नई दिल्ली। भारतीय रेल के 34,665 पुलों की आयु 100 साल से भी ज्यादा हो चुकी है हालांकि सरकार उनकी वास्तविक स्थिति का समय समय पर आकलन करती रहती है और साल में 2 बार उनका निरीक्षण किया जाता है। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को राज्यसभा में विभिन्न पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रेलवे पुलों की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रणाली है और इसके तहत सभी पुलों का साल में 2 बार निरीक्षण किया जाता है।
गोयल ने कहा कि इन पुलों को मानसून शुरू होने से पहले और फिर मानसून खत्म होने के बाद विस्तृत निरीक्षण किया जाता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रणाली में पुल की हालत का निरीक्षण करने के लिए संख्यात्मक रेटिंग पद्धति है। उन्होंने कहा कि पुलों के वर्गीकरण की मौजूदा प्रणाली की समीक्षा करने की सरकार की कोई योजना नहीं है और रेल पुलों को जलमार्ग की जरूरतों के आधा पर महत्वपूर्ण, बड़े एवं छोटे पुलों में वर्गीकृत किया जाता है।
गोयल ने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि एक अप्रैल 2020 की स्थिति के अनुसार 7.5 लाख करोड़ रुपए की लागत पर कुल 513 रेल परियोजनाएं योजना, स्वीकृति और निष्पादन के विभिन्न चरणों में हैं। ए परियोजनाएं 53,039 किलोमीटर लंबाई की हैं और उनमें से 10,013 किलोमीटर लंबाई के मार्ग को यातायात के लिए खोल दिया गया है और मार्च 2020 तक 1.86 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। (भाषा)