नई दिल्ली। मंत्रिमंडल ने बुधवार को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दी जिससे केंद्र सरकार के 1 करोड़ कर्मचारियों और पेंशनधारकों के अच्छे दिन आ गए हैं। उनके वेतन में 23 फीसदी का इजाफा हो जाएगा। सूत्रों ने कहा कि इस संबंध में फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया।
वेतन आयोग ने पिछले साल नवंबर में कनिष्ठ स्तर पर मूल वेतन में 14.27 प्रतिशत की बढ़ोतरी की सिफारिश की थी, जो पिछले 70 साल का न्यूनतम स्तर है। इससे पहले 6ठे वेतन आयोग ने 20 प्रतिशत बढ़ोतरी का सिफारिश की थी जिसे सरकार ने 2008 में लागू करते समय दोगुना कर दिया था।
7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार ने इसकी जांच और इसको लागू करने के बारे में रिपोर्ट पेश करने के लिए इस साल जनवरी में मंत्रिमंडल-सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया था। वेतन-भत्तों और पेंशनमानों में संशोधन से केंद्र सरकार के करीब 50 लाख कर्मचारियों और 58 लाख पेंशनधारकों को फायदा होगा।
आयोग ने वेतन-भत्तों और पेंशन में कुल मिलाकर 23.55 प्रतिशत वृद्धि की सिफारिश की है। इसको लागू करने पर सार्वजनिक खजाने पर सालाना 1.02 लाख करोड़ रुपए या सकल घरेलू उत्पाद के करीब 0.7 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
इसमें केंद्रीय कर्मियों का न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 18,000 रुपए प्रतिमाह करने की सिफारिश गई है, फिलहाल यह 7,000 रुपए मासिक है। इसी तरह मंत्रिमंडल सचिव स्तर के अधिकारी को मिलने वाला उच्चतम वेतन बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए करने की सिफारिश की गई है, जो फिलहाल 90,000 रुपए है।
बजट 2016-17 में 7वें वेतन आयोग के संबंध में बजट का अलग से प्रावधान नहीं किया गया है। इस बारे में सरकार ने कहा था कि सरकारी कर्मचारियों के लिए दशक में एक बार होने वाली वेतन बढ़ोतरी के लिए विभिन्न मंत्रालयों के आवंटन में अंतरिम प्रावधान के जरिए व्यवस्था की गई है। (भाषा)