Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Coronavirus Effect : कोरोनावायरस का असर उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर पर

हमें फॉलो करें Coronavirus Effect : कोरोनावायरस का असर उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर पर
उज्जैन का सुप्रसिद्ध नागचंद्रेश्वर मंदिर खुलेगा लेकिन नहीं जा पाएंगे श्रद्धालु 
 
उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है।
 
साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है। 
 
मान्यता है कि नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं।
 
एलईडी पर दर्शन कराने की व्यवस्था की जाएगी।
 
महाकालेश्वर और नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए एक ही कतार लगाई जाएगी 
 
हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। भारत में नागदेव के अनेक मंदिर हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का, यह उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है।
 
इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी) पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है। ऐसी मान्यता है कि नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं।
 
लेकिन इस बार कोरोना के प्रकोप के कारण नागचंद्रेश्वर मंदिर में नागपंचमी पर श्रद्धालु दर्शन के लिए नहीं जा पाएंगे। श्रद्धालुओं के लिए दूसरे माले पर स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के पास एलईडी पर दर्शन कराने की व्यवस्था की जाएगी। 
 
श्रद्धालुओं के लिए नागचंद्रेश्वर और महाकालेश्वर के दर्शन की एक ही कतार रहेगी। श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर लाइव दर्शन एलईडी के सामने से होकर महाकालेश्वर के दर्शन कर निर्गम द्वार से बाहर निकलेंगे। 
 
नागपंचमी 25 जुलाई को है। 24 जुलाई की रात 12 बजे महानिर्वाणी अखाड़े के महंत गर्भगृह का ताला खोल कर भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव की पूजा अर्चना करेंगे। शासन की ओर से कलेक्टर और अन्य अधिकारी मौजूद रहेंगे।
  
कोरोना संक्रमण के चलते केंद्र सरकार की गाइड लाइन अनुसार मंदिरों के गर्भगृह में प्रवेश बंद होने से श्रद्धालुओं को नीचे ओंकारेश्वर मंदिर के बाहर एलईडी पर ला‌इव दर्शन की व्यवस्था की जाएगी। गर्भगृह में केवल पुजारी ही प्रवेश करेंगे। मंदिर के पट 25 जुलाई की रात 12 बजे पूजन आरती के बाद एक साल के लिए बंद हो जाएंगे।
 
महाकालेश्वर और नागचंद्रेश्वर दर्शन के लिए एक ही कतार लगाई जाएगी 
 
श्रद्धालु ऑनलाइन बुकिंग करा सकते।
 
माना जाता है कि तीन नागदेव प्रमुख हैं वासुकि, शेष और तक्षक। वासुकी नाग का स्थान प्रयाग में है। शेष नाग समुद्र में भगवान विष्णु की सेवा में रहते हैं। तक्षक ने महादेव की तपस्या कर यह वरदान ले लिया है कि वे शिव के सान्निध्य में रहेंगे। 
 
महाकाल के साथ नागचंद्रेश्वर भी यहां विराजित हैं। तक्षक की प्रकृति एकांत है, इसलिए उन्हें एकांत दिया है। वर्ष में केवल एक बार वे दर्शन के लिए प्रकट होते हैं। यह अद्भुत प्रतिमा केवल नागचंद्रेश्वर मंदिर परिसर में ही है। 
webdunia

 
इस दिन नागचंद्रेश्वर में दर्शन का महत्व है। कोरोना के चलते प्रवेश बंद है, इसलिए लाइव दर्शन ओंकारेश्वर मंदिर के पास एलईडी से कराए जाएंगे। नागचंद्रेश्वर के दर्शन से श्रद्धालु के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं।
 
नागपंचमी पर मंदिर समिति महाकालेश्वर व नागचंद्रेश्वर दोनों का एक साथ लाइव प्रसारण करने की व्यवस्था कर रही है। एक ही फ्रेम में दोनों के लाइव दर्शन श्रद्धालुओं को हो सकेंगे। मंदिर समिति के अध्यक्ष आशीष सिंह ने सभी श्रद्धालुओं से घर से ही लाइव दर्शन करने का अनुरोध किया है।
 
नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।
 
पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं।
 
क्या है पौराणिक मान्यता : 
 
सर्पराज तक्षक ने शिवशंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी। तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया। मान्यता है कि उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सा‍‍‍न्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो अत: वर्षों से यही प्रथा है कि मात्र नागपंचमी के दिन ही वे दर्शन को उपलब्ध होते हैं। शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है। इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है, इसलिए नागपंचमी के दिन खुलने वाले इस मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है। 
 
यह मंदिर काफी प्राचीन है। माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद सिं‍धिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उस समय इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार हुआ था। सभी की यही मनोकामना रहती है कि नागराज पर विराजे शिवशंभु की उन्हें एक झलक मिल जाए। लगभग दो लाख से ज्यादा भक्त एक ही दिन में नागदेव के दर्शन करते हैं।लेकिन इस बार कोरोना के प्रकोप के कारण यह सम्भव नहीं हो सकेगा। प्रशासनिक अधिकारियों ने अपील की है कि घर से ही दर्शन के लाभ लें....
 
नागपंचमी पर वर्ष में एक बार होने वाले भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए रात 12 बजे मंदिर के पट खुलेंगे।
 
नागचंद्रेश्वर मंदिर की पूजा और व्यवस्था महानिर्वाणी अखाड़े के संन्यासियों द्वारा की जाती है। 


webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Shri Krishna 23 July Episode 82 : द्रौपदी के स्वयंवर में जब शिशुपाल सहित कई राजाओं ने निकाल ली तलवार