फिल्म अभिनेत्री रहीं उर्मिला मातोंडकर ने जिस तेजी से कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन की थी, उतनी ही तेजी से उन्होंने पार्टी छोड़ दी।
कुछ समय तक वो लो-प्रोफाइल रही, लेकिन अब एक बार फिर से उनके शिवसेना में शामिल होने की खबरें आ रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि राजनीतिक रूप से निष्क्रिय रहीं उर्मिला पर आखिर ठाकरे अपना दांव क्यों लगा रहे हैं। अब तक उर्मिला की कोई राजनीतिक उपलब्धि नहीं है, तो ऐसा क्या है कि शिवसेना में उन्हें गंभीरता से लिया जा रहा है।
पहला कारण यह है कि दरअसल, उर्मिला मातोंडकर मराठी परिवार से आती हैं,वो मराठी भाषी लोगों को अच्छी तरह समझती हैं। शिवसेना मुख्यत: एक मराठी भाषी प्रमुख पार्टी है, ऐसे में पार्टी में एक नए मराठी भाषी का शामिल होना कोई चौंकाने वाली बात नहीं है। ऐसे में शिवसेना को मराठियों की तरफ से मजबूती ही मिलेगी।
उर्मिला को साथ लेने का दूसरा कारण है उनके पति का कश्मीरी मुस्लिम होना। दरअसल उर्मिला के पति मोहसिन अख्तर मीर कश्मीरी मुस्लिम है। ऐसे में उनके पति के जरिए शिवसेना मुसलमानों को साधने के बारे में सोच रही होगी।
तीसरी बात यह है कि पिछले दिनों जब कंगना रनौत ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर शिवसेना पर जो हमला बोला था, उसमें उर्मिला ने शिवसेना का पक्ष लिया था। कई मौकों पर उर्मिला शिवसेना का बचाव करते हुए कंगना रनौत को जवाब देती रही।
ऐसे में शिवसेना को लगा होगा कि उर्मिला उनकी पार्टी के लिए एक बेबाक महिला प्रवक्ता साबित हो सकती है। हो सकता है कि शिवसेना उन्हें महाराष्ट्र से पार्टी की प्रवक्ता बना दें।
दूसरी तरफ किसी जमाने में फिल्मों में व्यस्त रहने वाली उर्मिला अब बॉलीवुड में सक्रिय नहीं है, ऐसे में वो राजनीति को फूल टाइम दे सकती है। कुछ ही समय पहले उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कहा है और अब शिवसेना का रुख कर रही है ऐसे में लगता है कि वो आने वाले दिनों में राजनीति का गंभीरता से लेने के मूड़ में है। हालांकि वो कितना सफल हो पाएंगी यह तो वक्त ही बताएगा।
(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।)