नोटबंदी के 5 साल बाद भी लगातार बढ़ रहा है नकदी का चलन
एसबीआई रिसर्च की यह विस्तृत रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2016 में नोटबंदी के बाद नकदी का चलन घटकर 8.7 फीसदी तक आ गया था, लेकिन उसके बाद यह बढ़ते हुए इस साल अब तक जीडीपी के प्रतिशत के तौर पर 13.1 प्रतिशत पर पहुंच चुका है।
मुंबई। अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने की कोशिशों के बावजूद पिछले 5-6 वर्षों में नकदी का चलन साल-दर-साल बढ़ रहा है।
एसबीआई रिसर्च की सोमवार को आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के तौर पर चलन में मौजूद नकदी (CIC) वर्ष 2016 को छोड़कर बीते 5 साल में लगातार बढ़ती रही है। चलन में मौजूद नकदी को अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख घटक माना जाता है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 वर्षों में करीब 80 फीसदी अर्थव्यवस्था औपचारिक हो चुकी है। इसमें कृषि ऋण समेत हरेक गैर-नकदी घटक की स्थिति सुधरी है।
एसबीआई रिसर्च की यह विस्तृत रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2016 में नोटबंदी के बाद नकदी का चलन घटकर 8.7 फीसदी तक आ गया था, लेकिन उसके बाद यह बढ़ते हुए इस साल अब तक जीडीपी के प्रतिशत के तौर पर 13.1 प्रतिशत पर पहुंच चुका है।
वित्त वर्ष 2020-21 में चलन में मौजूद नकदी का अनुपात 14.5 प्रतिशत रहा था। इस उच्च अनुपात के लिए कोविड-19 से जुड़ी असुरक्षा एवं अनिश्चितताओं को जिम्मेदार बताया गया।
लगातार बढ़ रहा है नकदी का चलन : रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2007-08 से लेकर 2009-10 के तीन वर्षों में अर्थव्यवस्था उच्च वृद्धि दर से बढ़ रही थी और उस समय चलन में मौजूद नकदी का अनुपात क्रमशः 12.1 फीसदी, 12.5 फीसदी और 12.4 फीसदी था। अगले 5 वर्षों में भी यह सिलसिला कमोबेश जारी रहा था।
एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में महामारी की अर्थव्यवस्था पर तगड़ी मार पड़ने से नकदी का चलन बढ़कर 14.5 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
रिपोर्ट कहती है कि हालात सामान्य रहते तो वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 में जीडीपी की वृद्धि दर कहीं ज्यादा ऊंची रहती और चलन में मौजूद नकदी भी नोटबंदी से पहले के रुझान पर बनी रहती।
घोष ने कहा कि अक्टूबर, 2021 में यूपीआई के जरिये 6.3 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 3.5 अरब डिजिटल लेन-देन किए गए। यह राशि सितंबर, 2021 की तुलना में करीब 100 फीसदी और अक्टूबर, 2020 की तुलना में 103 प्रतिशत ज्यादा है।