क्या फर्क पड़ता है, कौन थी वह, कैसी थी वह, क्या हुआ उसके साथ, कैसे दरिंदगी हुई और क्यों वह असमय मौत के मुंह में चली गई... सवाल, सवाल सवाल..... मगर किससे और जवाब कौन देगा और किसे.... ?
सवाल अपने आप से और जवाब हर उस व्यक्ति से जो समाज में अपने अधिकारों के लिए सचेत है लेकिन जब भी जवाबदेही तय करने की बात आती है... चेहरा छुपा लेता है... घटना का विवरण ऐसा कि आपको इंसान होने पर शर्म आ जाए, सच ऐसा कि आपको अपनी चुप्पी से नफरत हो जाए....
इन दिनों जबकि गणेशोत्सव चल रहा है, मुंबई अपनी अलग ही रौनक और रोशनी के लिए पूरे देश में छाई रहती है....लेकिन आज उसी सुरक्षित मानी जाने वाली मुंबई की घटना सुनकर-जानकर गणपति के जयकारे कांप रहे हैं.. ढोल ताशे और थिरकनों के पीछे कहीं जोर से एक चीख दबी सुनाई दे रही है....
मुंबई में उपनगर साकीनाका में एक टेंपो में 34 वर्षीय महिला के साथ इस कदर बर्बरता की गई है कि हर कोई सिहर गया है...
घटना के कुछ ही घंटों के भीतर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस को सूचना मिली थी खैरानी रोड पर एक व्यक्ति एक महिला की पिटाई कर रहा है।
पुलिस टीम मौके पर पहुंची तब खून से लथपथ महिला मिली जिसे राजावाड़ी अस्पताल ले जाया गया। जांच में हैवानियत सामने आई कि निजी अंगों में लोहे की रॉड से हमला किया गया। यह बिल्कुल दिल्ली की निर्भया की तरह मामला है। उस मामले में बस थी यहां टेंपो है। वह दिल्ली थी यह मुंबई है।
वहां कोई और थी, यहां कोई और है... लेकिन है तो एक महिला ही, स्त्री, औरत और क्रुरता से रौंदी जाती उसकी देह....
क्या मुंबई इतनी अमानवीय हो गई है; क्या मुंबई के 'आदर्श' अब नहीं बचे? क्या किसी ने आवाज नहीं सुनी? क्या किसी ने रूककर देखने की कोशिश नहीं की.....
जब जब ऐसी घटनाएं सामने आती है.... मुंबई से छनकर आती हर बुरी खबर के साथ भय गहराने लगता है.... एक सुंदर और सौंधे से शहर में जब नशा झुग्गी से लेकर अट्टालिकाओं तक पहुंच गया हो, जहां आत्मा कैसे बेची जाती है, आप अंदाजा नहीं लगा सकते, जहां कोई करोड़पति, देह की कीमत तय करते हुए जेल की सलाखों में है.... वहां फिर एक स्त्री देह का नोंचा जाना और उसे मौत के घाट उतार देना.... भला कौन से अचरज की बात है?
क्या यह पहली और अंतिम देह है? सिर्फ मुंबई ही नहीं बहुत दुखी आज मेरा देश है.... श्री गणेश के जयकारे कंठ में अवरूद्ध है और मन बहुत क्रुद्ध है....