Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

#yogaday योग से कैंसर का इलाज संभव

हमें फॉलो करें #yogaday योग से कैंसर का इलाज संभव
, सोमवार, 20 जून 2016 (16:06 IST)
योग आसन, प्राणायाम और आयुर्वेद के सम्मलित प्रयास से स्वाइन फ्लू और कैंसर सहित कई अन्य बीमारियों का उपचार आसानी से किया जा सकता है और इनसे बचा जा सकता है। वर्तमान में कैंसर जैसी बीमारी अब धीरे धीरे आम होने लगी है। यही देखते हुए हम बताना चाहते हैं कि कैसे खानपान में थोड़ा सा बदलाव करके आप कैंसर जैसी घातक बीमारी से बच सकते हैं और यदि कैंसर हो गया है तो कैसे उसका उपचार कर सकते हैं।
 
चरबी-मांस, आंत, गुर्दे, मस्तिष्क, श्वास नलिका, कोशिकाएं, स्नायुतंत्र और खून आदि सभी प्राणायाम और योग क्रियाओं से शुद्ध और पुष्ट रहते हैं। कैंसर मूलत: उतकों, कोशिकाओं और रक्त संबंधी रोग है। यह जितना भयानक जान पड़ता है, उतनी ही आसानी से इसे समाप्त भी किया जा सकता है।
 
आधुनिक मानव में हृदय रोग, शुगर, ब्लड प्रेशर के अलावा अब कैंसर भी धीरे-धीरे प्रचलन में आने लगा है। ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि कैंसर का इलाज नहीं है, लेकिन आधुनिक तकनीकों के कारण बढ़े हुए कैंसर का इलाज भी संभव है।
 
इसके अलावा योग में प्राणायाम और कुछ योग क्रियाएं ऐसी है जो चमत्कारिक रूप से कैंसर को खत्म कर सकती है। बस जरूरत है तो मन में विश्वास और हिम्मत की। 
 
क्या होता है कैंसर : शरीर के किसी भी भाग पर ऊतकों में असमान्य रूप से गठान उभरना कैंसर हो सकता है। इस बीमारी को अलग-अलग श्रेणी में रखा जा सकता है। ये श्रेणियाँ शरीर के भाग के अनुसार निर्भर करती हैं।
 
कितने प्रकार का कैंसर : हड्डी में होने वाली गठान को बोन ट्यूमर कहते हैं। इसका इलाज उस हड्डी को शरीर से अलग कर देना ही है। सॉफ्ट टिश्यू यानी ऊतकों में होने वाला कैंसर है। इसमें रेडिएशन देकर कैंसर के प्रभाव को कम किया जाता है। इसके अलावा इस बीमारी का तीसरा प्रकार रक्त कैंसर होता है।
 
क्या हैं सामान्य लक्षण : किसी अंग पर गठान बन जाना, अचानक शरीर के किसी भाग से रक्त जाना, चमड़ी में बदलाव महूसस होना, भूख कम लगना, खाँसी ज्यादा आना, खाँसी में खून निकलना।
 
योग से कैंसर का खात्मा : यदि प्रारंभिक अवस्था में किसी भी प्रकार के कैंसर का पता चलता है ‍तो सर्व प्रथम अनुलोम-विलोम का अभ्यास दिन में तीन से चार बार करना चाहिए और रात में सोने से पूर्व भी पांच मिनट का इसका अभ्यास करें। फिर क्रमश: कपालभाती, भस्त्रिका, नाड़ी शोधन प्राणायाम और पांच मिनट के ध्यान को दिनचर्या का हिस्सा बना लें।
 
ये नुस्खा आजमाएं : इसके साथ ही स्वच्छ और सादा भोजन लें। कम खाएं और तुलसी तथा नीम की पत्ती गेहूं के ज्वार (ज्वारा) या एलोविरा के साथ उचित मात्रा में मिलाकर नियमित रूप से सेवन करें। इसके  अलावा अंगूर के बीज के रस का सेवन करें।

वायु प्रदूषण से सदा दूर रहें और पूर्णत: स्वच्छ जल का ही सेवन करें। बाद में किसी योग चिकित्सक से योगक्रियाओं के बारे में जानकर योग क्रियाएं करें और तुलसी तथा नीम के प्रयोग जारी रखें। इससे कीमोथेरेपी जैसा ही असर होगा। जरूरी है कि खाने में अंकुरित पदार्थ, बीन्स और शहद का ही इस्तेमाल करें।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मैक्सिको में विरोध प्रदर्शन में 6 की मौत, 100 से ज्यादा घायल