नाग पंचमी एक संवेदनशील पर्व है। नाग जहां भगवान शिव के गले के हार हैं। वहीं भगवान विष्णु की शैय्या भी।
लोकजीवन में भी लोगों का नागों से गहरा नाता है। कई पवित्र कारणों से नाग की देवता के रूप में पूजा की जाती है।
नाग पंचमी और श्री कृष्ण का संबंध
नाग पंचमी की पूजा का एक प्रसंग भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है। बालकृष्ण जब अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उन्हें मारने के लिए कंस ने कालिया नामक नाग को भेजा। पहले उसने गांव में आतंक मचाया। लोग भयभीत रहने लगे।
एक दिन जब श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उनकी गेंद नदी में गिर गई। जब वे उसे लाने के लिए नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया फिर क्या था कालिया की जान पर बन आई। भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगते हुए गांव वालों को हानि न पंहुचाने का वचन देकर नागदेव वहां से चले गए। कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
नाग पंचमी पर क्या करें क्या न करें
इस दिन भूमि की खुदाई नहीं की जाती। नाग पूजा के लिए नागदेव की तस्वीर या फिर मिट्टी या धातु से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है। दूध, धान, खील और दूब चढ़ावे के रूप मे अर्पित की जाती है। सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है। जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है।
नाग पंचमी पर्व तिथि व मुहूर्त
25 जुलाई 2020
पूजा मुहूर्त - 05:43 से 8:25 ( 25 जुलाई 2020)
पंचमी तिथि प्रारंभ - 14:33 (24 जुलाई 2020)
पंचमी तिथि समाप्ति - 12:01 (25 जुलाई 2020)
शुभ समय-प्रात: 7:35 से 9:11, 1:57 से 5:08 बजे तक
राहुकाल-प्रात: 9:00 से 10:30 तक