नई दिल्ली। दिल्ली में केजरीवाल सरकार के लिए 23 मार्च का दिन अहम था क्योंकि लाभ के पद में दिल्ली की आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होने के मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट में आज फैसला होने वाला था लेकिन इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग से दोबारा सुनवाई करने को कहा है। आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की 2 जजों की बेंच ने यह बड़ा फैसला सुनाया है। बताया जा रहा है कि कोर्ट में 15 से ज्यादा पूर्व विधायक भी मौजूद थे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, 'सत्य की जीत हुई।' केजरीवाल ने आगे लिखा, 'दिल्ली के लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को गलत तरीके से बर्खास्त किया गया था। हाई कोर्ट ने दिल्ली के लोगों को न्याय दिया। दिल्ली के लोगों की बड़ी जीत। दिल्ली के लोगों को बधाई।'
उधर, AAP नेता अलका लांबा ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सभी 20 विधायक बने रहेंगे, उन्हें मुंह की खानी पड़ी है जो सरकार गिराने की कोशिश कर रहे थे।
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से फिलहाल राहत मिली है। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए चुनाव आयोग की सिफारिश को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने आयोग से कहा है कि इस मामले में दोबारा सुनवाई होनी चाहिए। जनवरी में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट यानी लाभ का पद (संसदीय सचिव) रखने पर चुनाव आयोग ने विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी थी, जिसे मंजूर कर लिया गया। इसके बाद 8 विधायक हाईकोर्ट चले गए थे।
इन विधायकों ने अपनी सदस्यता रद्द किए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को भी इस मामले में फैसला आने तक उपचुनाव नहीं कराने का आदेश दिया था। इस मामे में दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि ये फैसला किन तथ्यों के आधार पर लिया गया। साथ ही इस पर चार दिन के भीतर आयोग से पूरी जानकारी मांगी थी।
अयोग्य घोषित होने पर विधायकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने केंद्र के नोटिफिकेशन (अयोग्य घोषित करने वाले) को रद्द करने की अपील की है।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने ही 8 सितंबर, 2016 को विधायकों के संसदीय सचिवों के तौर पर अप्वाइंटमेंट को रद्द कर दिया था। इसके बाद वकील प्रशांत पटेल ने आप विधायकों की शिकायत चुनाव आयोग से की। साथ ही पिटीशन में इसे लाभ का पद मानते हुए विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की गई। ईसी ने 21 विधायकों को नोटिस जारी किया था।
उल्लेखनीय है कि एक विधायक जरनैल सिंह (राजौरी गार्डन) ने पंजाब विधानसभा चुनाव के वक्त पद से इस्तीफा दे दिया था। इसलिए ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में से उनका नाम अलग कर लिया गया और विधायकों की संख्या 20 रह गई।
गौरतलब है कि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाले अरविंद केजरीवाल ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। उनमें से एक विधायक जरनैल सिंह भी थे जिन्होंने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। 21 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर करते हुए आप के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी। बाद में आप विधायकों ने हाई कोर्ट में दायर की गई अपनी पहली याचिका को वापस लेकर नए सिरे से याचिका डाली और अपनी सदस्यता रद्द किए जाने को चुनौती दी। (एजेंसी)