नांग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नागपंचमी इस बार 13 अगस्त 2021 शुक्रवार को है। नाग पंचमी के दिन नागों के साथ ही भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा भी करते हैं, परंतु नाग पंचमी पर एक देवी और उनके पुत्र की पूजा करना जरूरी है वर्ना पूजा को अधूरा माना जाता है। आओ जानते हैं कि कौन है वे देवी और देवता।
मनसा देवी : कहते हैं कि नाग पंचमी पर मनसा देवी की पूजा करना बहुत ही जरूरी होता है। कई पुरातन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इनका जन्म ऋषि कश्यप के मस्तक से हुआ हैं इसीलिए मनसा कहा जाता है। शिव की पुत्री होने का जिक्र मिलता है। यह भी कहा जाता है कि उन्होंने शिक्षा दीक्षा शिवजी से ग्रहण की थी और उन्हें देवी पद पर विराजमान होने के लिए कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ा था।
मनसा देवी और आस्तिक देव की पूजा : अधिकतर जगहों पर मनसा देवी के पति का नाम ऋषि जरत्कारु बताया गया है और उनके पुत्र का नाम आस्तिक (आस्तीक) है जिसने अपनी माता की कृपा से सर्पों को जनमेयज के यज्ञ से बचाया था। बहुतसी जगह वासुकी नाग को उनका भाई बताया गया है अत: यह मानना की वासुकी उनके पति हैं यह संदेहास्पद है। आस्तिक ने ही वासुकी को सर्प यज्ञ से बचाया था। इसीलिए नाग पंचमी पर मनसादेवी और आस्तिक की पूजा जरूर की जाती है।
नाग पंचमी के दिन आस्तिक मुनि की दुहाई' नामक वाक्य घर की बाहरी दीवारों पर सर्प से सुरक्षा के लिए लिखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस वाक्य को घर की दीवार पर लिखने से उस घर में सर्प प्रवेश नहीं करता और काल सर्प दोष भी नहीं लगता है। मनसा देवी की पूजा बंगाल में गंगा दशहरा के दिन होती है जबकि कहीं-कहीं कृष्णपक्ष पंचमी को भी देवी की पूजी जाती हैं। मान्यता अनुसार पंचमी के दिन घर के आंगन में नागफनी की शाखा पर मनसा देवी की पूजा करने से विष का भय नहीं रह जाता। मनसा देवी की पूजा के बाद ही नाग पूजा होती है।
अन्य की पूजा : मनसा देवी और आस्तिक के साथ ही माता कद्रू, बलराम पत्नी रेवती, बलराम माता रोहिणी और सर्पो की माता सुरसा की वंदना भी करें।
मनसा देवी का स्वरूप : मनसा देवी को सर्प और कमल पर विराजित दिखाया जाता है। कुछ जगहों पर हंस पर विराजमान बताया गया है। कहते हैं कि 7 नाग उनके रक्षण में सदैव विद्यमान हैं। उनकी गोद में उनका पुत्र आस्तिक विराजमान है।