। राजकोट में सुरेन्द्र नगर से आए छात्रों का एक समूह पिकनिक पर सेल्फी लेते वक्त झील में गिर गया, जिसमें से एक युवक की मौत हो गई। इन सेल्फी दुर्घटनाओं में अधिकांश मृतक नौजवान होते हैं और वे यादगार सेल्फी के चक्कर में दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।
इस अध्ययन की रिपोर्ट जिस शीर्षक से प्रस्तुत की गई है, वह है- मी, माय सेल्फ एंड माय किल्फी। जाहिर है सेल्फी अब किल्फी हो गई है। विकासशील देश होने के नाते भारत में स्मार्टफोन का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। भारत में सेल्फी फोन के रूप में भी मोबाइल प्रचारित किए जा रहे हैं। इसका मतलब यह हुआ कि यह फोन बातचीत करने के साथ ही सेल्फी को भी प्रमोट कर रहे हैं। सेल्फी के चक्कर में जो दुर्घटनाएं हो रही हैं, उनमें से अधिकांश रोकी जा सकती हैं। हर रोज सोशल मीडिया पर लाखों सेल्फी पोस्ट की जा रही हैं। नौजवान खतरनाक जगहों पर जाकर सेल्फी लेते हैं और उसे ज्यादा से ज्यादा लाइक्स के चक्कर में पोस्ट करते रहते हैं।
अध्ययन के अनुसार, गत दो वर्षों में पूरी दुनिया में 127 मौतें सेल्फी के चक्कर में हुईं। इनमें से 76 मौतें केवल भारत में हुईं अर्थात आधे से भी ज्यादा। पाकिस्तान में भी खतरनाक सेल्फी की बीमारी काफी बढ़ गई है और वहां 9 मौतें सेल्फी के चक्कर में हुईं, यूएसए में 8, रूस में 6, फिलीपींस और चीन में 4, स्पेन में 3, इंडोनेशिया, पुर्तगाल, पेरू और तुर्की में 2 साल में 2 मौतें सेल्फी के कारण हुई हैं। हांगकांग, इटली, मेक्सिको, नेपाल, ऑस्ट्रेलिया, रोमानिया, दक्षिण अफ्रीका और सर्बिया में दो साल में एक-एक मौत सेल्फी के कारण दर्ज की गई है।
शोधकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई हजारों सेल्फी देखीं और उनका विश्लेषण करने की कोशिश की। अध्ययन में यह पता चला कि सबसे अधिक 29 मौतें किसी पहाड़ी की ढलान या गगनचुंबी बिल्डिंग की छत से सेल्फी लेने की कोशिश में हुई हैं। दूसरे नंबर पर चलती ट्रेन के सामने खड़े होकर सेल्फी लेने के जुनून में जाने वाली मौतें हैं। दो साल में 9 लोगों ने अपनी जान सेल्फी के चक्कर में ट्रेन से कटकर दी है। भारत में होने वाली अधिकांश मौतें पानी में डूबने से हुई हैं। ये मौतें या तो सेल्फी के चक्कर में डूब जाने या फिर समुद्र के किनारे आ रही लहरों को अनदेखा करने के कारण हुई हैं। झील में चलती हुई नाव से और वाहन की छत पर खड़े होकर भी सेल्फी लेने की कोशिश में लोगों ने मौत को गले लगाया। चलती ट्रेन के सामने प्रेमी-प्रेमिकाओं द्वारा मिलकर सेल्फी लेने की कोशिश भी जानलेवा साबित हुई। सेल्फी की मदहोशी में ये लोग अपनी सुरक्षा को भूल गए।
भारत में पर्यटन केन्द्रों पर इस तरह के सूचना बोर्ड लगाने का काम तेजी से चल रहा है, जिसमें पर्यटकों से अनुरोध किया गया है कि वे सेल्फी लेते वक्त सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें। वाहन चलाते समय मोबाइल के उपयोग पर तो पाबंदी है ही, ताकि लोग फोन पर बातचीत में भटके नहीं और दुर्घटनाएं कम से कम हों, लेकिन फिर भी भारत में ऐसे सेल्फीवीरों की कमी नहीं है, जो वाहन चलाते हुए भी सेल्फी लेने से बाज नहीं आते। मामूली सावधानी से इन मौतों को रोका जा सकता है। इन मौतों के अलावा बड़ी संख्या ऐसे लोगों की भी है, जो सेल्फी के चक्कर में दुर्घटनाग्रस्त हुए और उन्हें इलाज कराना पड़ा। सेल्फी के दौरान घायल हुए ऐसे लोगों की संख्या मृतकों से कई गुना ज्यादा है।