केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार को दूसरी बार सत्ता में आए हुए 100 दिन पूरे हो रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार के कामकाज की समीक्षा होने लगी है। मोदी सरकार ने अपने पहले 100 दिन में ऐसे कई बड़े फैसले लिए हैं जिनसे वह पिछली बार की अपनी सरकार से 100 कदम आगे खड़ी दिखाई दे रही है, लेकिन इस दौरान सरकार के सामने कुछ ऐसी चुनौती आकर खड़ी हो गई है जिससे वह 10 कदम पीछे भी हटती हुई दिखाई दे रही है।
1.आर्थिक मंदी की आहट : मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन में सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक मोर्च पर मिल रही है। सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन में देश आर्थिक मंदी के संकट से जूझ रहा है। देश की जीडीपी का 5 फीसदी तक पहुंच जाना सरकार के अगले 5 साल के लिए एक खतरे की घंटी है। मंदी का असर देश के शेयर मार्केट और सोने की कीमतों पर भी दिख रहा है, जहां बड़ी उथल-पुथल मची हुई है। आर्थिक मंदी की आहट से देश में इस वक्त एक डर का माहौल है जिसके चलते मोदी सरकार पर विपक्ष के साथ ही अब लोग भी सवाल उठाने लगे हैं। आर्थिक मामलों के जानकार इसके लिए मोदी सरकार के पहले के कार्यकाल की नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों को जिम्मेदार बता रहे है। ऐसे में आज मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना है जिसके लिए सरकार अब कुछ कदम पीछे हटते हुए दिखाई दे रही है।
2.बेरोजगारी और नौकरियों पर संकट: आर्थिक मंदी की आहट के चलते इस वक्त मोदी सरकार के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती देश में बढ़ती बेरोजगारी और दूसरा पहले से रोजगार पाए लोगों पर आए नौकरी का संकट है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि दर पिछले साल के मुकालबे 12 फीसदी से घटकर मात्र 0.6 फीसदी रह जाने से इस क्षेत्र में अब लाखों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। इसके साथ ही ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल समेत सभी प्रमुख सेक्टरों में गिरावट के चलते बड़ी संख्या में नौकरी जाने का संकट खड़ा हो गया है जिससे लोगों में भय का माहौल बैठ गया है। ऐसे में मोदी सरकार लोगों के मन से इस भय को खत्म करने के लिए अपने कुछ फैसलों का रिव्यू कर कुछ राहत की घोषणा करने की तैयारी में है इसमें जीएसटी की दरों का संशोधन और कुछ विशेष पैकेज देना शामिल हो सकते हैं।
3.कश्मीर और कश्मीरियों का विश्वास जीतना: जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाना मोदी सरकार के पहले 100 दिन की सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर गिना जा रहा है लेकिन दूसरी ओर उसी कश्मीर को दोबारा पटरी पर लाना और वहां के लोगों का विश्वास जीतना मोदी सरकार के सामने अब भी एक चुनौती बना हुआ है। सूबे से 370 हटाने के फैसले को अब जब एक महीने से भी अधिक का समय हो गया है तब भी वहां के हालात अब भी पूरी तरह सामान्य नहीं हुए हैंं। पूरे कश्मीर में अब भी एक अज्ञात डर और भय का महौल है, एक महीने से अधिक समय से कश्मीर में इंटरनेट और टेलीफोन सेवा अब भी पूरी तरह बहाल नहीं हुई है। अब भी लोग अपने घरों से निकलने में डर रहे है ऐसे हालात में मोदी सरकार के सामने बड़ी चुनौती है कि वह ऐसे फैसले करे जिससे कि कश्मीर और कश्मीरियों का विश्वास फिर से पूरी तरह लौट सके।
4.पाकिस्तान से संबंध सुधारना: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के सरकार के फैसले के बाद पड़ोसी देश पाकिस्तान से संबंध बिगड़ गए हैं। पाकिस्तान आए दिन युद्ध और परमाणु युद्ध की धमकी दे रहा है। पड़ोसी देश की धमकी को भले ही गीदड़भभकी समझा जाए लेकिन डिफेंस एक्सपर्ट कहते हैं कि कंगाल पाकिस्तान जो अब बर्बादी के दरवाजे पर पहुंच गया है अपने को बचाने के लिए कोई भी आत्मघाती कदम भी उठा सकता है। ऐसे में मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तान से संबंध सुधारना है क्योंकि अगर युद्ध जैसी कोई नौबत आई तो उसका खामियाजा पाकिस्तान के साथ ही देश की जनता को भी भुगतना पड़ेगा।
5.असहिष्णुता और मॉब लिचिंग: देश में आए दिन होने वाली मॉब लिंचिंग की घटना को रोकना भी मोदी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। पीएम मोदी जब खुद भी मॉब लिंचिंग को गलत ठहरा चुके है तभी मोदी सरकार के इस कार्यकाल के पहले 100 दिन में देश में मॉब लिंचिंग की घटनाओं की एक तरह से बाढ़ आना देश में बढ़ती असहिष्णुता की भावना को दिखाता है। अगर समाज में असहिष्णुता की भावना इसी तरह आगे बढ़ती रही तो वह देश के लिए खतरनाक भी साबित हो सकती है।
6.विपक्ष का विश्वास जीतना : लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भले ही भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल कर देश की जनता का विश्वास जीत लिया हो लेकिन एक स्वस्थ लोकंतत्र के लिए जरूरी है कि सरकार लोगों के साथ विपक्ष का भी विश्वास जीते। केंद्र सरकार के इस कार्यकाल में अब तक उसकी विपक्ष से दूरी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आज मोदी सरकार और विपक्ष के बीच एक ऐसी खाई बनती दिख रही है जिसे एक स्वस्थ लोकंतत्र के लिए किसी भी तरीके से उचित नहीं कहा जा सकता।
7.सबका साथ–सबका विकास : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल के अपने पहले 2 भाषणों में कह चुके हैं कि सबका साथ और सबका विकास उनकी सरकार का पहला लक्ष्य है। पीएम ने लोगों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि जिन्होंने उनको वोट नहीं दिया है वह भी उनके अपने हैं और सरकार का लक्ष्य बिना किसी भेदभाव के साथ सभी को एकसाथ लेकर आगे बढ़ने का है।
8.NRC विवाद को सुलझाना : असम में NRC के चलते आज 19 लाख लोगों के सामने अपनी नागरिकता को लेकर संकट खड़ा हो गया है। NRC विवाद को हल करना भी मोदी सरकार के सामने एक बड़ा चैलेंज है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जिस तरह NRC का मुद्दा गर्माया था, उससे देश के सीमावर्ती राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर भी मुश्किल खड़ी हुई थी।
9. खेती को लाभ का धंधा बनाना : आजादी के 70 सालों के बाद भी सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी अब भी किसानों की हालत में कोई परिर्वतन नहीं आया है। आज भी किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है और किसान आज भी कर्ज के जाल में फंसकर मौत को गले लगा रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल में किसानों के लिए कई घोषणाएं की हैं लेकिन अब भी खेती लाभ का धंधा कैसे बने, इसको लेकर सरकार की जमीनी स्तर पर अभी भी ठोस प्रयास नजर नहीं आ रहे हैं।
10.जनता से किए वादों पर खरा उतरना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके दूसरे कार्यकाल के लिए देश की जनता ने जिस तरह प्रचंड बहुमत दिया था उसके बाद मोदी सरकार से लोगों की उम्मीदें बहुत बढ़ गई हैं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती जनता से किए अपने वादों को पूरा करना है।