Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

बिलकिस बानो को न्याय दीजिए, 134 पूर्व नौकरशाहों ने चीफ जस्टिस को लिखा लेटर

हमें फॉलो करें Supreme Court
, शनिवार, 27 अगस्त 2022 (23:53 IST)
नई दिल्ली। बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के खिलाफ 130 से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने शनिवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को एक खुला पत्र लिखा और उनसे इस बेहद गलत फैसले को सुधारने का अनुरोध किया।

उन्होंने प्रधान न्यायाधीश से गुजरात सरकार द्वारा पारित इस आदेश को रद्द करने और सामूहिक बलात्कार तथा हत्या के दोषी 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा काटने के लिए वापस जेल भेजे जाने का आग्रह किया। पत्र में कहा गया है, भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर कुछ दिन पहले गुजरात में जो हुआ उससे हमारे देश के ज्यादातर लोगों की तरह, हम भी स्तब्ध हैं।

‘कंस्टीटयूशनल कंडक्ट ग्रुप’ के तत्वावधान में लिखे गए पत्र में जिन 134 लोगों के हस्ताक्षर हैं उनमें दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर, पूर्व विदेश सचिवों शिवशंकर मेनन और सुजाता सिंह और पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई शामिल हैं। न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने शनिवार को भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

उच्चतम न्यायालय ने बिलकिस बानो के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली एक याचिका पर 25 अगस्त को केंद्र तथा गुजरात सरकार को नोटिस जारी किए थे।

पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि दोषियों की रिहाई से देश में नाराजगी है। पत्र में कहा गया है, हमने आपको पत्र इसलिए लिखा है क्योंकि हम गुजरात सरकार के इस फैसले से बहुत व्यथित हैं और हम मानते हैं कि केवल उच्चतम न्यायालय के पास वह अधिकार क्षेत्र है, जिसके जरिए वह इस बेहद गलत निर्णय को सुधार सकता है।

गौरतलब है कि गोधरा में 2002 में ट्रेन में आगजनी के बाद गुजरात में भड़की हिंसा के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक बलात्कार किया गया था। उस समय उसकी आयु 21 वर्ष थी और वह पांच महीने की गर्भवती थी। इस दौरान जिन लोगों की हत्या की गई थी, उनमें उसकी 3 साल की बेटी भी शामिल थी।

मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने जनवरी 2008 में सभी 11 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में इस फैसले को बंबई उच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा था। पत्र में कहा गया है कि 15 साल जेल की सजा काटने के बाद एक आरोपी राधेश्याम शाह ने अपनी समय से पहले रिहाई के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

इसमें कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने राधेश्याम शाह की याचिका पर यह भी निर्देश दिया था कि गुजरात सरकार द्वारा समय से पहले रिहाई के आवेदन पर नौ जुलाई, 1992 की माफी नीति के तहत दो महीने के भीतर विचार किया जाए।

पत्र में कहा गया है, हम इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को इतना जरूरी क्यों समझा कि दो महीने के भीतर फैसला लेना पड़ा। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि मामले की जांच गुजरात की 1992 की माफी नीति के अनुसार की जानी चाहिए, न कि इसकी वर्तमान नीति के अनुसार।

इसमें कहा गया है, हम आपसे गुजरात सरकार द्वारा पारित आदेश को रद्द करने और सामूहिक बलात्कार तथा हत्या के दोषी 11 लोगों को उम्रकैद की सजा काटने के लिए वापस जेल भेजने का आग्रह करते हैं।

फैसले के खिलाफ कई संगठनों ने किया प्रदर्शन : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) समर्थित आइसा और कई अन्य संगठनों ने बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों को रिहा करने के खिलाफ जंतर-मंतर पर शनिवार को प्रदर्शन किया।

कार्यकर्ताओं ने कहा कि 15 अगस्त को क्षमा देते हुए 11 दोषियों को रिहा करने का फैसला देश के संवैधानिक मूल्यों तथा धर्मनिरपेक्ष तानेबाने पर एक तमाचा है। प्रदर्शन में डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता गौहर रजा भी शामिल हुए और उन्होंने फैज अहमद फैज की नज्म ‘चंद रोज और’ पढ़ी।

अखिल भारतीय छात्र संघ (आइसा) ने एक बयान में कहा, कठुआ से लेकर उन्नाव और हाथरस तथा गुजरात तक प्रवृत्ति एक जैसी है- सरकार बलात्कारियों को बचा रही है। अनुभवी अभिनेत्री शबाना आजमी ने महिलाओं तथा हाशिए पर पड़े अन्य वर्गों पर फासीवादी हमले तथा अत्याचारों से लड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।(भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Twin Towers : टि्वन टॉवर गिराए जाने से पहले मकान खाली करने में जुटे आसपास के लोग