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2022 में सियासी बुलंदियों को छूने वाली AAP के सामने 2023 चुनौतियों का होगा साल

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विकास सिंह

, शुक्रवार, 23 दिसंबर 2022 (08:40 IST)
साल 2022 देश में सियासी रूप से काफी उथलपुथल वाला साल है। राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा और कांग्रेस की आमने-सामने की लड़ाई में कई क्षेत्रीय पार्टियों ने भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी जगह बनाने की कोशिश की। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी साल 2022 की सबसे अधिक सुर्खियों में रहने वाली पार्टी रही। 10 साल पहले दिल्ली में क्षेत्रीय पार्टी के रूप में दस्तक देने वाली आम आदमी पार्टी ने साल 2022 में अनौपचारिक रूप से राष्ट्रीय राजनीतिक दल का दर्जा प्राप्त कर लिया। 
 
अगर आम आदमी पार्टी के साल 2022 के राजनीतिक सफर को देखे तो साल के शुरु में मार्च में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी ने ऐतिहासिक प्रदर्शन कर 42.01 फीसदी वोट के साथ 117 सीटों वाली पंजाब विधानसभा में 92 सीटों पर जीत हासिल कर देश के सियासी पंडितों को चौंका दिया। दिल्ली के बाद पंजाब पहला ऐसा राज्य था जहां आम आदमी पार्टी ने अपने दम पर सरकार बनाई।  

पंजाब में आम आदमी पार्टी को मिली ऐतिहासिक जीत से पार्टी कार्यकर्ताओं के हौंसले सातवें आसमान पर पहुंच गए। पंजाब विधानसभा में जीत के बाद आम आदमी पार्टी ने मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में अपनी धमाकेदार एंट्री से प्रदेश में तीसरी ताकत के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी ने सिंगरौली में महापौर पद पर अपना कब्जा जमाने के साथ ग्वालियर-चंबल से लेकर महाकौशल तक नगर निगम और नगर पालिका में पार्षद के पदों पर कब्जा किया। 

हलांकि इस बीच गोवा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। गोवा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी महज दो सीटों पर जीत हासिल की। हलांकि गोवा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 6.77 फीसदी वोट शेयर हासिल कर दिल्ली और पंजाब के बाद गोवा में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया।  
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वहीं साल के अंत में गुजरात के साथ दिल्ली में प्रतिष्ठा की लड़ाई वाले एससीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी ने धमाकेदार जीत कर भाजपा के 15 साल के एकछत्र राज को खत्म कर दिया। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली में चुनावी मैदान मे कूदी आम आदमी पार्टी ने भाजपा को चुनाव में हर मोर्चे पर मात दी। दिल्ली नगर निगम की 250 सीटों में से आम आदमी पार्टी ने 134 सीटों पर जीत दर्ज कर बड़ी जीत हासिल की।

साल 2022 में आम आदमी पार्टी पहली बार भाजपा को सीधी चुनौती देते हुए नजर आई। गुजरात विधानसभा चुनाव में आदमी पार्टी ने 13 फीसदी वोट शेयर के साथ 5 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर पहली भाजपा के लिए सीधे खतरे की घंटी बजा दी। गुजरात में 13 फीसदी वोटर शेयर हासिल करने के साथ आम आदमी पार्टी गुजरात की भविष्य की राजनीति के लिए अपनी सियासी जमीन तैयार कर ली। गुजरात में भले ही आम आदमी पार्टी को उसके दावे के मुताबिक सीटें नहीं हासिल हुए हो लेकिन 13 फीसदी वोट हासिल करने के साथ पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पूरे आत्मविश्वास में नजर आ रहे है। 

पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल दावा करते हुए कहते हैं कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में दूसरी बार सत्ता में आने के बाद पंजाब में अपनी सरकार बनाई चिंता न करें हम 2027 में गुजरात में भी अपनी सरकार जरूर बनाएंगे। केजरीवाल गुजरात में पार्टी के प्रदर्शन को अभूतपूर्व सफलता बताते हुए कहते हैं कि गुजरात सालों से भाजपा का गढ़ रहा है और वहां पांच सीटें जीतकर आना बैल से दूध निकालने जितना मुश्किल कार्य है। 

अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि आम आदमी पार्टी संभवत देश की पहली ऐसी राजनीतिक पार्टी है जिसने अपने गठन के एक साल के अंदर दिल्ली में सरकार बनाने के साथ 10 साल में पंजाब में अपनी सरकार बनाई और अब एक राष्ट्रीय पार्टी बन गई है।  
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2023 में प्रदर्शन तय करेगा सियासी भविष्य?-10 साल में क्षेत्रीय पार्टी से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने वाली आम आदमी पार्टी  के लिए साल 2023 चुनौतियों का साल साबित होने जा रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले साल 2023 में देश के 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसमें मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नंवबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को 2024 के फाइनल से पहले सेमीफाइनल मुकाबले के तौर पर देखा जा रहा है।
 
2024 से पहले मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान तीन ऐसी हिंदी भाषी राज्य है जहां आम आदमी पार्टी अपनी सियासी जमीन तैयार करने में जुटी हुई है। मध्यप्रदेश जहां लोकसभा की 29 सीटें है और नगरीय निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाली आम आदमी पार्टी भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई वाले राज्य में एक तीसरे विकल्प के रूप में अपने लिए एक मौका दे रही है। 
 
अगर कहा जाए कि 2023 आम आदमी पार्टी के लिए उम्मीदों का ऐसा साल है जिसके प्रदर्शन के आधार पर पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में एक राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर तीसरे विकल्प के रूप में स्थापित होने का  सपना देख रही है। हलांकि आम आदमी पार्टी ने भले ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया हो लेकिन देश में तीसरी ताकत के रूप में उभरना उसके लिए उतना आसान नहीं है। 10 साल में भले ही आम आदमी पार्टी ने अपना तेजी से सियासी जमीन तैयार की हो लेकिन अभी भी उसके पास अभी एक विचारधारा का आभाव दिखाई देता है जिसके सहारे खड़ी हो सके।

दिल्ली, पंजाब, गोवा और गुजरात में आम आदमी पार्टी तात्कालिक मुद्दों और मुफ्त की सियासत के साथ लोगों को अपनी ओर जोड़ने में सफल रही है लेकिन अगर राजनीति में देखा जो यह कोई टिकाऊ मुद्दें नहीं है जिसके सहारे आम आदमी पार्टी अपना लंबा चौड़ा एक कैडर राष्ट्रीय स्तर पर खड़ा करने में सफल होगी। मुफ्त बिजली पानी देने का मुद्दा क्या हर राज्य में काम करेगा यही भी बड़ा सवाल है। 2024 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय राजनीति में तीसरी ताकत के रूप में खुद को स्थापित करने की कोशिश में जुटे अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के सामने 2023 के राज्यों के विधानसभा चुनाव लिटमस टेस्ट की तरह होंगे।

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