रजनीश ओशो ने अपने दौर में एक आध्यात्मिक ऊचांई हासिल की थी। लेकिन अब उनके जाने के
कई सालों बाद वे अब भी कई वजह से चर्चा में रहते हैं। सेक्स के बारे में अपने खुले विचारों की वजह से विवाद में भी रहे हैं। फिल्म, लेखन और दूसरे क्षेत्रों से जुड़े कुछ हस्तियां ऐसी भी रहीं हैं, जो पहले ओशो की शरण में गईं और फिर उनसे उनका मोह भी भंग हुआ। कुछ ऐसे लोग भी रहे हैं, जो अब भी ओशो के आध्यात्म की राह पर चल रहे हैं। जानते हैं ऐसी पांच हस्तियों के बारे में।
विनोद खन्ना’- जिसने ओशो के लिए टॉयलेट साफ किया
हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता विनोद खन्ना ने अपने करियर के शिखर पर अभिनय छोड़कर ओशो की राह पकड़ ली थी। इस घटना ने पूरी बॉलीवुड को स्तब्ध कर दिया था। यह वह दौर था जब हैंडसम विनोद खन्ना के लिए हजारों लड़कियां दीवानी थीं, लेकिन वे आध्यात्म की खोज में ओशो की शरण में चले गए। वे पुणे के ओशो आश्रम में कई सालों तक रहे। ओशो के साथ अमेरिका भी गए। जानकार हैरानी होगी कि वे ओशो के पर्सनल गार्डन के माली भी बने और इस दौरान उन्होंने टॉयलेट और जूठी थाली साफ करने का भी काम किया। कुछ साल बाद वे दोबारा फिल्मों में लौट आए।
महेश भट्ट- स्प्रिच्यूअल सुपर मार्केट था ओशो
बॉलीवुड फिल्मकार महेश भट्ट हर विषय पर बेबाक होकर अपनी राय रखते हैं। वे राजनीति, सामाजिक मुद्दों पर अपनी बेबाकी से विवादों में भी रहे हैं। लेकिन 'सारांश', 'अर्थ', 'आशिकी', 'सड़क' और 'जख्म' जैसी फिल्में बनाने वाले महेश भट्ट भी ओशो की शरण में चले गए थे। लेकिन जितनी तेजी से वे ओशो के करीब आए उतनी तेजी से उनका मोह भी भंग हो गया। वे ओशो के आध्यात्म को अब स्प्रिच्यूअल सुपर मार्केट कहते हैं, अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि ओशो शब्दों का व्यापारी था। हमने उसके चक्कर में अपने ढाई साल बर्बाद कर दिए, लेकिन जो सीखा वो जिंदगी में गिर-पड़कर ही सीखा।
मां आनंद शीला - 'मैं आज भी ओशो की प्रेमिका हूं।'
यूं तो आध्यात्मिक गुरू ओशो की कई प्रेमिकाएं थीं, लेकिन कथित रूप से 'विश्वासघात' सिर्फ एक ही ने किया और उसका नाम है शीला, जो पहले कभी मां आनंद शीला हुआ करती थी। उसका असली नाम है- शीला अंबालाल पटेल। साल 1949 में बड़ौदा के एक गुजराती परिवार में जन्मीं शीला कहती है- 'मैं आज भी ओशो की प्रेमिका हूं।' 69 साल की शीला अब स्विट्ज़रलैंड में दो केयर होम्स की सर्वेसर्वा हैं। इनमें से एक का नाम है- मातृसदन, यानी मां का घर। शीला ने अपनी किताब में खुद लिखा है कि उनकी दिलचस्पी आध्यात्म में नहीं थी, वह तो रजनीश से प्यार करती थी। मीडिया रिपोर्ट की माने तो ओशो ने शीला पर कई आर्थिक आरोप लगाए। बाद में खबर आई कि शीला ने ओशो को जहर देने की कोशिश की थी, जब वो असफल रही तो उसने अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर ओशो के खिलाफ षड्यंत्र रचा और फिर अमेरिकी सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जहर देकर मरने के लिए छोड़ दिया।
ओशो के प्रशंसक चर्चित लेखक खुशवंत सिंह भी
ट्रेन टू पाकिस्तान और कंपनी विद वुमेन के साथ ही कई किताबें लिखने वाले चर्चित लेखक खुशवंत सिंह भी ओशो के दीवाने रहे हैं। उन्होंने कई बार ओशो रजनीश के आध्यात्मिक पंथ का समर्थन किया था। हालांकि वे पूरी तरह से उनके अनुयायी के तौर पर नजर नहीं आए।
अब भी ओशो आध्यात्म फैला रही मां अमृत साधना
मां अमृत साधना ओशो से जुड़ी रही एक और ऐसी महिला है, जिसने ओशो के आध्यात्म और विचारों का काफी प्रचार किया। वे ओशो मेडिटेटर हैं। ओशो टाइम्स की संपादक हैं और तमाम जगहों पर ओशो विजन से संबंधित लेख लिखती हैं। वह मेडिटेशन वर्कशॉप भी चलाती हैं। मां अमृत साधना का मानना है कि दुनिया में हैरी पॉटर के बाद सबसे ज्यादा ओशो साहित्य ही पढ़ा जाता है। ओशो के हजारों-करोड़ों अनुयायियों के अलावा सन्यासिन मां मनीषा और हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा भी उनके प्रशंसक रहे हैं।