Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

भारत में संतों की हत्या देश के माथे पर कलंक है

हमें फॉलो करें भारत में संतों की हत्या देश के माथे पर कलंक है
webdunia

कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल

महाराष्ट्र के पालघर में जो हुआ वह आज से नहीं लम्बे अर्से से चली आ रही साजिश है। शासन-प्रशासन अब इसमें जांच के नाम पर खानापूर्ति करेगा या कि इसे ठंडे बस्ते में डालकर उर्ध्व सांस लेते हुए गहन निद्रा में सो जाएगा। आदिकाल से संतों को पूजने वाले देश में उनकी सरेआम भीड़ बनाकर हत्या कर देना देश के माथे में कलंक है।

किन्तु महाराष्ट्र के पालघर में संतों की हत्या ही नहीं हुई बल्कि सनातन की रीढ़ पर चोट की गई है, क्योंकि इन्हीं संतों की बदौलत ही सनातन टिका हुआ है। मुगलों और अंग्रेजों की क्रूरता की बात भुला दें तो स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात से ही राजनीति की चौसर में सनातन को क्षत-विक्षत करने के लिए हजारों-लाखों दांव चलते रहे आए लेकिन सनातन तब भी डटा-टिका रहा आया।

बौध्दिक नक्सलियों ने हमारे सनातनी मूल्यों और धर्मग्रंथों पर जमकर अकादमिक जुगाली करते रहे और सनातन के विरुद्ध अपने एजेंडे को सत्ता के संरक्षण में विमर्श बनाकर सनातन की हत्या करते रहे लेकिन फिर भी वे एक प्रकार से असफल रहे।

लेकिन धीरे-धीरे ही सही उन्होंने साहित्य, सिनेमा और अपने बौध्दिक नक्सली हथियारों से सनातन के विरुद्ध अपना एजेंडा लागू करने लगे आए, जहां मिशनरियों ने वनांचलों में लोभ और पाखंड से अपने पांव जमाते हुए धर्मांतरण की कुटिलता को अंजाम दिया वहीं भीम-मीम की थीम के साथ निकृष्टों ने सनातन को तोड़ने लिए नए-नए तरीके अपनाए।

वोटबैंक के आगे विचारधारा और अपना सर्वस्व समर्पित कर देने वाली पार्टियों और उनके नेताओं को तो पूछिए मत क्योंकि सत्तालोभ में वे अपना सबकुछ दांव में लगा सकते हैं। उनके लिए सत्ता ही सबकुछ है, इसके सिवाय सबकुछ मिथ्या।

तथाकथित मॉबलिंचिग पर हो हल्ला मचाकर बौध्दिक रोना रोने वाले पाखंडी नेताओं, फिल्मी कलाकारों, मीडिया, अवार्ड वापसी गैंग आज मौन है, क्योंकि उनका एजेंडा तो सनातन पर चोट करने का ही रहता है इसलिए महाराष्ट्र में संतो की सुनियोजित तरीके से हत्या पर किसी के मुंह से आवाज नहीं निकल रही है। टुकड़े-टुकड़े गैंग हो या मोमबत्ती गैंग या कि हत्यारों को सरकारी मुआवजा देने वाले राजनैतिक खोल में छिपे हुए नेतागण सेक्युलरी हिजाब में छिप गए हैं।

आखिर! भगवा और सनातन से इतनी बड़ी दुश्मनी किस बात की? कि आज सड़कों पर हत्यारे संतों की पुलिस की उपस्थिति में हत्या करने लग गए हैं?

उन संतों ने क्या कोई द्रोह किया था? लेकिन एक चीज तो स्पष्ट सी है कि इसके पीछे शातिर अपराधियों की साजिश है जिसे नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

धर्मांतरण और साजिशों के पीछे के व्यूह को जब तक नहीं भेदा जाता है, तब तक स्थितियां भयावह और कारुणिक ही देखने को मिलती रहेंगी, क्योंकि वर्षों से सनातन के विरुद्ध विषवमन किया जाता रहा है इसके साथ ही षड्यंत्रकारी जब अपने अन्य हथकंडों से नहीं जीत पाए तो उन्होंने फासिस्ट-फासिस्ट का राग अलापते-अलापते खुद अपनी टीमों को डायरेक्ट हत्या पर उतार दिया।

उन्हें चिढ़ है सनातन से सनातनी मूल्यों और उनके प्रतीकों से क्योंकि सत्ता की मलाई अब उन्हें खाने को नहीं मिल रही है, इसलिए वे अब कुछ भी करने पर उतारू हो जाएंगे।

संतों की हत्या उसी एजेंडे का ही एक अलग रुप दिखता है जो उनकी छटपटाहट और कुढ़न की अंतिम परिणति है। उन्हें डर है इसलिए वे अपनी राजनैतिक बाजी को हर हाल में जीतने के कुत्सित षड्यंत्र रचे जा रहे हैं लेकिन मूलप्रश्न यह है कि शासन और सत्ता क्या कर रही है?

राष्ट्र के उत्थान और कल्याण के लिए मुख्यधारा से कटकर अपने जीवन को समर्पित करने वाले संतों पर हो रहे ऐसे हमले सत्ता की कायरता और घालमेल का ही परिणाम प्रतीत होते हैं, अन्यथा हत्यारों के अन्दर इतना बड़ा दुस्साहस अचानक कैसे उत्पन्न हो गया?

किन्तु अब इसके बाद जो संत समाज में आक्रोश का तीव्र ज्वार उठेगा उसको नियंत्रित करने की सामर्थ्य किसमें होगी? सनातनी मूल्यों की मुखालफत करने वाली राजनैतिक पार्टियों और नेताओं की नपुंसकता को देश जान भी रहा है और पहचान भी रहा है।

इसके साथ ही जो बात हत्यारी मानसिकता के पास शेष रह जाएगी वह यह है कि- यह हो-हल्ला मचाने वाले कायर-भीरू लोग हैं, जो सेक्युलरिज्म का लबादा ओढ़े-ओढ़े अपनी आत्मा को बेंच खाए हैं।

कुंभकर्णी निद्रा में सोने वाले और वोटबैंक के तलवे चाटने वालों जागिए क्योंकि यह पृथ्वी संतों की हत्या सहन नहीं कर सकती है। हत्यारों और हत्यारी मानसिकता का समूलनाश करिए, एक-एक को चिन्हित करिए और कठोरतम दंण्ड तो दीजिए साथ ही उच्चस्तरीय जांच करवाकर इसके पीछे के षड्यंत्र का पर्दाफाश भी करना होगा। क्योंकि यदि आप आज विफल होंगे तो भविष्य आपको कभी भी माफ नहीं करेगा, साथ ही सनातन के ध्वजवाहकों की चीत्कार करती हुई आत्मा चैन की नींद सोने नहीं देगी!!

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Earth Day Poem 2020 : मैं और मेरी धरती