इनकम टैक्स विभाग में 12000 पद खाली, कब होगी नियुक्ति?
विभाग में मुख्य रूप से ग्रुप 'सी' श्रेणी के हैं पद
12000 posts vacant in Income Tax Department : केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के चेयरमैन नितिन गुप्ता ने कहा कि आयकर विभाग (Income tax department) में 10000 से 12000 तक कर्मचारियों की कमी है और खाली पड़े पदों पर नियुक्ति के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। ये पद मुख्य रूप से ग्रुप 'सी' श्रेणी के हैं।
गुप्ता ने कहा, आयकर विभाग में 10,000 से 12,000 कर्मचारियों की कमी है। ये पद मुख्य रूप से ग्रुप सी श्रेणी के हैं। इन पदों को भरने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। विभाग में कर्मचारियों की कुल संख्या 55,000 के करीब है। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिम बजट में 25,000 रुपए तक की बकाया कर मांग को वापस लेने की घोषणा के तहत करदाताओं को एक लाख रुपए तक की राहत मिल सकती है। इससे उन करदाताओं को लाभ होगा होगा, जिन्हे निर्धारित अवधि में एक साल से अधिक के लिए कर मांग को लेकर नोटिस मिले हैं।
अंतरिम बजट में 25,000 रुपए तक की कर मांग को वापस लेने के बारे में पूछे जाने पर गुप्ता ने कहा, इस पहल का मकसद करदाताओं को राहत देना है। इसके तहत हम प्रति करदाता एक लाख रुपए तक की सीमा रखने का प्रयास करेंगे यानी करदाता को अगर एक साल से अधिक के लिए कर मांग को लेकर नोटिस मिला है, तो उसे एक लाख रुपए तक की राहत मिल सकती है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के लिए अपने अंतरिम बजट भाषण में 2009-10 तक 25,000 रुपए और वित्त वर्ष 2010-11 से 2014-15 तक 10,000 रुपए तक की बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को वापस लेने की घोषणा की।
सीतारमण ने कहा, बड़ी संख्या भें कई छोटी-छोटी प्रत्यक्ष कर मांग बही-खातों में लंबित है। उनमें से कई मांग वर्ष 1962 से भी पुरानी हैं। इससे ईमानदार करदाताओं को परेशानी होती है और रिफंड को लेकर समस्या होती है। सीबीडीटी प्रमुख ने कहा, ऐसी लगभग 1.11 करोड़ विवादित मांगें हैं और इसमें शामिल कुल कर मांग 3,500-3,600 करोड़ रुपए है। इस कदम से लगभग 80 लाख करदाताओं को लाभ होगा।
उन्होंने कहा, हम इस बारे में जरूरी आदेश जारी करेंगे, करदाताओं को कुछ करने की जरूरत नहीं है। प्रत्यक्ष कर (आयकर और कंपनी कर) संग्रह के बारे में उन्होंने कहा कि 31 जनवरी तक रिफंड वापसी के बाद 14.46 लाख करोड़ रुपए आए हैं, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा है। और अगर रिटर्न की बात की जाए तो कुल मिलाकर 8.5 रिटर्न दाखिल किए गए हैं, जिसमें से लगभग 8.2 करोड़ वित्त वर्ष 2023-24 के लिए है।
एक सवाल के जवाब में गुप्ता ने कहा कि प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग, अपील, आकलन, जुर्माने की फेसलेस व्यवस्था से कर संग्रह बढ़ा है। फेसलेस उपायों से करदाताओं और अधिकारियों के बीच प्रत्यक्ष बातचीत खत्म हो गई है और इससे भरोसा भी बढ़ा है। रिफंड में अब भी लोगों को होने वाली परेशानी के बारे में सीबीडीटी प्रमुख ने कहा, रिफंड फंसने के कई कारण हैं। जहां आयकर रिटर्न के ब्योरे में आंकड़ों में विसंगतियां दिखती हैं, उन मामले में हम जांच करते हैं। हम देखते हैं कि सरकार का पैसा गलत तरीके से नहीं जाए।
कई बार बैंक खाता संख्या की जानकारी गलत हो जाती है, कई मामलों में बैंक के विलय से आईएफएससी कोड बदल गए हैं। कुछ मामलों में नौकरी में तबादला होने से बैंक शाखा बदलने से आईएफएससी कोड बदलने से रिफंड में देरी होती है। कई बार तकनीकी मुद्दे भी होते हैं। उन्होंने कहा कि करदाता अगर जानकारी सही दें और बैंक ब्योरा सही भरें, तो रिफंड में देरी नहीं होगी।
गुप्ता ने कहा, हमारा जोर रिफंड में तेजी लाने, लंबित कर विवादों का समाधान करने समेत करदाताओं को मिलने वाली सेवाओं में और सुधार लाने पर है। छोटी राशि की विवादित कर मांग को समाप्त करना इसी का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि 28 जनवरी, 2024 तक तक 3.62 करोड़ मामलों में कुल 2.75 लाख करोड़ रुपए की राशि वापस की गई है। जो रिफंड रुके हैं, उन पर भी काम जारी है।
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी तक का रुख देखते हुए नई कर व्यवस्था में 60 प्रतिशत करदाताओं के आने की उम्मीद है। इस बारे में अगस्त तक आंकड़ा आने की संभावना है।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour