पोर्ट ब्लेयर। केंद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार में 21 निर्जन द्वीपों के नाम देश के सबसे बड़े युद्धकालीन वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित सैनिकों के नाम पर रखे गए हैं। इन 21 द्वीपों में से 16 उत्तर और मध्य अंडमान जिले में स्थित हैं, जबकि 5 द्वीप दक्षिण अंडमान में हैं। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के सांसद कुलदीप राय शर्मा ने बातचीत में इस कदम का स्वागत किया।
केंद्र सरकार ने रक्षा और स्थानीय अधिकारियों की सहायता से इन 21 द्वीप के नाम अलंकृत सैनिकों के नाम पर रखे हैं। शर्मा ने कहा कि मुझे खुशी है कि केंद्र ने हमारे बहादुर सैनिकों को सम्मानित करने के लिए अंडमान के 21 द्वीपों को चुना है। मैं प्रशासन से स्कूली बच्चों के लिए एक छोटी पुस्तिका प्रकाशित करने का भी अनुरोध करना चाहता हूं ताकि वे हमारी मातृभूमि के लिए उनके सर्वोच्च बलिदान के बारे में अधिक जान सकें।
शर्मा ने कहा कि अंडमान-निकोबार द्वीप समूह स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के कारण एक तीर्थस्थान रहा है और अब परमवीर चक्र से सम्मानित सैनिकों का इस तरह सम्मान किया जाना हमारे लिए गर्व की बात है।
उत्तर और मध्य अंडमान में निर्जन द्वीप संख्या 'आईएनएएन 370' का नाम मेजर सोमनाथ शर्मा के नाम पर रखा गया है। अब 'आईएनएएन 370' को 'सोमनाथ द्वीप' के नाम से जाना जाएगा। वे परमवीर चक्र से सम्मानित पहले सैनिक थे। शर्मा 3 नवंबर 1947 को श्रीनगर हवाई अड्डे के पास पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने के दौरान शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
इसके अलावा सूबेदार और मानद कैप्टन करम सिंह, मेजर रामा राघोबा राणे, नायक जदुनाथ सिंह, कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत, कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया, लेफ्टिनेंट कर्नल धनसिंह थापा मागर, सूबेदार जोगिंदर सिंह सहनन, मेजर शैतान सिंह भाटी, कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, कर्नल होशियार सिंह दहिया, सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों, मेजर रामास्वामी परमेश्वरन, कैप्टन बाना सिंह, कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन मनोज कुमार पांडेय और सूबेदार मेजर संजय कुमार के नाम पर भी द्वीपों के नाम रखे गए हैं।
21 द्वीपों में से कुछ आरक्षित वन क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं जबकि कुछ में जल क्रीड़ा, क्रीक पर्यटन और मछली पकड़ने की काफी संभावनाएं हैं। आमतौर पर अंडमान और विशेष रूप से सेलुलर जेल ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
1857 के विद्रोह, वहाबी आंदोलन और बर्मी विद्रोह जैसे विभिन्न ब्रिटिश विरोधी आंदोलनों में भाग लेने वाले लोगों को अंडमान भेज दिया गया था, जहां उन्हें बर्बर परिस्थितियों में रखा जाता था। स्वतंत्रता संग्राम के महान दिग्गजों को सेल्युलर जेल की एकान्त कोठरी में कैद कर दिया गया था।
करगिल युद्ध के पराक्रमी कर्नल दीप्तांगशु चौधरी ने कहा कि आज की तेजी से बदलती दुनिया और कठिन प्रतिस्पर्धी जीवन में युवाओं को हमारी समृद्ध विरासत और अतीत को याद करने का समय नहीं मिलता है। यह पहल भारतीय सेना के जवानों द्वारा किए गए बलिदान का एक प्रमाण है और इससे युवा उनके वीरतापूर्ण कार्यों से अवगत होंगे। ऐसे समय में यह सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है, जब देश आजादी का अमृत महोत्सव (भारतीय स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने का स्मरणोत्सव) मना रहा है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta