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Sidhu Moose Wala: 3 बड़ी बातें जो सिद्धू मूसेवाला की मौत का कारण बनीं...

हमें फॉलो करें Sidhu Moose Wala: 3 बड़ी बातें जो सिद्धू मूसेवाला की मौत का कारण बनीं...
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वृजेन्द्रसिंह झाला

मानसा दा मुंडा के नाम से मशहूर पंजाबी सिंगर शुभदीप सिंह सिद्धू उर्फ सिद्धू मूसेवाला की मौत अभी भी एक पहेली बनी हुई है। अपनी काली थार से घर से निकले सिद्धू पर 30 से ज्यादा गोलियां दागी गईं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक उनके शरीर में 24 गोलियां पाई गईं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें अंतिम विदाई देने एक लाख से ज्यादा लोग उनके गांव मूसा पहुंचे थे। बड़ी संख्या में लोगों की आंखों में आंसू थे।
 
दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, चीन, सिडनी आदि समेत विदेशों में जहां-जहां पंजाबी रहते हैं, उन्होंने कैंडल मार्च निकाला। मात्र 30 साल की उम्र में ही सिद्धू युवा दिलों की धड़कन बन गए थे। सिद्धू की मौत को गैंगवार से भी जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन जानकारों की मानें तो यह 'सुपारी किलिंग' का मामला ज्यादा लगता है। 
 
पंजाबियत : पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार किरणजीत सिंह रोमाना सिद्धू मूसेवाला की हत्या को गैंगवार या ड्रग्स मामले से जोड़कर नहीं देखते। वे कहते हैं कि सिद्धू की लोकप्रियता पंजाब या भारत में ही नहीं थी, सात समंदर पार भी बड़ी संख्‍या में उनके प्रशंसक मौजूद हैं। साउथ अफ्रीका, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, चीन आदि देशों में सिद्धू की मौत के बाद कैंडल मार्च निकाले गए। रोमाना कहते हैं कि सिद्धू पंजाब और पंजाबियत का प्रतीक थे। वे स्टेज पर पगड़ी और बड़े बालों के साथ उतरते थे। ऐसे में एक बड़ा वर्ग उनसे ईर्ष्या करता था। 
 
म्यूजिक : सिद्धू की मौत के दूसरे कारण के बारे में बताते हुए रोमाना कहते हैं कि लंबे समय तक दूसरी म्यूजिक कंपनियों के लिए गाने वाले सिद्धू ने कुछ समय पहले ही अपनी खुद की म्यूजिक कंपनी खोल ली थी। यूट्‍यूब पर ही उनके 1 करोड़ 13 लाख से ज्यादा फॉलोवर हैं। देश-विदेश में युवाओं में उनका काफी क्रेज था। उनकी देखादेखी 3-4 और सिंगरों ने भी अपनी म्यूजिक कंपनियां खोल ली थीं। इससे म्यूजिक कंपनियों का धंधा चौपट हो गया था। यह भी उनकी मौत का एक कारण हो सकता है। मुंबई का गुलशन कुमार हत्याकांड किसी से छिपा नहीं है। 
 
राजनीति : वरिष्ठ पत्रकार रोमाना कहते हैं कि भले ही सिद्धू मूसेवाला इस बार आम आदमी पार्टी की लहर में मानसा सीट पर चुनाव हार गए, लेकिन भविष्य में वे राज्य के बड़े 'राजनीतिक घरानों' के लिए मुश्किल बन सकते थे। विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने पंजाब से जुड़े मुद्दों को खुलकर उठाया था। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति पंजाब के मुद्दों को लोगों के बीच उठाएगा, उन्हें जागरूक करेगा,  उसका हश्र यही होगा। 
 

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