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200 अंक की रोस्टर प्रणाली को सरकार की मंजूरी, स‍मझिए 13 और 200 पॉइंट रोस्टर प्रणाली में अंतर

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, गुरुवार, 7 मार्च 2019 (17:07 IST)
नई दिल्ली। सरकार ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों के आरक्षण के लिए 200 अंक के रोस्टर को लागू करने की खातिर अंततः अध्यादेश लाने का फैसला किया है। इस फैसले से पिछड़े वर्ग तथा दलित एवं आदिवासी शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण सुनिश्चित हो सकेगा। इसके अलावा सरकार ने 50 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने का भी निर्णय लिया है।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की गुरुवार को हुई बैठक में रोस्टर लागू करने के लिए अध्यादेश लाने तथा 50 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
 
बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पत्रकारों को बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के कारण विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने जो अधिसूचना जारी की थी उससे पिछड़े तथा दलित और आदिवासी शिक्षकों के आरक्षण में विसंगतियां आ गई थीं और उन्हें कम प्रतिनिधित्व मिल रहा था या बिलकुल ही नहीं मिल रहा  था, इसलिए सरकार ने विश्वविद्यालय को इकाई मानते हुए दो सौ अंको वाला रोस्टर लागू करने का फैसला किया और इसके लिए अध्यादेश लाने फैसला किया गया।
 
उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने 50 नए केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना को सिद्धांतत: मंज़ूरी दे दी है। ये अर्द्धसैनिक क्षेत्रों तथा उन इलाकों में खोले जाएंगे, जहां रेलवे के कर्मचारी है और जहां केंद्रीय स्कूल नही हैं। ये स्कूल  नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी खोले जाएंगे। उन्होंने बताया कि देश में 12 हज़ार दो केंद्रीय स्कूल हैं और तीन विदेशों में हैं।
 
क्या है होती है रोस्टर प्रणाली :  अमूमन ऑफिस में काम करने वाले लोगों रोस्टर शब्द सुना होगा। इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि शिफ्ट चार्ट, ड्यूटी चार्ट या फिर रोस्टर, लेकिन इस शब्द के और भी मायने हैं। रोस्टर दरअसल एक तरीका होता है जिससे यह निर्धारित किया जाता है किसी विभाग में निकलने वाली वेकेंसी किस वर्ग को मिलेगी। जैसे आरक्षित वर्ग या फिर अनारक्षित वर्ग। 
 
क्या है 13 पॉइंट रोस्टर : 13 पॉइंट रोस्टर एक ऐसा सिस्टम है जिसमें 13 नियुक्तियों को क्रमबद्ध तरीके से दर्ज किया जाता है। इसमें विश्वविद्यालय को इकाई (यूनिट) न मानकर विभाग को इकाई माना जाता है। यानी इस व्यवस्‍था के अंतर्गत शिक्षकों के कुल पदों की गणना विश्वविद्यालय या कॉलेज के अनुसार न करके विभाग या विषय के हिसाब से की जाती है। 
 
 
विश्वविद्यालयों में 200 पॉइंट रोस्टर :  देश के विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों की भर्ती 200 पॉइंट रोस्टर के अंर्तगत की जाती है। इसके अंतर्गत पूरे विश्वविद्यालय को एक यूनिट मान लिया जाता है और फिर किसी श्रेणी विशेष के सभी पदों को मिलाकर आरक्षण कोटे का आकलन किया जाता है। विश्वविद्यालय को एक यूनिट माने जाने की वजह से हर वर्ग के उम्मीदवार की भागेदारी सुनिश्चित थी। कुछ समय पहले तक कॉलेज और विश्वविद्यालयों में 200 पॉइंट रोस्टर सिस्टम के आधार पर ही आरक्षण दिया जाता था।  
 
ऐसे मिलती है नियुक्ति : इस सिस्टम में अगर कैटेगरी के हिसाब से पदों का विभाजन करना हो तो संख्या 200 तक जाएगी। इसके बाद यह फिर से 1, 2, 3, 4 संख्या से शुरू हो जाएगी। अब जब आंकड़ा 200 तक जाएगा तो इसमें आरक्षित वर्ग (एससी, एसटी और ओबीसी) के लिए नियुक्ति जरूर आएंगी जबकि 13 पॉइंट रोस्टर प्रणाली में ऐसा हो पाना संभव नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें विश्वविद्यालय की बजाय विभाग को यूनिट बनाया गया, इस कारण से 13 की संख्या में वेकेंसी निकलना भी मुश्किल होता है। 13 पॉइंट रोस्टर सिस्टम के आने से आरक्षित वर्ग के लिए सीटें कम हो गईं। इस सिस्टम में विश्वविद्यालय को यूनिट मानने की बजाय विभाग को यूनिट मान लिया गया। ऐसी स्थिति में कभी एक साथ इतनी नियुक्तियां आएंगी ही नहीं। 
 
क्यों हो रहा था विरोध : 13 पॉइंट रोस्टर प्रणाली में विश्वविद्यालयों के असोसिएट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए विभाग के आधार पर आरक्षण लिस्ट तैयार होगी। इसके अंतर्गत नियुक्तियां विभागवार होनी थी, जिसका कई संगठन विरोध कर रहे थे। विभागवार नियुक्ति के कारण आरक्षित वर्ग के लिए सीटों की संख्या पर असर पड़ता, इसलिए इसका विरोध हो रहा था। यूनिवर्सिटी में नौकरी के लिए बहुत कम सीटें निकलती हैं और ऐसे में विभागवार रोस्टर होने पर आरक्षित वर्ग के लिए सीटें कम हो जातीं।

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