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पिघल रही है अमेरिका और रूस के बीच की बर्फ, क्यों डरे हुए हैं जेलेंस्की

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हमें फॉलो करें Why is Ukrainian President afraid of relations between America and Russia
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राम यादव

अमेरिका में डोनाल्‍ड ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनते ही एक लंबी बर्फ़ीली अवधि के बाद रूस-अमेरिकी संबंधों में तेज़ी से निकटता आती दिख रही है। ट्रंप द्वारा अपने पद की शपथ लेने के एक महीने के भीतर ही मंगलवार, 18 फरवरी को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की सऊदी अरब की राजधानी रियाद में पहली बैठक हुई। बातचीत का मुख्य विषय था, रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से चल रहे युद्ध का अंत कैसे हो।

4 घंटे से भी अधिक समय तक चली इस बैठक में दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की है कि वे यूक्रेन के अलावा आर्थिक संबंधों पर भी बातचीत करेंगे। नए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के देश में अपने दूतावासों के अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या पुनः सामान्य स्तर पर लाएंगे।

पिछले वर्षों में दोनों देशों के बीच की कूटनीतिक बर्फ़ीली अवधि ने एक-दूसरे के यहां उनके दूतावासों की कार्यक्षमता को काफी सीमित कर दिया था। मार्को रुबियो ने कहा, हमें एक ऐसे जीवंत कूटनीतिक प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है, जो सामान्य रूप से काम कर सके, ताकि सामान्य संबंधों को बनाए रखा जा सके।

वर्षों बाद बातचीत : फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण से बहुत पहले भी, रूस और अमेरिका के आपसी संबंध बहुत तनावपूर्ण थे। उच्चस्तरीय वार्ताएं नहीं हो रही थीं। वर्षों की रुकावट के बाद, अमेरिका के विदेश मंत्रियों मार्को रुबियो और उनके रूसी समकक्ष सेर्गेई लावरोव ने सऊदी अरब की राजधानी रियाद में पहली बार आमने-सामने बैठकर साढ़े 4 घंटे तक बातचीत की है।

यूक्रेन और यूरोपीय संघ के किसी प्रतिनिधि को रियाद में आमंत्रित नहीं किया गया था। रूस-अमेरिकी बैठक को रियाद में आयोजित करने का श्रेय सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान को दिया जा रहा है। विदेश मंत्रियों की इस बैठक के बाद संभवतः कुछेक सप्ताहों के भीतर ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तथा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के बीच भी रियाद में ही शिखर सम्मेलन आयोजित होने की संभावना है।

उच्चस्तरीय टीमों का गठन : दोनों देशों को विदेश मंत्रियों ने रियाद में कहा कि यूक्रेन समस्या के यथासंभव शीघ्र समाधान का काम शुरू करने के लिए उच्चस्तरीय टीमों का गठन किया जाएगा। उच्चस्तरीय वार्ताकार टीमें यूक्रेन में शांति स्थापना और आर्थिक सहयोग के लिए भूमि तैयार करेंगी। यूरोप और यूक्रेन के प्रतिनिधि प्रस्तावित शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित नहीं किए जाएंगे।
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रियाद में रूस और अमेरिका के विदेश मंत्रियों की बैठक के समानांतर ही, उसी समय दुबई में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की संयुक्त अरब अमीरात के शासकों से मिल रहे थे। उनका कहना था कि वे रूस और अमेरिका की यूक्रेन संबंधी आपसी सहमति को स्वीकार नहीं करेंगे।

रियाद सम्मेलन से एक ही दिन पहले यानी 17 फरवरी को यूरोपीय संघ के प्रमुख शासनाध्यक्षों की फ्रांस की राजधानी पेरिस में आकस्मिक बैठक हुई। यूरोपीय नेता भी यूक्रेन संबंधी किसी भी निर्णय में अपनी सहभागिता चाहते हैं। अमेरिका का राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप की इस घोषणा के बाद से यूरोपीय नेता बेचैन हैं कि वे यानी ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिलकर यूक्रेन-समस्या का अकेले ही कोई समाधान निकाल सकते हैं।

यूरोप वालों को डर है कि ऐसा कोई निर्णय यूरोप के और युद्ध-जर्जर यूक्रेन के हितों के भी विपरीत जा सकता है। हालत यह है कि यूरोपीय नेता जिस अमेरिका के सामने सदा बिछे रहते थे, उसकी हां में हां मिलने से गौरवान्वित होते थे, आज उसे खरीखोटी सुनाने को उद्यत हैं। अमेरिका भी यूरोप वालों की उपेक्षा कर रहा है।

तारीख तय नहीं हुई है : पुतिन-ट्रंप बैठक के लिए अभी तक कोई तारीख़ तय नहीं हुई है। रियाद में बैठक का उद्देश्य ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन की तैयारी करना था। हालांकि पुतिन के सलाहकार यूरी उश्कोव ने कहा कि ऐसी बैठक के लिए अभी तक कोई तारीख निर्धारित नहीं की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि शिखर सम्मेलन के अगले सप्ताह होने की उम्मीदें कम हैं। उससे पहले प्रतिनिधि मंडलों द्वारा गहन तैयारी आवश्यक है।

यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण पिछले वर्षों में अमेरिका और रूस के बीच संबंध लगभग ठप हो गए थे। रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव की पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ कुछेक बैठकें हुई थीं, पर वे जी-20 प्रारूप जैसे सम्मेलनों के दौरान हुई थीं।

ट्रंप के लगभग एक महीना पहले पदभार ग्रहण करने के बाद से ही अमेरिका की ओर से रूस के साथ द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के संकेत मिलने शुरू हुए। ट्रंप ने पिछले सप्ताह पुतिन को फोन किया और यूक्रेन के साथ रूस के युद्ध को समाप्त करने की संभावनाओं पर चर्चा की। दोनों ने वार्ताओं की शुरुआत करना और व्यक्तिगत रूप से मिलना तय किया।

जेलेंस्की का डर : यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रियाद बैठक के बारे में कहा कि संभावित शांति वार्ताओं में उनके देश और यूरोप को भी वार्ता की मेज़ पर होना चाहिए। उन्हें डर है कि ट्रंप और पुतिन के बीच शांति वार्ताओं में यूरोप और यूक्रेन को अनदेखा किया जा सकता है। रूस का दावा है कि राष्ट्रपति पुतिन युद्ध समाप्त करने के प्रश्न पर जेलेंस्की के साथ भी बातचीत के लिए तैयार हैं।

रूसी समाचार एजेंसियों के अनुसार, क्रेमलिन के प्रवक्ता द्मित्री पेस्कोव ने कहा कि पुतिन ने ऐसी वार्ताओं के लिए कई बार अपनी तत्परता व्यक्त की है। साथ ही उन्हें जेलेंस्की की संवैधानिक वैधता के साथ एक समस्या है। जेलेंस्की का कार्यकाल पिछले साल मई में समाप्त हो गया।

पुतिन का मानना है कि यूक्रेन में पहले चुनाव आवश्यक हैं। दूसरी ओर यूक्रेन कहता है कि जेलेंस्की के अधिकार युद्धकालीन विशेष कानून के अनुसार अभी भी प्रभावी हैं। यह युद्धकालीन कानून रूस के द्वारा यूक्रेन पर किए गए आक्रमण के कारण ही लागू करना पड़ा है।

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