पिछले कुछ महीनों में विश्व फलक पर भारत की तस्वीर एक मजबूत देश के तौर पर उभरकर सामने आई है। अब हम एक ऐसे भारत में हैं, जिसका जिक्र पूरी दुनिया में कई वजहों से हो रहा है।
इन दिनों अक्सर दुनिया के किसी न किसी अखबार में भारत की हेडलाइंस नजर आ रही है। यहां तक कि जिस अमेरिका के सामने दुनिया के कई देश हाथ बांधकर खड़े रहते रहे हैं, वही अमेरिका भारत का अनुकरण कर रहा है। ऐसे कई उदाहरणों की हम आगे बात करेंगे।
कोरोना काल में भारत की छवि कहीं ज्यादा मजबूत तरीके से उभरकर सामने आई है। निसंदेह, भारत फिलहाल कोरोना से प्रभावित होने वाले देशों की कतार में तीसरे पायदान पर आ गए हैं। भारत से पहले अमेरिका और ब्राजील हैं। लेकिन जिस तरह से हमने पिछले दिनों में इस संक्रमण से खुद को बचाया वो उल्लेखनीय है। इतनी बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद कम से कम जो तबाही इटली और स्पेन यहां तक कि अमेरिका में हुई उससे हम काफी दूर ही हैं।
शुरुआत के दिनों में तो भारत ने कोरोना को लेकर कई देशों का मार्गदर्शन किया। जाहिर है वक्त पर फैसले और सही विजन की वजह से यह हो सका है।
इधर कोरोना काल में जहां ज्यादातर देशों के आर्थिक हालात खराब हो चुके हैं, वहीं भारत की जनसंख्या इतनी विशाल है किसी न किसी रूप में खरीदना-बेचना जारी है। जिससे अर्थव्यवस्था कहीं न कहीं हरकत में है।
जहां तक भारत के पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंधों का सवाल है तो आज हम चीन को धौंस देने, आंख दिखाने और वक्त आने पर उससे भिड़ने का माद्दा हासिल कर चुके हैं। यह इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि कभी ऐसा भी वक्त था कि भारत के पाकिस्तान से लड़ने के विचार में भी शिकन आ जाती थी। हालांकि पाकिस्तान का हमसे कभी मुकाबला रहा नहीं है, लेकिन सिर्फ इस विचार से कि युद्ध हमेशा दोनों तरफ के लिए त्रासदी होता है हमने कभी पाकिस्तान को सबक सिखाने के विचार को ‘एक्जिक्यूट’ नहीं किया।
अब स्थिति यह है कि गलवान और लद्दाख मामले में चीन को लेकर हमारे स्टैंड से पाकिस्तान के साथ ही नेपाल भी समझ गया कि यह ‘नया और समृद्ध भारत’ है। जिससे आंख मिचोली तय रूप से खतरनाक साबित होगी।
डिप्लोमेसी, ताकत और आर्थिक मोर्चे पर एक देश को जो करना चाहिए वो बखूबी किया गया है। इसमें मोदी का लदृाख दौरा भी शामिल है। इधर चीन के 59 एप्लिकेशन पर प्रतिबंध लगाकर पूरी दुनिया को जो मैसेज कन्वे किया गया वो एक मनोवेज्ञानिक दबाव साबित हुआ। दिलचस्प यह है कि अब अमेरिका भी भारत के इस कदम का अनुकरण करने वाला है।
अमेरिका टिक टॉक समेत चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने सोमवार देर रात इस संबंध में ऐलान किया। उन्होंने कहा कि हम निश्चित रूप से चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। उधर, ऑस्ट्रेलिया में भी चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाने की मांग तेज होती जा रही है। भारत में टिक टॉक बैन होने से चीनी कंपनी को करीब 6 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।
जाहिर है कुटनीति इसे ही कहा जाता है। जिसमें भारत ने बेहद खास तरीके से अपनी भूमिका निभाई है, अपने मोरॉल और ताकत को कम आंके बगैर। शायद यही नया भारत है, जिसका विस्तार होना अभी और शेष है।
नोट: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक की निजी अनुभूति है, वेबदुनिया का इससे कोई संबंध या लेना-देना नहीं है।
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