कूनो से 4 से 5 चीते किए जाएंगे शिफ्ट, मुकुंदरा या गांधीसागर अभयारण्य होगा नया ठिकाना
चीतों को राजस्थान के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करने की संभावना ज्यादा
भोपाल। श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में दक्षिण अफीका से लाए गए 12 चीतों में से 4 से 5 चीतों को मंदसौर के गांधी सागर अभ्यारण्य या राजस्थान के मुकुंदरा में शिफ्ट किया जाएगा है। चीता टास्क फोर्स की बैठक में दक्षिण अफीका से लाए गए चीतों को क्वारेंटाइन की अवधि पूरा करने के बाद अब बड़े बाड़ों में शिफ्ट करने के साथ अन्य स्थान पर भेजे जाने को लेकर सहमति बन गई। बैठक में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों को डीएएचडी की रिपोर्ट के बाद बड़े बाड़े में छोड़ने पर निर्णय लिया,वहीं केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद चीतों को शिफ्ट करने पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
गौरतलब है कि वेबदुनिया ने अपनी खबर में चीतों को एक ही स्थान पर रखने को लेकर सवाल उठाए थे। वेबदुनिया से बातचीत में देश के जाने माने वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट और भारत में चीता प्रोजेक्ट से जुड़े रहे वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून के पूर्व डीन डॉ. वायवी झाला और रिटायर्ड IAS अफसर एमके रंजीत सिंह ने चीतों को सिर्फ कूनो में रखने पर एतराज जताया था।
वेबदुनिया से बातचीत में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून के पूर्व डीन वायवी झाला ने कहा था कि भारत में चीतों की बसाहट में कभी एक जगह ही चीतों को छोड़ने का कभी प्लान नहीं था। चीतों को दो जगह बांटना जरूरी है। भारत में चीतों को फिर से बसाने के लिए चीतों की संख्या 50 से 60 करनी होगी तब हम मानेंगे कि भारत में लॉर्ग टर्म पर चीतों की बसाहट सफल हो पाएगी। इसके लिए पहले चीतों की संख्या बढ़ानी होगी और सब के सब चीते कूनों में छोड़ने की जगह 4-5 चीते अन्य स्थानों पर छोड़ने होंगे। अगर मुकंदरा या गांधी सागर में चार से पांच चीते चले गए तो अच्छा रहेगा।
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून के पूर्व डीन डॉ. वायवी झाला कहते हैं कि चीता प्रोजेक्ट में शुरु से प्लान था 4 से 5 चीते राजस्थान के मुकंदरा ले जाएंगे, बाकी 15 चीता कूनों में रखे जाएंगे। कूनो में चीतों को लेकर सभी सावधानी बरती जा रही है लेकिन बीमारी नहीं होगी इसकी कोई गांरटी नहीं ले सकता। इससे अगर चीतों में कोई बीमारी फैलती है तो सभी चीतों में समस्या नहीं हो और चीतों पर संकट नहीं आए। हमको चीतों की एक-दो बसाहट बनाना और जरूरी है।
वहीं वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट एमके रंजीत सिंह कहते हैं कि पालपुर कूनो अभ्यारण्य में एक साथ 20 चीतों को रखे जाने की कभी योजना ही नहीं थी। पालपुर कूनो में 8 चीतों से अधिक नहीं रखे जा सकते। दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों का कहां छोड़ा जाएगा। चीतों को बाड़ों मे रखकर क्या सफारी पार्क बनाया जा रहा है। वहीं उन्होंने चीतों की ब्रीडिंग के लिए मुकंदरा राष्ट्रीय उद्यान को उपयुक्त बताया था।
चीता प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति-श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान में 19 चीतों के साथ 4 शावक है। वर्तमान में कूनो अभ्यारण्य में नामीबिया से लाए गए बाकी 7 चीता और दक्षिण अफीका से लाए गए 12 चीता मौजूद है। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जेएस चौहान के मुताबिक सभी सात चीते पूरी तरह से स्वस्थ है और नमीबिया से लाए गए चीतों को खुल में छोड़ा जा चुका है और वह अपना शिकार खुद कर रहे है। वहीं पिछले दिनों दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों को क्वारेंटाइन बाड़ों में रखा गया है।
वहीं भारत में 70 साल बाद फिर से चीता को बसाने को लेकर बड़ी कमायबी हाथ लगी है। जब नमीबिया से लाए गए चीतों में से एक मादा चीता सियाया ने चार शावकों को जन्म दिया था। सियाया ने जिन चार शवकों को जन्म दिया है वह पूरी तरह स्वस्थ है।