नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि 2018 से लेकर 2023 में अब तक आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी, एम्स और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में छात्रों की आत्महत्या के कुल 103 मामले दर्ज हुए हैं। लोकसभा में बैनी बेहनन और राजमोहन उन्नीथन के प्रश्न के लिखित उत्तर में शिक्षामंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यह जानकारी दी।
प्रधान द्वारा उत्तर में निचले सदन में रखे गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 से 2023 में अब तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में 35 छात्रों के आत्महत्या करने की सूचना मिली है। आंकड़ों के अनुसार भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) में 4 छात्र, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) में 24 छात्र, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 11 छात्र और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 29 छात्रों के इस अवधि में आत्महत्या करने की सूचना प्राप्त हुई है।
मंत्री ने बताया कि सरकार शैक्षणिक संस्थानों के परिसरों में आत्महत्या की प्रत्येक घटना पर काफी ध्यान देती है और इसे लेकर कई पहल की गई हैं। शिक्षामंत्री ने कहा कि राज्य विश्वविद्यालयों में आत्महत्या का कोई आंकड़ा केंद्रीय स्तर पर नहीं रखा जाता है।
मंत्री ने बताया कि भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या की राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो रिपोर्ट 2021 (जिसमें 2017-2021 के आंकड़े शामिल हैं) के अनुसार आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या 13,089 है जिनमें 7,396 छात्र और 5,693 छात्राएं शामिल थे।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta