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Nag panchami 2024: नाग पंचमी पर क्या नाग को दूध पिलाना चाहिए या नहीं?

हमें फॉलो करें Nag panchami 2024: नाग पंचमी पर क्या नाग को दूध पिलाना चाहिए या नहीं?

WD Feature Desk

, बुधवार, 7 अगस्त 2024 (14:35 IST)
Highlights  
 
नाग पूजन की परंपरा जानें।
नाग देवता को दूध पिला या नहीं।
 
Nag panchami : वर्ष 2024 में नाग पंचमी का पर्व 09 अगस्त, दिन शुक्रवार को मनाया जा रहा है। हमारी भारतीय संस्कृति में नाग पूजा की परंपरा वर्षों से चली आ रही हैं और इसी के मद्देनजर प्रतिवर्ष श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन परंपरागत श्रद्धा एवं विश्वास के साथ नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। 
 
भारत देश कृषि प्रधान देश है, जहां धन-धान्य को प्रमुखता दी जाती है और ऐसे में लगभग 1/4 खाद्य उपज प्रतिवर्ष चूहे व अन्य जीव नष्ट कर देते हैं। एक ओर नाग-सर्प बड़े ही प्रभावी ढंग से चूहों का खात्मा कर उनकी आबादी को रोकते हैं और चूहों के बिलों में भीतर तक जाकर उनका सफाया करते हैं। अर सांप ही चूहों की 80 प्रतिशत आबादी को नियंत्रित करते हैं और ये हमारे खाद्यान्न को बचाते हैं। अत: इस प्रकार यदि देखा जाए तो नाग/सापों का हमें जीवन देने में महत्वपूर्ण स्थान है।  
पौराणिक धार्मिक मान्यतानुसार हमारी धरती शेषनाग के फन पर टिकी हुई है, लेकिन अगर वैज्ञानिक और जीवनचक्र के हिसाब से देखा जाए तो नाग/ सांप धरती पर जैविक क्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अत: हमारे लिए नाग-सर्प प्रकृ‍ति के अनुपम उपहार हैं और उनके जीवन नष्ट होने से बचाना हमारा पहला कर्तव्य है। इसी कारण नागपंचमी के दिन नागों को दूध न पिलाकर उनकी रक्षा करना बहुत जरूरी है। 
 
यदि हम स्वयं भी नागों को दूध न पिलाएं और दूसरों को भी न पिलाने दें तो हम नागों की रक्षा के साथ-साथ उनके जीवन का संरक्षण कर पुण्यभागी बन सकते हैं। इसीलिए नाग पंचमी के पावन पर्व पर हम नागों को दूध न पिलाने का प्रण लेकर, वह दूध किसी असहाय को दे दें, तो बहुत अच्छा होगा क्योंकि इससे हमारी धरती, प्रकृति तथा प्रकृतिरक्षक नागों का जीवन हम बचानें में कामयाब हो सकेंगे।
 
कुछ वर्षों पहले तक हर गली-मोहल्ले में हमें नागपंचमी के दिन 'सांप को दूध पिलाओ' की आवाजें सुनाई देती थीं, जो कि आजकल सुनाई नहीं देती या कम सुनाई पड़ती हैं, क्योंकि वन विभाग की टीम तथा सर्प संरक्षण संस्‍था द्वारा सपेरों पर सख्ती से नजर रखी जाती है ताकि नाग जाति की रक्षा हो सकें।

इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी हैं कि सपेरों की टोलियां वन-जंगलों से नागों को पकड़कर बड़ी ही बेरहमी व अमानवीय तरीके से सांपों के दांतों व इसके विष को निकालते हैं, जिससे कि इसका असर उनके फेफड़ों पर पड़ता है और कुछ दिन बाद इनकी मृत्यु हो जाती है और अस्सी प्रतिशत सांप तो दांत निकालते समय ही मर जाते हैं। ये सपेरे सांपों को बेरहमी के साथ टोकरी में बंद करके दूध पिलाने लाते हैं और इस तरह सांपों को हम बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। 
 
विशेषज्ञों के अनुसार तो उन्होंने भी सांपों को दूध पिलाया जाना गलत ही बताया है। उनके अनुसार सर्प या नागों के लिए दूध हानिकारक होता है, जबकि भारतीय पौराणिक परंपराओं के अनुसार वर्षों से नागदेव को लोग दूध पिलाते आ रहे हैं। लेकिन अब हमें संभलने की आवश्यकता हैं, क्योंकि हम इन्हें दूध पिलाकर उनको  मृत्यु की ओर ढकेल रहे हैं। अत: हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि इन्हें दूध ना पिलाएं और दूसरों को भी पिलाने न दें। 
 
इस दिन सर्प संरक्षण संस्‍थान के लोग भी नागदेव को दूध नहीं पिलाने की अपील करते हैं, जिन पर ध्यान देना हमारे लिए अतिआवश्यक हैं, क्योंकि भारतीय पौराणिक परंपराओं में नाग पूजन जरूरी बताया है, यदि हम नागदेव का पूजन करके उनके मंत्रों के जाप करें तो कभी भी हमारे घर में सर्प प्रवेश नहीं करता है। इस दिन नागदेव के मंत्र 'ॐ कुरु कुल्ले हुं फट स्वाहा' के जाप से नागदेव प्रसन्न होते हैं। 
 
यदि हम विज्ञान या वैज्ञानिकों की मानें तो सांप को दूध पिलाना उनकी सेहत के प्रतिकूल माना जाता है, क्योंकि सांपों में ऐसी ग्रंथियां ही नहीं होती कि वे दूध पी सकें। चूंकि उनका भोजन कीड़े-मकोड़े हैं, लेकिन दूध नहीं। अत: सांपों का पाचन तंत्र उन्हीं को खाने के लिए बना हे। इसी कारण दूध पिलाने से सांप के मृत्य का भय बना रहता हैं, इसलिए सांपों को दूध कभी नहीं पिलाया जाना चाहिए। अत: नाग पंचमी पर नाग देवता का पूजन तो करें, लेकिन उन्हें दूध कभी भी न पिलाएं तभी हम नाग जाति की रक्षा कर सकेंगे।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

 

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